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इतिहास रामलीला मैदान का, जहां केजरीवाल लेंगे शपथ

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दिल्ली(विवेक शुक्ला)। यूं तो दिल्ली के रामलीला मैदान में ना जाने कितनी रैलियां, सभाएं और धार्मिक समागम होते रहे, पर आज यह फिर से साक्षी बनेगा अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण समारोह का।

Ramlila Ground

पर,वह जनसमूह इतना बड़ा नहीं था, जितना विशाल इधर 25 जून,1975 को एकत्र हुआ था। उस दिन तारीखी रैली हुई थी। उसमें लाखों लोगों ने शिरकत की थी। देश में इंदिरा गांधी के खिलाफ माहौल बना हुआ था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें चुनावी गड़बड़ियों के लिए दोषी ठहराया था। जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए आंदोलन चलाया जा रहा था। उसी क्रम में रामलीला मैदान में रैली थी।

जेपी का आह्वान

रैली को जयप्रकाश नारायण जी के अलावा आचार्य कृपलानी जी, विजय लक्ष्मी पंडित, अटल बिहारी वाजपेयी,मोरारजी देसाई वगैरह संबोधित करने वाले थे। सबको जेपी के प्रखर भाषण को सुनने का इंतजार था। उस दिन जेपी ने भाषण का श्रीगणेश रामधारी सिंह दिनकर की उन अमर पंकि्तयों के साथ किया-- ' सिंहासन खाली करो कि जनता आती है...'। सारा रामलीला मैदान उन नेताओं को बिल्कुल शांत भाव से सुन रहा था।

गांधी जी से जिन्ना तक

इसी रामलीला मैदान में गांधी जी और पंडित नेहरू ने कई बार सभाओं को संबोधित किया। मोहम्मद अली जिन्ना की इधर 1945 में हुई एक सभा का पुराने लोग विशेष उल्लेख किया करते थे। वे इधर मुस्लिम लीग की सभा को संबोधित कर रहे थे। उनके भाषण के दौरान उनके मंच के करीब बैठे कुछ लोगों ने नारे लगाने शुरू कर दिए- ' मौलाना जिन्ना जिंदाबाद...मौलाना जिन्ना जिंदाबाद'...। वे इस नारे को सुनकर भड़क गए। नारे लगाने वालों को लताड़ते हुए वे कहने लगे,'मैं आपका सियासी नेता हूं न कि मजहबी। इसलिए नारे लगाते हुए बेवकूफी न करें।‘

रामलीला मैदान में स्थायी मंच 1961 में ही बना। दरअसल ब्रिटेन की महारानी एलिजबेथ भारत के दौरे पर आई थीं। उनके सम्मान में रामलीला मैदान में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन होना था। बस तब कहीं जाकर स्थायी मंच को बनाया गया। पहले इधर अस्थायी मंच ही बनता था।

लता जी का अमर गीत

इसी रामलीला मैदान में चीन से मिली पराजय के बाद गणतंत्र दिवस के एक कार्यक्रम में लता मंगेशकर ने ऐ मेरे वतन के लोगों गीत गाया था तत्कालीन प्रधानमंत्री पं॰ जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में। कहते हैं कि इस गीत को सुनने के बाद नेहरु जी की ऑंखें भर आई थीं।

इधर ही हुईं डा. राजेन्द्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद उनकी याद में शोक सभाएं। सभा में शिरकत करते हुए लोग रो रहे थे। पंडित नेहरू की शोक सभा में जापानी और सोवियत संघ के प्रतिनिधियों ने हिन्दी में बोलकर लोगों का दिल जीत लिया था।

यहां कभी तालाब हुआ करता था

दरअसल जिधऱ अब रामलीला मैदान है, वहां पर 1930 से पहले तालाब था। उसे भरकर इसे मैदान की शक्ल दी गई ताकि इधर रामलीला का आयोजन हो सके। पहले रामलीला मैदान में होने वाली रामलीला लाल किले के पिछवाड़े में होती थी। वहां कई बार रामलीला का आयोजन प्रभावित हो जाता था यमुना में बाढ़ आ जाने के कारण। इसी कारण से रामलीला आयोजन समिति ने स्थानीय प्रशासन से रामलीला के आयोजन के लिए अलग जगह देने का आग्रह किया।

उसके बाद ही प्रशासन ने शहर के बीचों-बीच मौजूदा जगह का चयन किया रामलीला के आयोजन के लिए। उसके बाद पहली बार 1932 से इधर रामलीला होने लगी। हाल के दौर में इधर अन्ना का आंदोलन भी हुआ और बाबा रामदेव का भी। पुलिस ने इधर ही बाबा रामदेव के खिलाफ कठोर एक्शन लिया था।

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English summary
Why Ramlila ground is historic ? Today Arvind Kejriwal to take oath here.
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