LAC पर चीन अचानक आक्रामक क्यों हुआ और कैसी है भारत की तैयारी, जानिए
नई दिल्ली- चीन ने अप्रैल-मई के महीने से एलएसी पर अचानक जो अपनी आक्रामकता दिखानी शुरू की थी, उसकी कोई एक वजह नहीं हो सकती। ऐसे कइ मुद्दे हैं, जिसपर से वह दुनिया का ध्यान भटकाना चाह रहा होगा और हो सकता है कि वह सब मिलाकर ऐसी परिस्थितियां बनी जिसके चलते ड्रैगन ने ऐसा कदम उठाया। यह संभावना दोनों देशों के बीच कूटनीतिक बातचीत की जानकारी रखने वाले एक बड़े अधिकारी ने जताई है। हालांकि, बीते दिनों में चीन की सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जिस तरह के हालात पैदा किए हैं, उसे भारत अब जरा भी बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है। भारतीय सेना ने अपने सैनिकों से साफ कह दिया है कि अगर अब कभी पीएलए की ओर से जानबूझकर उकसावे वाली कार्रवाई हो तो वो देखते ही गोली मार दें। (पहली तस्वीर-सौजन्य: Leh.nic.in)
एलएसी पर अब धक्का-मुक्की की कोशिश हुई तो मार दी जाएगी गोली
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब भारतीय सेना लाठी-डंडों या पत्थरों से होने वाली किसी झड़प में नहीं उलझेगी। भारत ने चीन से दो टूक कह दिया है कि अब उसने पीएलए के जवानों को आगे बढ़ाने की कोशिश की तो भारत अब गोलियों से जवाब देगा। सेना ने फॉर्वर्ड पोस्ट पर तैनात जवानों को साफ निर्देश दे दिया है कि उनकी पोस्ट पर किसी भी तरह के आक्रामक ऐक्शन या भारी संख्या में पीएलए के जवान अगर डंडों-भाले या किसी तरह के हल्के-फुल्के कामचलाऊ हथियारों से लैस होकर हमले की कोशिश करें तो वह उन्हें गोली मार सकते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा है कि, 'उन्हें (पीएलए) पता चल गया है कि अब धक्का-मुक्की वाली हरकत बर्दाश नहीं की जाएगी। उन्हें बता दिया गया है कि हल्के-फुल्के हथियारों से काम नहीं चलेगा।
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जवानों को दिए गए SIG Sauer 716 असॉल्ट राइफल
चीन ने एलएसी पर पिछले चार महीनों में किस तरह से हिंसक झड़पों को अंजाम दिया है, यह बात अब जगजाहिर हो चुकी है। उसने शुरू में फायरिंग नहीं करने के नियम के बहाने पारंपरिक तौर पर बहुत ही घातक हथियारों को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इसलिए भारत ने उससे कह दिया है कि अब गोलियों से जवाब मिलेगा। यही वजह है कि अब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सभी संघर्ष वाली जगहों पर भारतीय जवानों को SIG Sauer 716 असॉल्ट राइफलें थमा दी गई हैं, जो अमेरिका से खरीदी गई है। जहां तक एलएसी पर चीन से निपटने की बात है तो इसके लिए भारत ने अपने दम पर तैयारी कर रखी है और वह किसी मित्र देश के भरोसे नहीं है। यही नहीं चीन अभी तक कूटनीतिक और मिलिट्री बातचीत के दौरान दो-दो चेहरा दिखाकर भारत को मनोवैज्ञानिक तौर पर उलझाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन, छठी दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत में विदेश मंत्रालय के अधिकारी की मौजूदी ने चीन की इस चालबाजी को भी नाकाम कर दिया गया है। अब चीन जो बातचीत में कहेगा, उसे एलएसी पर भी करके दिखाना होगा।
5 मई से चीन ने अचानक आक्रामकता दिखानी शुरू की
एलएसी पर हालात अचानक इतने कैसे बिगड़ने शुरू हुए कि गलवान में हिंसक झड़प हो गई और पैंगोंग त्सो झील के किनारे तीन-तीन बार जंग जैसी हालत बन गई, इसके बारे में भी उन्होंने जानकारी दी है। दरअसल, 5 मई को तीन घटनाएं हुई थीं। गलवान और पैंगोंग में झड़पें हुई थीं और सिक्किम के नाकुला में भी तनाव की स्थिति बनी थी। पैंगोंग में जब भी थोड़ी टकराव की स्थिति बनती थी तो आमतौर पर फिंगर 4 के पास दोनों ओर से 30 से 40 जवान पहुंच जाते थे। लेकिन, मई में पीएलए ने 30-40 जवानों के पीछे एक दिन 1,000 से अधिक जवान भेज दिए ताकि फिंगर 4 पर कब्जा कर सके। यहां तो रोज ही टकराव की स्थिति बन जाती थी, लेकिन उस दिन जितनी संख्या में आए थे उसका अंदाजा नहीं था। हालांकि, गलवान घाटी में पहली बार चीन को एहसास हो गया कि भारतीय सेना छोड़ने वाली नहीं है। इसलिए कूटनीतक बैठक के दौरान पहली बार उसने आधिकारिक तौर पर मान लिया है कि वहां पीएलए के बटालियन कमांडर समेत कम से कम 5 जवान मारे गए थे। जबकि, भारतीय अधिकारी कहना है कि वैसे चीन के हताहत जवानों की असल संख्या उससे कई गुना ज्यादा है।
एलएसी पर अचानक आक्रामक क्यों हुआ चीन?
सवाल है कि चीन ने पिछले मई महीने से लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास जो अचानक आक्रामकता दिखानी शुरू की है, उसका मकसद क्या हो सकता है। इसके बारे में वरिष्ठ अधिकारी का संकेत है कि इसके एक नहीं कई कारण इकट्ठे हो सकते हैं। इन कारणों में जम्मू और कश्मीर का दो संघ शासित प्रदेशों में विभाजन, एलएसी के आसपास में भारत की ओर से लगातार हो रहा सामरिक ढांचागत विकास, कोविड संकट को लेकर चीन पर से दुनिया का ध्यान हटाना, हॉन्ग कॉन्ग को लेकर चीन में पैदा हो रहा आंतरिक तनाव और आंतरिक सत्ता समीकरण। चीन को इसमें कुछ हद तक कामयाबी भी मिलती दिख रही है कि कोरोना को लेकर जिस तरह से दुनिया भर में उसके खिलाफ गुस्सा था, उसपर तो आज कोई ज्यादा चर्चा ही नहीं कर रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन को तो उसने पहले ही अपने ही हिसाब से सेट कर लिया था।
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