क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

गांधी परिवार का इतना मोह क्यों है कांग्रेस को: नज़रिया

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पार्टी की बुरी हार के बाद इस्तीफ़े की पेशकश की, तो कांग्रेस में हंगामा मच गया. उन्हें कांग्रेस नेताओं ने पद पर बने रहने और इस्तीफ़ा न देने के लिए कई बार मनाया. और फिर पार्टी के नेताओं ने साफ़ कहा कि राहुल नहीं तो कोई और नहीं. यानी लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी और कांग्रेस के अध्य़क्ष आज की तारीख में अध्यक्ष बने रहे.

By अपर्णा द्विवेद्वी
Google Oneindia News
राहुल गांधी
Reuters
राहुल गांधी

लोकसभा चुनाव के बाद देश की दोनों बड़ी पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी नये अध्यक्ष की तलाश में जुटी थीं. बीजेपी इसलिए खोज रही थी क्योंकि उनके अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी को भारी जीत दिलाई और खुद भी शानदार जीत हासिल की और अब वो गृह मंत्री बन गए हैं.

तब पार्टी को लगा कि एक व्यक्ति पर दोनों ज़िम्मेदारी नहीं डाली जा सकती है. फिलहाल बीजेपी ने ये फैसला किया है कि पार्टी के आंतरिक चुनाव होने तक अमित शाह अध्यक्ष बने रहेंगे.

वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पार्टी की बुरी हार के बाद इस्तीफ़े की पेशकश की, तो कांग्रेस में हंगामा मच गया. उन्हें कांग्रेस नेताओं ने पद पर बने रहने और इस्तीफ़ा न देने के लिए कई बार मनाया.

और फिर पार्टी के नेताओं ने साफ़ कहा कि राहुल नहीं तो कोई और नहीं. और कांग्रेस को भी अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष वापस मिल गया.

यानी लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी और कांग्रेस के अध्य़क्ष आज की तारीख में अध्यक्ष बने रहे. अंतर सिर्फ इतना है कि बीजेपी का अध्य़क्ष आने वाले समय में बदल सकता है लेकिन कांग्रेस ने अपना अध्यक्ष ना बदलने का फैसला कर लिया.

एक पार्टी ने अपने अध्यक्ष को उनकी काबिलियत पर बरकरार किया तो दूसरी पार्टी ने अपने अध्यक्ष को उनके नाम पर जाने नहीं दिया. यहीं अंतर पार्टी का भविष्य तय करता है.

राहुल गांधी और सोनिया गांधी
Getty Images
राहुल गांधी और सोनिया गांधी

कांग्रेस की कोर कमेटी की बैठक

राहुल गांधी के इस्तीफे की पेशकश से कई तरह की संभावनाएं जतायी जाने लगी थी. खास तौर पर जब राहुल गांधी ने इस्तीफे के बाद कहा था कि वो किसी भी हालत में वापस नहीं आना चाहते हैं और किसी गैर-गांधी को पार्टी की कमान देने चाहिए.

तो कांग्रेस में एक तरफ हाहाकर मच गया और राहुल गांधी की प्रति अपनी वफादारी साबित करने में लगे हैं. मतलब 100 साल से ज्यादा पुरानी पार्टी में टीना (देअर इज नो अल्टरनेटिव) प्रभाव दिखने लगा.

ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने भीतर गहन चर्चा नहीं की लेकिन नए नेता के नेतृत्व के तहत चुनाव लड़ने के बजाय वो पुराने चेहरे या गांधी परिवार पर ही भरोसा करना पसंद करते हैं.

सबसे मजेदार बात ये ही कि कांग्रेस कोर कमेटी की मीटिंग में न तो राहुल गांधी थे, न सोनिया गांधी और न ही प्रियंका गांधी वाड्रा.

बताया जा रहा है कि राहुल गांधी विदेश में हैं और सोनिया गांधी और प्रियंका वाड्रा तो रायबरेली के दौरे पर थीं.

ऐसे में कांग्रेस बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठतम नेता एके एंटनी ने की और साथ में अहमद पटेल, पी. चिदंबरम, जयराम रमेश, गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड्गे, केसी वेणुगोपाल, आनंद शर्मा और रणदीप सुरजेवाला जैसे नेता भी थे.

राहुल गांधी
Reuters
राहुल गांधी

कांग्रेस के अध्यक्ष पद

करीब सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस पार्टी में भले ही सोनिया गांधी सबसे अधिक समय तक अध्यक्ष पद पर आसीन रही हो, किंतु आजादी के बाद पार्टी का नेतृत्व करने वाले कुल 18 नेताओं में से 14 नेहरू-गांधी परिवार से नहीं हैं.

राहुल गांधी नेहरू-गांधी परिवार की पांचवीं पीढ़ी के पांचवें ऐसे व्यक्ति हैं जो कांग्रेस अध्यक्ष बने थे.

आजादी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नजर डाले तो जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री रहते समय पांच वर्ष, इंदिरा गांधी भी करीब पांच वर्ष, राजीव गांधी भी करीब पांच वर्ष तथा पीवी नरसिंह राव ने भी करीब चार वर्ष तक इस जिम्मेदारी को संभाला.

