कैश के लिए किचकिच क्यों? जब हाथ में एटीएम और फोन में हैं इंटरनेट
बेंगलुरू। एटीएम मशीन और इंटरनेट बैंकिंग के बढ़ते प्रचलन के दौर में बैंक जाकर कैश और अन्य बैंकिंग गतिविधियों के लिए किसके पास फुरसत है। भाग-दौड़ भरी जिंदगी में क्या युवा और क्या बुजुर्ग हर किसी के पास टाइम की किचकिच है ऐसे में भला कौन कैश की किचकिच के लिए कैश वाउचर फॉर्म कर बैंक में लाइन लगकर बैंक कैशियर से कैश की डिमांड करने जाता है।
यह अब बीते जमाने की बात हो चुकी हैं, क्योंकि तकनीकी युग का युवा समय और सरलता से अधिक सरोकार रखता है। ऐसा अनुमान है कि नई पीढी अब बैंकिंग कार्यों के लिए एटीएम मशीन और इंटरनेंट बैंकिंग और वॉलेट मनी पर अधिक निर्भर हो चुकी है। आजकल तो डिमांड ड्राफ्ट और चालान के लिए भी बैंक जाने की भी जरूरत नहीं रह गई है।
आधुनिक युग में बढ़ती तकनीकी का ही असर है कि वर्तमान समय में बैंक में खासकर युवाओं को नहीं पाया जाता हैं, क्योंकि युवाओं की अधिकांश जरूरत की बैंकिंग कार्य तकनीकी ने मोबाइल फोन के जरिए उस तक आसानी से पहुंच रही हैं। मसलन, कैश चाहिए तो एटीएम कार्ड से पैसे आसानी से निकाल लेता है, मनी ट्रांसफर करना है अथवा किसी से पैसा मंगवाना है तो वह इंटरनेट बेस्ड मोबाइल एप्लीकेशन की मदद ले रहा है।
इतना ही नहीं, आज कल पीपीएफ, रिकरिंग, डीमेट और सेविंग एकाउंट भी घर बैठे ऑनलाइन आसानी से खुल रहे हैं। संभावना की जा सकती है कि भविष्य में बैंकों का वजूद भी खत्म हो सकती है, क्योंकि उपभोक्ताओं को उनकी जरूरत उनके लैपटॉप और मोबाइल फोन पर ही उपलब्ध हो रही है, फिर बैंक खुले रहे या बंद किसे फर्क पड़ेगा।
वर्तमान समय में सबसे बड़ा और मौजू सवाल यह है कि बैंकिंग के लिए उपलब्ध तकनीकी से उपभोक्ता कितने जानकार हैं, क्योंकि इंटरनेट बैंकिंग के जरिए पैसों के ट्रांसफर और खरीदारी के लिए तकनीकी रूप से सक्षम उपभोक्ता के लिए वर्तमान समय में बैंकिंग 24x7 उपलब्ध होते हैं और उपभोक्ता जब चाहे, जहां इंटरनेट का प्रयोग करके पैसे का आदान-प्रदान सरलता और सुरक्षित तरीके से कर पा रहा है। भविष्य में प्लास्टिक मनी और वॉलेट मनी और यूपीआई मनी ट्रांसफर ने कैश की जरूरत को पूरी तरह से खत्म कर दिए हैं।
शायद यही कारण हैं कि भविष्य की कल्पना करते हुए विभिन्न सरकारी और निजी बैंकों ने एटीएम मशीनों को बंद करने और एटीएम मशीन की संख्या में कटौती करने की योजना बनाने लगी हैं। आप खुद से सवाल कीजिए कि आप पैसे निकालने के लिए कब और कितने दिन पहले अपने होम बैंक या किसी भी बैंक शाखा में पिछली बार कब गए थे। कैश आहरण की बात को किनारे रखिए, आजकल लोग बैंक एकाउंट खुलाने, फिक्स डिपॉजिट और इंश्योरेंस खरीदने तक के लिए बाहर नहीं निकलना पसंद नहीं करते हैं।
बदलते दौर में बैंकिंग न केवल आसान हुई है बल्कि सुरक्षित भी हुई है। बैंक उपभोक्ताओं के बैंकिंग इससे पहले कभी इतनी आसान भी नहीं रही है। यह अलग बात है कि इंटरनेट पर हैकर्स और साइबर चोरों को खतरा भी कम नहीं है। यही कारण है कि बढ़ती तकनीकी के साथ बैंकिंग के साथ खतरा भी बढ़ा है, लेकिन थोड़ी समझदारी के साथ इंटरनेट बैंकिंग की इन समस्याओं से आसानी से निपटा जा सकता है। क्योंकि हर सुविधा के साथ अच्छे और बुरे दोनों चीजे साथ आती है और उसके उपयोग में सावधानी से ही खतरा टल जाता है। तो आइए समझते हैं कि इंटरनेट बैंकिंग और उसके खतरे से कैसे बचा जा सकता है-
