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चंपत राय के परिजनों ने पत्रकार विनीत नारायण और 'RSS कार्यकर्ता' पर क्यों किया केस?

पहले से ही विवादों में घिरे राम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष चंपत राय एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं. मामला एफ़आईआर तक पहुँच गया है.

By BBC News हिन्दी
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अयोध्या राम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय के परिवार वालों ने पत्रकार विनीत नारायण, आरएसएस कार्यकर्ता अलका लाहोटी और विनीत नारायण के सहयोगी रजनीश के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई है.

इन लोगों पर धार्मिक सौहार्द ख़राब करने, जालसाज़ी और 16 अन्य कठोर क़ानूनों के तहत एफ़आईआर हुई है.

चंपत राय विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के वरिष्ठ नेता भी हैं. उनके छोटे भाई संजय बंसल की शिकायत पर 19 जून की शाम पाँच बजे एफ़आईआर दर्ज हुई.

Why did Champat Rai family file a case against Vineet Narayan and RSS worker?

इसमें आरोप लगाया गया है कि संजय बंसल को वरिष्ठ पत्रकार विनीत नारायण की 17 जून की फ़ेसबुक पोस्ट पढ़ कर अत्यंत खेद हुआ, जिसमें "षडयंत्र रच कर झूठ और अनर्गल बातें लिखी हुई थीं."

इस पोस्ट से चंपत राय और उनके परिवार के सम्मान को गहरा आघात पहुँचा है. उन्होंने विनीत नारायण के सहयोगी रजनीश पर फ़ोन पर गाली-गलौच करने का भी आरोप लगाया.

संजय बंसल का दावा है कि इस पोस्ट से "हिंदू समाज के करोड़ों लोगों के सम्मान को गहरा आघात पहुँचा है और इस तरह की पोस्ट से समाज में अशांति उत्पन्न होने की प्रबल आशंका रहती हैं."

चंपत राय के भाई संजय बंसल की तहरीर पर एफ़आईआर हुई, लेकिन मीडिया से बिजनौर में बात उनके दूसरे भाई सुनील बंसल ने की और इस सोशल मीडिया पोस्ट को साज़िश बताया.

सुनील बंसल का कहना था, "यह जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, वो चंपत राय जी के ख़िलाफ़ अनर्गल टिप्पणी और बदनाम करने की एक साज़िश है. दूसरे जो उन पर आरोप लगे, राम मंदिर के ट्रस्ट में चंदे के चक्कर में, उसकी एवज़ में भी खुंदक खाकर, दुश्मनी निकाल रहे हैं यह लोग. चंपत राय जी का जीवन पूरा समर्पित है. 1980 से उन्हें घर छोड़े 41 साल हो गए हैं और वो अविवाहित हैं."

फ़ेसबुक पोस्ट में क्या था आरोप?

दरअसल 17 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस सरसंघ चालक मोहन भागवत को संबोधित करते हुए विनीत नारायण ने फ़ेसबुक पर एक पोस्ट लिखी थी.

उनके मुताबिक़ आरएसएस कार्यकर्त्ता अलका लाहोटी से उनकी बातचीत हुई थी, जिसमें लाहोटी ने उन्हें बताया था कि उनके पिता द्वारा नगीना (बिजनौर) में स्थापित श्री कृष्ण गौशाला की 20,000 वर्ग मीटर ज़मीन पर कई सालों से क़ब्ज़ा है.

इस बातचीत का हवाला देते हुए, पोस्ट में विनीत नारायण ने चंपत राय पर अपने गृह नगर नगीना (बिजनौर) में श्री कृष्ण गौशाला की 20 हज़ार वर्ग-मीटर (1.050 हेक्टेयर) ज़मीन पर 'अपने भाइयों' से क़ब्ज़ा करवाकर, उस पर अवैध डिग्री कॉलेज बनवाने और उसे रुहेलखंड विश्वविद्यालय से मान्यता दिलवाने का आरोप लगाया. अपने पोस्ट में इस 20 हज़ार वर्ग-मीटर ज़मीन की क़ीमत विनीत नारायण ने लगभग 50 करोड़ रुपए बताई थी.

बीबीसी ने जब चंपत राय से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने बस इतना ही कहा, "मैं इन बातों पर बयान नहीं दे रहा हूँ. बिल्कुल नहीं! मुझे इन मुद्दों में दिलचस्पी नहीं है."

क्या है गौशाला की ज़मीन का विवाद?

अलका लाहोटी बिजनौर ज़िले की नगीना की निवासी हैं और नगीना स्थित श्री कृष्ण गौशाला की अध्यक्ष हैं. वो एक एनआरआई हैं जो इंडोनेशिया के सीमारंग में रहती हैं. उनके मुताबिक़ वो एक फ्रेंच कंपनी में प्रोडक्ट मैनेजर के तौर पर काम करती थीं. लेकिन 2015 में अपने पिता वीरेंद्र कुमार लाहोटी के गुज़र जाने के बाद उनके द्वारा स्थापित श्री कृष्ण गौशाला को सँभालने के लिए अलका वापस नगीना लौटीं.

