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चीन के जैसे ये उपाय करके दिल्ली को जहरीली हवा से मिल सकती है मुक्ति

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बेंगलुरु। दिल्ली में स्मॉग का कहर एक बार फिर से छाया हुआ है। स्‍मॉग की मोटी परत के कारण धुंध छायी हुई है। दिल्ली समेत एनसीआर में रहने वाले लोगों में सेहत को लेकर जबरदस्‍त चिंता है। सबसे अधिक लोग बच्‍चों और बुजुर्गों की सेहत को लेकर डरे हुए हैं। दिल्ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल का मानना है कि अगर आज दिल्ली के लोगों का दम घुट रहा है तो इसमें एक बड़ी भूमिका पंजाब और हरियाणा की भी हैं। जहां लगातार पराली जल रही है और जिसके चलते दिल्ली में रहने वाले लोगों के प्राण संकट में हैं। दिल्ली सरकार ऐसे हालात में भी राजनीतिक करते हुए इसके लिए पड़ोसी राज्यों पर इसकी जिम्मेदारी डाल कर पल्‍ला झाड़ रही हैं। इतना ही नहीं पड़ोसी राज्यों को किसानों को पराली के निस्‍तारण के लिए पंजाब और हरियाणा सरकार को मंहगी मशीन खरीदने की सलाह दे रही है।

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अब सवाल ये उठता है कि दिल्ली सरकार दूसरों को राय देने से पहले खुद क्यों नहीं कोई प्रयास कर रही हैं? प्रदूषण कम करने के लिए ऑड-इवेन सिस्‍टम लागू करके और पेड़ पौधों से धूल हटाने के लिए पानी का छिड़काव करवा कर वह इतिश्री कर ली है। लेकिन अब केवल इससे काम नहीं चलेगा। दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति दिन प्रतिदिन भयावह होती जा रही है। अब समय आ गया कि दिल्ली सरकार दूसरों पर आरोप मढ़ने के बजाय भारत के पड़ोसी देश चीन से सीख लेते हुए कुछ सार्थक प्रयास करें। इतना ही नहीं चीन से जल्‍द वह तकनीक खरीदनी चाहिए जिससे उसने जानलेवा प्रदूषण पर नियंत्रण पाया है। दिल्ली सरकार अगर ऐसा कोई सार्थक कदम उठाती है तो प्रदूषण से लोगों के फेफड़े छलनी हो रहे वह सुरक्षित बच सकेगे।

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बता दें जो स्मॉग दिल्ली के लोगों के लिए ही परेशानी का सबब नहीं है बल्कि पहले चीन के लोगों को भी इस समस्या से दो चार होना पड़ता था। 2013 में विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में चीन के शहर सबसे ऊपर थे। धुंध की मोटी चादर से ढके रहने वाले चीन के शहरों विशेष रूप से बीजिंग के कारण चीन की दुनिया भर में आलोचना होती थी। बीजिंग के लोगों की मास्क लगाई हुई तस्वीरें दुनिया भर में सुर्खियां बनती थीं। दिल्ली में भले ही स्मॉग का कोई सॉल्यूशन न ढ़ूढ़ा गया हो लेकिन चीन ने इस समस्या का समाधान खोज लिया था। इसीलिए वहां की जागरुक सरकार ने एक चीन ने सौ मीटर ऊंचा एक ऐसा एयर प्यूरीफायर बनाया है, जो प्रदूषित हवा को साफ करता है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा एयर प्यूरीफायर है। इसकी लंबाई 328 फीट है। दुनिया का सबसे बड़ा एयर प्यूरीफायर दस वर्ग किलोमीटर एरिया में स्मॉग को घटाने में कारगर है। इसे उत्तरी चीन के शांग्सी प्रांत में बनाया गया है, ताकि देश को बढ़ते वायु प्रदूषण से कुछ हद तक राहत दिलाई जा सके। इस प्यूरीफायर के शुरुआती नतीजे तो अच्छे रहे हैं। एयर क्वालिटी में भी पहले के मुकाबले सुधार हुआ है।

