जानिए, क्या है पुडुचेरी CM नारायणसामी और दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल में समानता ?
बेंगलुरू। मुख्यमंत्री वी नारायणसामी केंद्रशासित प्रदेश पुड्डचेरी को ट्रांसजेंडर प्रदेश घोषित करने की मांग की है। पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी से अदावत के लिए मशहूर नारायणसामी इस बार केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार को पुडुचेरी के साथ मनमाना सुलूक करती है।
उनका मानना है कि केंद्रशासित प्रदेश होने के कारण जनता की चुनी हुई सरकार को पुडुचेरी को काम नहीं करने दिया जाता है। उप राज्यपाल किरण बेदी पर प्रदेश के कामकाज और फैसलों पर जबरन दखलदांजी का आरोप लगाते हुए नारायणसामी ने कहा कि पुडुचेरी को केंद्र सरकार को ट्रांसजेंडर घोषित कर देना चाहिए, क्योंकि पुडुचेरी की चुनी हुई सरकार कोई भी फैसला करने में अक्षम है।
पुडुचेरी के उपराज्यपाल कामकाज के तरीके के बड़े आलोचक मुख्यमंत्री नारायणसामी किरण बेदी की तुलना कर चुके हैं और उन्हें जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर की 'बहन तक बता चुके हैं। नारायणसामी मंत्रिमंडल के फैसलों पर जब एलजी कैंची चलाती हैं, तो नारायणसामी आपे से बाहर हो जाते है।
मीडिया को बयान देते हुए नारायणसामी ने एक बार कहा कि जब एलजी किरण बेदी उनके फैसलों को नकारती हैं तो उनका खून 'खौल' जाता है। हालांकि नारायणसामी और किरण बेदी की अदायत तब से हैं जब उन्हें पुडुचेरी का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और उनके एलजी बनने के बाद से ही नारायणसामी किरण बेदी के तेज-तर्रार रवैये से नाराज हो गए।
किरण बेदी के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाने वाले नारायणसामी ने आरोप हुए नारायणसामी का कहना है कि एलजी चुनी हुई सरकार के फैसलों को ठुकराकर सरकार के नियमित कामकाज में 'बेवजह' दखल देती है। हालांकि सीएम नारायणसामी की शिकायत हूबहू केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह हैं, जो दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग से अदावत के लिए मशहूर हैंं।
नारायणसामी ने पुडुचेरी की सरकार के साथ केंद्र सरकार द्वारा अनुचित व्यवहार का आरोप लगाते हैं कि पुडुचेरी में जीएसटी लागू करते समय राज्य की तरह व्यवहार किया जाता है, लेकिन जब ऐसी योजनाओं की बात आती है, जिन्हें पुडुचेरी में लागू करने की जरूरत होती है तो उन्हें केंद्रशासित प्रदेश बता दिया जाता है।
उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री नारायणसामी कहते हैं कि केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी को केंद्र सरकार द्वारा केवल 1570 करोड़ का फंड दिया गया है, जबकि यह लगभग 3500 करोड़ का है। केंद्र पर पुडुचेरी के साथ भेदभाव किए जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों के साथ केंद्र अलग-अलग तरह से रवैया करता है।
केंद्रशासित प्रदेश के रूप में पुडुचेरी की सीमितता और फैसलों में केंद्रशासित प्रदेश अनिवार्यता पर खीझते हुे नारायणसामी कहते हैं कि चूंकि पुडुचेरी न पूरी तरह से राज्य है और पूरी तरह से केंद्रशासित प्रदेश है इसलिए उन्होंने पुडुचेरी को ट्रांसजेंडर घोषित करने की मांग की है।
उल्लेखनीय है एलजी किरण बेदी और मुख्यमंत्री नारायणसामी के बीच अदावत की शुरूआत जनवरी, 2017 में हुई जब किरण बेदी ने सीएम नारायणसामी के एक आदेश को निरस्त कर दिया है। नारायणसामी ने आर्डर दिया था कि अधिकारी कामकाज के दौरान सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
If Puducherry has to be a progressive UT it cannot be retrograde in communications. Hence @CM_Puducherry's order stands cancelled:@PMOIndia pic.twitter.com/26RzCcuJIM
— Kiran Bedi (@thekiranbedi) January 5, 2017
नारायणसामी को एलजी किरण बेदी द्वारा पुडुचेरी सरकार द्वारा फैसले की खिलाफत करने और सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर के माध्यम से उनके फैसले की आलोचना करना पसंद नहीं आया थाा। एलजी किरण बेदी ने ट्विवटर पर सीएम नारायणसामी के फैसले के खिलाफ लिखा था, यदि प्रगतिशील रहना है तो संचार में पीछे नहीं हो सकते।
वहीं, हाल ही में सिंगापुर यात्रा को लेकर भी नारायणसामी और एलजी किरण बेदी के बीच जुबानी जंग छिड़ गई थी। सीएम नारायणसामी का आरोप है कि केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद ही उद्योग मंत्री शाहजहां और द्रमुक विधायक शिवा के साथ सिंगापुर गए थे और उन्होंने खुद ही यात्रा का खर्च उठाया था, लेकिन उपराज्यपाल ने जबरन उनकी सिंगापुर यात्रा पर सवाल उठाए।
बकौल नारायणसामी, हमें अपनी यात्रा के लिए बेदी की मंजूरी की जरूरत नहीं है, क्योंकि पुडुचेरी सरकार उनकी नौकर या गुलाम नहीं हैं। दरअसल, एलजी किरण बेदी ने मंत्रियों के सिंगापुर यात्रा की समुचित मंजूरी को लेकर सवाल उठाया था।
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