शहीद की बहन ने पीएम मोदी से पूछा- धोनी की तरह शहीद सैनिक क्या आपकी चिट्ठी के काबिल नहीं
नई दिल्ली। महेंद्र सिंह धोनी जिन्हें उनके चाहने वाले माही के नाम से बुलाते हैं, अब क्रिकेट से रिटायर हो चुके हैं। धोनी के रिटायरमेंट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से उन्हें एक चिट्ठी लिखी गई। इस चिट्ठी में पीएम मोदी ने एक सैनिक, एक खिलाड़ी और एक कलाकार के तौर पर धोनी की सराहना की है। अब पीएम मोदी की इस चिट्ठी पर एक शहीद की बहन ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने पीएम मोदी से पूछा है कि अगर वह धोनी के लिए इस तरह की चिट्ठी लिख सकते हैं तो फिर उन सैनिकों के परिवारों वालों को कुछ क्यों नहीं कह सकते हैं जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दे दी है।
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'ऐसा क्या है जो आपको ऐसा करने से रोकता है'
मई में जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीद हुए मेजर अनुज सूद की बहन श्रुति सूद ने शुक्रवार को एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने पीएम मोदी से शिकायत की है। श्रुति ने अपनी ट्वीट में लिखा, 'मैं धोनी के मशहूर सफर पर कुछ नहीं कहना चाहती हूं लेकिन ऐसा क्या है जो हमारे पीएम नरेंद्र मोदी को इस तरह के दिल को छू लेने वाले नोट्स हमारे शहीदों के परिवारों को लिखने से रोकता है-क्या उनका बलिदान इस तरह के नोट के काबिल नहीं है?' श्रुति भी एक आर्मी ऑफिसर रही हैं। श्रुति ने आगे लिखा, 'हम थक चुके हैं। मैं बहुत दूर मेलबर्न में हूं, यह समझने में संघर्ष कर रही हूं कि मैं कैसे मदद कर सकती हूं। मेरे पिता बहादुरी से लोगों मिलते हैं और काम करते हैं। आकृति सारे दस्तावेज इकट्ठा करती हैं, अनुज के टुकड़ों को एक फाइल में समेटकर उन्हें उन लोगों को सौंपती हैं प्रशासन से जुड़े हैं और इस मसले पर बिल्कुल ही उदासीन हैं।'
अभी तक नहीं मिली मुआवजा राशि
श्रुति की ट्वीट्स देखने से पता लगता है कि शहादत के तीन माह बाद भी जो मुआवजा राशि बतौर एक्स ग्रेशिया मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल सकी है। उन्होंने लिखा, 'अगर भारतीय सेना के ऑफिसर का परिवार शहादत के तीन माह बाद भी एक्स ग्रेशिया का इंतजार कर रहा है तो फिर आप जवानों की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं?' श्रुति के पिता जो खुद एक रिटायर्ड ऑफिसर हैं उन्होंने भी इस बाबत रक्षा मंत्री को टैग करते हुए एक ट्वीट किया था। आकृति सूद, शहीद मेजर सूद की पत्नी हैं। मेजर सूद की उम्र सिर्फ 31 साल थी और जब वह अपने देश के लिए शहीद हो गए।
देश के लिए ठुकराया था कैंब्रिज का ऑफर
शहादत से पहले मेजर सूद की एक इंस्टाग्राम पोस्ट तेजी से वायरल हुई थी। यह पोस्ट ही उनके देश सेवा के उनके जज्बे को बयां करने वाली थी। है। मेजर सूद ने लिखा था, 'जो चीज सबसे ज्यादा अहमियत रखती है वह है हिम्मत और सम्मान, उन चीजों को आप अगर खो देते हैं तो आपकी अहमियत आपके बूट्स पर जमी धूल से भी कम हो जाती है। बंदूक और बूट्स आपको सैनिक नहीं बनाते हैं बल्कि उनका विश्वास आपको एक सैनिक बनाता है।' मेजर सूद ने सेना में शामिल होने के लिए दुनिया की प्रतिष्ठित कैंब्रिज यूनिवर्सिटी का ऑफर भी ठुकरा दिया था।
पिता को बेटे पर गर्व
उनके पिता ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) चंद्रकात सूद की मानें तो उनके बेटे को मौत की ट्रेनिंग दी मिली थी और उन्हें इस बात पर गर्व है। नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) के 120 कोर्स से पासआउट मेजर सूद यहां के सबसे ब्रिलीयंट कैडेट थे। मेजर सूद आईआईटी के लिए भी सेलेक्ट हुए थे मगर उन्होंने एनडीए को चुना। वह एनडीए के सभी छह टर्म्स में टॉर्च होल्डर थे और एकेडमी में इसे एक सम्मान माना जाता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (आईआईएससी) से उन्होंने हाल ही में एमटेक किया था और यहां भी डिस्टीक्शन के साथ पास हुए थे। दिसंबर 1989 में जन्में मेजर सूद सात साल पहले सेना में कमीशंड हुए थे और सितंबर 2017 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर आकृति सिंह से उनकी शादी हुई।