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2014 में भारत सरकार कहती थी कि दिल्ली में बीजिंग की तुलना में कम प्रदूषण है। अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने आंकड़े जारी किए थे जिसके अनुसार भारत में गर्मियों व मानसून की हवा बीजिंग की तुलना में साफ रहता है। केवल सर्दियों में हवा की गुणवत्ता खराब होती है या कहें बीजिंग की तरह होती है। लेकिन पांच साल में बिलकुल बदलवा आ चुका है। चीन में लगे इस विशालकाय एयर प्‍यूरिफायर यह रोजाना दस मिलियन क्यूबिक मीटर साफ हवा की सप्लाई करता है। प्रदूषित हवा एयर प्यूरीफायर में बने ग्लास हाउस में इकठ्ठा होती है और सौर उर्जा की मदद से इस हवा को गर्म किया जाता है। बाद में ये गर्म हवा टावर में ऊपर उठती है और हवा साफ करने वाले फिल्टर्स से गुजरती है। सर्दी के मौसम में भी ये सिस्टम कारगर तरीके से काम करता है। क्योंकि इसके ग्रीन हाउस में लगे ग्लास सोलर रेडिएशन को सोख लेते हैं और प्रदूषित हवा को गर्म करने के लिए जरूरी उर्जा इकठ्ठा कर लेते हैं। 2014 में इस टावर के पेटेंट के लिए लगाए गए आवेदन में ये जानकारी दी गई थी कि पूरी क्षमता में ये टावर 1640 फीट की ऊंचाई हासिल कर सकता है और चौड़ाई 656 फीट तक जा सकती है।

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कुछ वर्षो पूर्व प्रदूषण के लिहाज से चीन की हालत बिलकुल भारत जैसी ही थी। चीन में सात वर्ष पहले 90 फीसद शहरों में प्रदूषण का स्तर मानकों से ज्यादा था। जिसके कारण हर वर्ष बहुत से लोगों की मौत हो जाती थी। चीन ने प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए एक के एक बाद कदम उठाए। जिसका परिणाम आज ये है कि शहरों की वायु गुणवत्ता काफी हद तक सुधर गई। कुछ समय पूर्व चीन की राजधानी बीजिंग सर्वाधिक प्रदूषित शहर था। चीन ने सबसे पहले इसी पर फोकस किया। चीन ने सबसे पहले इस शहर के आस पास की फैक्ट्रियों को बंद कर दिया। इसके अलावा धुंआ उगलने वाली स्टील तथा एल्यूमिनियम के उत्पादन को कम कर दिया। प्रदूषण फैलाने वाले लाखों वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया और हरियाली वाले वनों के पास निर्माण बंद करवा दिया। चीन के दावा किया है कि 2020 तक वह प्रमुख शहरों में जहां पहले बहुत प्रदूषण रहता था वहां वह 60 प्रतिशत प्रदूषण कर देगा। चीन इस समय कोयला की बजाय अक्षय ऊर्जा पर अपनी निर्भरता बढ़ाने और प्रदूषण को कम करने की कोशिश कर रहा है।

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चीन में प्रदूषण के पूर्वानुमान के तहत ही ऑड-इवेन व कर्मचारियों के वर्किंग शिफ्ट को लेकर एडवाइजारी जारी की जाती है। बता दें चीन में एक एजेंसी है जो लगातार वायु प्रदूषण के स्तर पर नजर रखती है और पूर्वानुमान के आधार पर अलर्ट जारी करती है। किसी भी एक दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक के 200 के ऊपर जाते ही ब्लू अलर्ट जारी कर दिया जाता है। इसके तहत धूल नियंत्रण संबंधी उपायों के साथ-साथ निजी वाहनों के परिचालन व स्कूली बच्चों की बाहरी गतिविधयों पर रोक लगाई जाती है। बच्चों व बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए विशेष हिदायतें दी जाती हैं।

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हालांकि माना जा रहा है जल्‍द ही चीन की तरह भारत में भी प्रदूषण के पुर्वानुमान के आधार पर अलर्ट जारी करने का प्रबंध किया जाएगा। मौसम की तर्ज पर अब प्रदूषण की भी सटीक भविष्यवाणी होगी। आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों ने प्रदूषण की सटीक भविष्यवाणी देने वाली डिवाइस तैयार कर केंद्र सरकार को सौंप दी है। डिवाइस पंद्रह दिन पहले ही जानकारी देगा कि कि कौन से स्थान पर कौन सा कारक पीएम 2.5 स्तर बढ़ाने वाला है। इस डिवाइस के माध्यम से सरकार प्रदूषण फैलाने वाले कारकों की रोकथाम करेगी। आईआईटी दिल्ली के पर्यावरण व प्रदूषण विशेषज्ञ व सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण रोकथाम के सलाहकार प्रो. मुकेश खरे के मुताबिक, मौसम की तर्ज पर प्रदूषण की सटीक भविष्यवाणी देने वाली डिवाइस तैयार करके सरकार को पंद्रह दिन पहले सौंप दी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ) इस डिवाइस के माध्यम से काम करेगा।

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English summary
Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal should buy the technology from China that has controlled pollution. How China found pollution control. Those measures should work in Delhi. China claims 60 percent pollution by 2020.
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