कांग्रेस में लालबहादुर शास्त्री एवं मनमोहन सिंह दो ऐसे नेता हैं जो प्रधानमंत्री तो बने किन्तु वे पार्टी के अध्यक्ष नहीं बन पाये.

आजादी के बाद सोनिया जहां 19 वर्ष तक कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहीं, वहीं इस मामले में दूसरे स्थान पर उनकी सास इंदिरा गांधी रहीं जिन्होंने अलग-अलग बार कुल सात साल तक इस दायित्व को निभाया.

सोनिया गांधी
AFP
सोनिया गांधी

हालांकि बाकी गैर गांधी अध्यक्ष दो से चार साल तक रहे. 1996 में कांग्रेस अध्यक्ष बने सीताराम केसरी और सोनिया गांधी के बीच के मतभेद को तो बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव में बाकयदा भुनाया.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक चुनाव रैली में कहा कि "देश को पता है. सीताराम केसरी, दलित, पीड़ित, शोषित समाज से आए हुए व्यक्ति को पार्टी के अध्यक्ष पद से कैसे हटाया गया."

सीताराम केसरी का मानना था कि वो एक आम कार्यकर्ता से पार्टी के अध्य़क्ष पर चुने गए थे. उनका ये गुमान काफी लोगों को खलता था और गांधी परिवार के नजदीकी लोगों को लगता था कि केसरी अपने आप को एक सामान्य पृष्ठभूमि का नेता बताकर सोनिया और नेहरू-गांधी परिवार को चुनौती दे रहे हैं.

1998 में कांग्रेस में एक बड़े ड्रामे के बाद केसरी को पद से हटा कर सोनिया गांधी को अध्यक्ष पद दिया गया था.

केसरी प्रकरण का डर

राहुल गांधी के इस्तीफे के पेशकश के बाद सोनिया गांधी ने कहा था कि वो राहुल के ऊपर है कि वो पार्टी का पद लेना चाहते हैं या नहीं लेकिन सूत्रों के मुताबिक केसरी प्रकरण का डर सोनिया गांधी और उनके समर्थको में अभी भी है.

पार्टी के नए नेतृत्व का मतलब नई विचारधारा और नए सिरे से काम करना होगा.

फिलहाल मठाधीश बने सारे कांग्रेस नेताओं भले ही जनता में साख खो चुके हैं लेकिन पार्टी में अपने पद को नहीं खोना चाहते हैं. यही वजह है कि वो राहुल गांधी को छोड़ने से डरते हैं.

राहुल गांधी
EPA
राहुल गांधी

राहुल गांधी की इस्तीफ़े की पेशकश

वैसे सवाल राहुल गांधी के इस्तीफ़े की पेशकश पर भी लग रहे हैं. क्योंकि अगर वो वाकई कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ना चाहते थे और इस्तीफ़े की पेशकश महज दिखावा नहीं थी - तो वो इस पर विचार के लिए कांग्रेस की कोर कमेटी नहीं बैठती.

राहुल गांधी को लगता है कि उन्होने 2019 के चुनाव में काफी काम किया है लेकिन उन्हें पार्टी से उस तरह का समर्थन नहीं मिला जिसकी उम्मीद थी.

पर राहुल गांधी भी सक्रिय रूप से उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के बाद उतरे. उससे पहले तो वो अध्यक्ष पद संभालने को तैयार नहीं थे. एक-डेढ़ साल में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का प्रदर्शन वाकई बेहतर हुआ लेकिन उसके कई कारण थे.

राहुल गांधी की स्टार पॉवर के अलावा गठबंधन की राजनीति थी. लेकिन इस गठबंधन को भी बरकरार रखना कांग्रेस के लिए मुश्किल होता जा रहा है.

हाल ही में जब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव जीतने के बाद 2024 के लिए बीजेपी सदस्यता को बढ़ाने की बात कही तो कांग्रेस के नेताओं ने लंबी सांस भरी और कहा कि वहां पर फिर से ज़मीन मजबूत की जा रही है और हमारे अध्यक्ष विदेश में छुट्टी मना रहे हैं.

कांग्रेस समर्थक
AFP
कांग्रेस समर्थक

हालांकि कांग्रेस की बुरी हालत के लिए वहां के सारे नेता जिम्मेदार हैं. कोई भी पार्टी की सबसे बड़ी ताकत उसका संगठन और कार्यकर्ता होते हैं.

कमजोर संगठन और कार्यकर्ताओं का गिरता मनोबल, जमीन से ना जुड़े नेताओं का ऊपर उठना कांग्रेस की बुरी स्थिति के लिए जिम्मेदार है.

इन सब पर ध्यान ना देकर कांग्रेस के नेता अपनी असुरक्षा के चलते राहुल गांधी के पीछे खड़े हैं.

जब राहुल गांधी ने इस्तीफ़े की पेशकश की थी तो मीडिया से लेकर आम जनता ने इसका समर्थन करते हुए सुझाव दिया था कि राहुल को कश्मीर से कन्याकुमारी तक पद यात्रा करते हुए कांग्रेस के पक्ष में लोगों का समर्थन लेना चाहिए.

लेकिन क्या राहुल गांधी और उनकी पार्टी ये मेहनत करेगी?

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Why Congress is so fascinated by the Gandhi family?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X