अपनी ट्विटर प्रोफ़ाइल में लाहोटी ने लिखा है कि वो एक एनआईआर महिला हैं जो बिजनौर के नगीना में "श्री कृष्णा गौशाला" को भू माफ़िया के चंगुल से छुड़ाने का काम कर रही हैं.

https://twitter.com/alka_lahoti?s=20

वो स्वयं को आरएसएस के गौसेवा में कार्यरत और मेरठ की प्रांत प्रशिक्षण प्रमुख भी बताती हैं.

बीबीसी को अलका लाहोटी से मिले दस्तावेज़ों में दावा किया गया है कि संतोष कुमार अग्रवाल ने फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर गौशाला की ज़मीन हथिया ली और इन फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के सहारे रुहेलखंड विश्वविद्यालय से मान्यता हासिल कर गौशाला की ज़मीन पर कृष्ण गोपाल महाविद्यालय स्थापित कर दिया.

लाहोटी ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय से जाँच की माँग भी की है, लेकिन फ़िलहाल मान्यता रद्द करने की माँग पर विश्वविद्यालय ने कोई कार्रवाई नहीं की है.

मार्च 2020 में रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने संतोष कुमार अग्रवाल को ज़मीन की मिल्कियत साबित करने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ देने का आदेश दिया था लेकिन अलका के अनुसार फ़िलहाल उस आदेश का पालन नहीं हुआ है. अलका लाहोटी का यह भी दावा है कि राजस्व विभाग के दस्तावेज़ों में विवादित 20,000 वर्ग मीटर ज़मीन गौशाला के नाम से है.

इस बारे में एसडीएम नगीना ने बीबीसी को बताया, "दोनों, अलका लाहोटी और कृष्ण गोपाल डिग्री कॉलेज के प्रबधक संतोष कुमार अग्रवाल ने 20,000 हेक्टेयर की भूमि पर अदालत में मालिकाना हक़ का दावा किया है और अभी उस मामले में फ़ैसला लंबित है."

चंपत राय के ख़िलाफ़ लगे आरोपों पर एसडीएम नगीना ने कहा कि उनके पास मौजूद मामले से जुड़े दस्तावेज़ों में चंपत राय और उनके प्रभाव का कोई ज़िक्र नहीं है.

बीबीसी ने शनिवार को अलका लाहोटी से बात की थी और उन्होंने ज़मीन से जुड़े काग़ज़ात बीबीसी को दिखाए थे. लेकिन एफ़आईआर दर्ज होने के बाद अलका लाहोटी से संपर्क नहीं हो पा रहा है.

क्यों लगाए विनीत नारायण ने आरोप?

तो सवाल यह उठता है कि आख़िरकार चंपत राय का इस पूरे मामले से क्या लेना देना है और विनीत नारायण ने अपनी फ़ेसबुक पोस्ट में अलका लाहोटी से फ़ोन पर हुई बात का हवाला देते हुए चंपत राय पर उनके 'भाइयों' से गौशाला की ज़मीन हड़पवाने का आरोप क्यों लगाया?

दर्ज हुई एफ़आईआर पर जब बीबीसी ने पत्रकार विनीत नारायण से बात की तो उनका कहना था, "मुझे पता चला कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की एक समर्पित कार्यकर्ता जो गौरक्षा के उनके काम में मेरठ प्रांत की पदाधिकारी भी हैं, जो इंडोनेशिया में अपनी नौकरी छोड़ कर अपने पिताजी द्वारा स्थापित गौशाला चलाने के लिए नगीना, बिजनौर में आई हैं, उनको संघ और भाजपा की सरकार में ही राहत नहीं मिल रही हैं. उनकी सार्वजनिक गौशाला है, उस गौशाला पर चंपत राय जी के भाई-बंधुओं ने अवैध क़ब्ज़ा करके डिग्री कॉलेज बना रखा है, यह अलका लाहोटी ने मुझे बताया और इसके समर्थन में मुझे डॉक्यूमेंट भेजे."

जब बीबीसी ने पुछा कि इसका प्रमाण क्या है, तो विनीत नारायण ने कहा, "जब मेरी उनसे (अलका) पूरी बातचीत हुई, मैंने पूरा रिकॉर्ड किया हुआ है, उस बातचीत के आधार पर मैंने फ़ेसबुक पर पूरी बात लिखी और मैंने लिखा कि अलका बताती हैं कि उन्होंने छतरपुर के सम्मलेन में यह तीन सवाल पूछे थे चंपत राय जी से और वहाँ और भी कार्यकर्ता खड़े थे. पहला सवाल ये था कि क्या यह आपके भाई बंधु हैं या नहीं? दूसरा ख़ुद उन्होंने (चंपत राय ने) बताया कि मैंने लिख कर रुहेलखंड विश्वविद्यालय को इस कॉलेज को मान्यता देने की सिफ़ारिश की थी. और तीसरा प्रश्न यह था कि अगर उन्होंने सिफ़ारिश लिख कर दी थी, तो अब ग़लती हो गई तो आप विड्रॉ कर लीजिए. तो उन्होंने कहा कि मैं इसे विड्रॉ नहीं करूंगा क्योंकि वो मेरे कुनबे के लोग हैं. यह स्टेटमेंट अलका का है जो मैंने हू-बहू कोट किया है."