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नेट बैंकिंग में यूजर आईडी और पासवर्ड हैं कैशियर
नेट बैंकिंग में यूजर आईडी और पासवर्ड ही बैंक उपभोक्ता सिग्नेचर या फिंगरप्रिंट हैं। अतः इसमें सावधानी सबसे जरूरी पहलू है। कुछ भी हो जाए, लेकिन अपना यूजर आईडी और पासवर्ड गुप्त रखें और इसे किसी के साथ साझा न करें। अक्सर आप जिस सिस्टम से नेट यूज करते हैं सिस्टम हैकर उससे पासवर्ड चुराने की कोशिश करते हैं। ऐसे में जरूरी है जब घर के सिस्टम से नेट बैंकिंग कर रहे हो, उस दौरान बीच -बीच में अपना पासवर्ड चेंज करते रहें। कभी भी फोन पर अपना यूजर आईडी, पासवर्ड, URN नंबर, OTP आदि न साझा करें।
नेट बैंकिंग के दौरान सबसे बड़ा खतरा पासवर्ड हैकिंग
नेट बैंकिंग के दौरान सबसे बड़ा खतरा पासवर्ड हैक होने का रहता है। इसे ध्यान में रखते हुए जरूरी है कि घर के सिस्टम से ही नेट बैंकिंग यूज करें। यदि ऑफिस या सायबर कैफे के सिस्टम से नेट बैंकिंग कर रहे हैं तो हमेशा ध्यान रखें कि सिस्टम में एंटी वायरस का अपडेटिड वर्जन मौजूद है। अक्सर हैकर यूआरएल लिंक के माध्यम से अकाउंट हैक करते हैं। ऐसे में प्राइवेट या ऑफिस सिस्टम पर कभी भी लिंक्स का इस्तेमाल न करें। कोशिश करें कि जब भी नेट बैंकिेंग यूज करें तो बैंक का एड्रैस डाले, हमेशा टाइप करें।
लॉटरी या डोनेशन संबंधी मेल को क्लिक करने से बचें
प्रायः हम सभी के ई-मेल पर अक्सर लॉटरी या डोनेशन संबंधी मेल आती हैं, जो आपसे आपका अकाउंट नंबर मांगती हैं। ऐसी किसी भी मेल का जवाब न दें जहां आप से नेट बैंकिंग की जानकारी, पासवर्ड या फिर सुरक्षा की नजर से जन्म तिथि, मां का मिडल नाम आदि जैसी जानकारी की मांगी जा रही हो, क्योंकि ऐसा अक्सर होता है कि हम अनचाहे ही ऐसे मेल पर क्लिक कर बैठते हैं और लालच में आकर अपना बैंक एकाउंट डीटेल उन्हें सौंप देते हैं, जिससे हैकर्स के आसानी से शिकार हो जाते हैं।
ऑनलाइन लेन देन की एक निश्चित सीमा तय करना जरूरी
ऑनलाइन फंड ट्रांसफर की सुरक्षा के लिए बैंक ट्रांसफर की मैक्सिमम लिमिट का ऑप्शन देते हैं। इसका जरूर ध्यान रखें। ऑनलाइन ट्रांसफर या मर्चेंट ट्रांस्जेक्शन अपने नेट बैंकिंग एकाउंट में खाते की राशि और लेन देन की एक निश्चित सीमा तय कर लें। नेट बैंकिंग के जरिए जिस किसी को भी पैसे ट्रांस्फर कर रहे है उसका एकाउंट नंबर कंफर्म कर लें क्योंकि गलत खाते में पैसे डालना केवल आप ही की गलती मानी जाएगी।
बैंकिंग अलर्ट भी सुरक्षा का बेहतर तरीका
मोबाइल पर आने वाले बैंकिंग अलर्ट भी सुरक्षा का बेहतर तरीका है। ऐसे में अपना मोबाइल नंबर और ई-मेल एड्रेस को ट्रांस्जेक्शन से संबंधित अलर्ट्स के रजिस्टर करवाएं। साथ ही साथ अगर कोई बदलाव करते हैं तो बैंक को अपडेट करते रहें। अगर नेट बैंकिंग इस्तेमाल के दौरान किसी भी तरह की परेशानी आती है तो तुरंत बैंक को सूचित करें।
अनऑथोराइज्ड ट्रांसजेक्शन से मिलेगी सुरक्षा
इंटरनेट बैंकिंग की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि उपभोक्ता समय समय पर अपना एकाउंट चेक करते रहना चाहिए ताकि पता लगाया जा सके कि कोई अनऑथोराइज्ड ट्रांसजेक्शन तो नहीं हुई है और अगर हुई है तो उसी समय बैंक को सूचित करें।