बीबीसी ने कृष्ण गोपाल डिग्री कॉलेज के प्रबंधक-संस्थापक संतोष कुमार अग्रवाल से उनके चंपत राय से ताल्लुक़ात पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि उनका "चंपत राय और उनके परिवार वालों से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है. उनके परिवार वालों ने एफ़आईआर दर्ज कराई है. मुझे इतना मालूम है कि इसमें चंपत राय का दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं हैं. उन्हें बेमतलब घसीटा गया है और उन पर इलज़ाम लगाए गए हैं. पुलिस की ज़िम्मेदारी है कि जिन लोगों ने पोस्ट वायरल किया है, उसकी जाँच करे."

हालाँकि यह भी पता चला कि क़रीब डेढ़ साल पहले अलका लोहाटी ने इस मामले को राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने भी रखा था, जिसके बाद रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने डिग्री कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी थी.

संतोष कुमार अग्रवाल ने बीबीसी हिंदी को जानकारी दी कि पिछले साल उत्तर प्रदेश शासन के इशारे पर रुहेलखंड विश्वविद्यालय के वीसी ने कृष्ण गोपाल महाविद्यालय की मान्यता रद्द कर दी थी. मान्यता रद्द होने के तुरंत बाद अलका लाहोटी ने बिजनौर में प्रेस वार्ता करके योगी आदित्यनाथ सरकार का आभार व्यक्त किया था.

लेकिन संतोष कुमार अग्रवाल इसके ख़िलाफ़ इलाहाबाद हाईकोर्ट गए और हाई कोर्ट ने वीसी का फ़ैसला ख़ारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि मान्यता रद्द करने के लिए मानक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है.

इसके बाद से अब मान्यता ख़ारिज करने का मामला विश्वविद्यालय की एग्ज़क्युटिव काउंसिल के स्तर पर लंबित है.

बिजनौर पुलिस की कार्रवाई

https://twitter.com/bijnorpolice/status/1406509994233655300?s=20

एसपी बिजनौर डॉक्टर धर्मवीर सिंह का कहना है कि जाँच और विवेचना जारी है लेकिन "जो आरोप अभियुक्तों के ज़रिए लगाए गए हैं, जनपद बिजनौर और नगीना में सारे आरोप निराधार हैं और इनके परिजनों पर भी जो आरोप लगाए गए हैं, वो प्रथम दृष्टया निराधार हैं. संपूर्ण तथ्यों की विवेचना की जा रही है, विवेचना गज़ेटेड अफ़सर की निगरानी में की जा रही है."

पुलिस की कार्रवाई पर विनीत नारायण का कहना है, "यह तो सीधे धमकाने की और डराने की कोशिश है. दूसरी बात, एसएसपी ने 24 घंटे मे टीवी में बयान दिया है कि प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि हमारे आरोपों का कोई आधार नहीं है. और यह ग़लत भावनाओं से लगाए गए हैं. 24 घंटे में उन्होंने रेवेन्यू रिकॉर्ड भी चेक कर लिए, उन्होंने यूनिवर्सिटी की फ़ाइल भी चेक कर ली, इतना इफ़िशियंट प्रशासन है!"

क्यों हैं चर्चा में चंपत राय?

चंपत राय राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र स्थल ट्रस्ट के सचिव हैं. हाल में ट्रस्ट की ओर से मंदिर निर्माण के लिए ज़मीन के सौदों में घोटाले के आरोपों से घिरे हुए हैं.

विपक्ष राय को दो ज़मीनों की ख़रीद के सौदों में घेरने की कोशिश कर रहा है जिसमें उन पर आरोप है कि उन्होंने चंदे के पैसे से 26 करोड़ अधिक में ज़मीनें खरीदीं. इन दोनों ज़मीनों के एग्रीमेंट पर चंपत राय के दस्तख़त हैं और समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी इन सौदों की सीबीआई और ईडी जाँच की माँग कर रही है.

चंपत राय को हटाने और निष्पक्ष जाँच की माँग अयोध्या के कई प्रमुख साधू-संत भी कर रहे हैं. ऐसे माहौल में पत्रकार विनीत नारायण का सोशल मीडिया पर चंपत राय को उनके गृह ज़िले बिजनौर में एक ज़मीन विवाद से जोड़ना और बिजनौर पुलिस की एफ़आईआर ने चंपत राय को फिर एक बार सुर्ख़ियों में लाने का काम किया है.

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