BJP ने IT cell के हेड अमित मालवीय को क्यों बनाया पश्चिम बंगाल का नया सह-प्रभारी
नई दिल्ली- भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर बहुत ही ज्यादा गंभीर है यह तो पहले से ही पता है, लेकिन उसने जिस तरह से पार्टी के आईटी सेल के चर्चित हेड अमित मालवीय को वहां का सह-प्रभारी नियुक्त किया है उससे पार्टी की रणनीति अभी से जाहिर हो रही है। पार्टी ने कैलाश विजयवर्गीय को वहां का प्रभारी बनाया है, जो वहां लंबे वक्त से काम कर रहे हैं। मालवीय का नाम सामने से तय लग रहा है कि पार्टी ने बीते तीन वर्षों से बंगाल की जिस सत्ता के लिए संघर्ष किया है, कई पार्टी कार्यकर्ताओं की जानें गंवाई हैं उसका चुनाव में पूरा फसल काटने के लिए पार्टी वहां सोशल मीडिया का भी आक्रामक इस्तेमाल करने वाली है। इस सेक्टर के लिए अमित मालवीय भाजपा के लिए पूरी तरह से टेस्टेड और फिट हैं और उनकी अगुवाई में बिहार में भी भाजपा के आईटी सेल ने काम करके दिखाया है।
अमित मालवीय पश्चिम बंगाल में पार्टी के सह-प्रभारी बनकर जैसे ही कोलकाता पहुंचे, उन्होंने ममता बनर्जी की तृणमूल सरकार के सामने अपना मंसूबा जताना शुरू कर दिया। उन्होंने वहां पहुंच कर ट्वीट किया, 'मुझे भरोसा है कि साथ मिलकर हम फिर से (पश्चिम बंगाल का) गौरव हासिल करेंगे। यह तभी हो सकता है जब भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण और जंगलराज वाली पीसी (ममता बनर्जी) की सरकार का खात्मा होगा। भाजपा ने जिस उम्मीद से मालवीय को बंगाल जीतने की जिम्मेदारी दी है, उन्होंने आते ही सोशल मीडिया पर अपनी तरफ से धमाल मचानी शुरू कर दी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल ने भी बंगाल में भाजपा को डिजिटल प्रचार युद्ध में टक्कर दी थी। इसलिए बीजेपी इस बार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 2021 के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने का इरादा तय कर चुकी है।
अमित मालवीय भाजपा के वह चेहरे हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद मोदी-विरोधियों के निशाने पर शायद सबसे ज्यादा रहते हैं। उनका एक ट्वीट ही, मोदी-विरोधियों में खलबली मचा देता है। चाहे शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों का विरोध हो या को दूसरा मसला मालवीय की एक टिप्प्णी पर ही सोशल मीडिया युद्धभूमि में तब्दील हो जाती है। भाजपा के विरोधी उसपर जितना हमलावर होते हैं, भाजपा समर्थक उससे कहीं ज्यादा तादाद में उसपर कहर बनकर टूटने शुरू हो जाते हैं। पश्चिम बंगाल में मालवीय की जिम्मेदारी कैडरों को इस आधुनिक प्रचार प्लेटफॉर्म के लिए तो तैयार करना ही है, पार्टी को उनसे उम्मीद है कि उनके जैसे युवा चेहरों की पार्टी में मौजूदगी की वजह से बीजेपी को युवा उद्यमियों को भी जोड़ने में सहायता मिलेगी।
बंगाल पहुंचकर उन्होंने तृणमूल सुप्रीमो और उनकी सरकार पर भाई-भतीजाबाद को लेकर हमले करने शुरू भी कर दिए हैं। ममता बनर्जी को 'पीसी' कह कर तंज करना उनका वही इरादा जाहिर करता है। क्योंकि ममता अपने भतीजे अभिषेक की पीसी (बुआ) हैं, जिनको लेकर भाजपा आक्रमक रहती है। अमित मालवीय कहते हैं कि उनके भतीजे के चलते युवा बंगालियों की राज्य में संभावनाएं खत्म हो गई हैं। 18 नवंबर को वह ट्वीट करते हैं, 'पीसी आप यह उम्मीद नहीं कर सकतीं कि बंगाल के लोग आपके खून और आतंकवाद की राजनीति का समर्थन करेंगे। बहुत हो गया। अपना दिन गिनना शुरू कर दीजिए।'
भाजपा ने कितनी उम्मीदों से मालवीय को बंगाल भेजा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह सिर्फ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष के ही पसंद नहीं हैं, उनपर प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का भी आशीर्वाद है। ये नेता चाहते हैं कि पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए वह अपनी पूरी जोर लगा दें। मालवीय को लेकर टेंशन में तृणमूल भी है, हालांकि भाजपा मीडिया सेल की आक्रमकता को वह दूसरे चश्मे से देखती है। पार्टी के एक नेता ने कहा है, 'मालवीय की टीम फर्जी खबरों को फैलाने के लिए जानी जाती है, जिससे कि बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है और वह खतरानाक है। पीछे ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें बांग्लादेश और गुजरात के दंगों की तस्वीरों को बंगाल की घटना की तरह पेश किया गया है। '
भाजपा को इल्म है कि कोविड-19 की दौर में डिजिटल प्रचार पार्टी के लिए बहुत ही कारगर हथियार है, जिसमें उसे महारत भी हासिल हैं और उसके पास मालवीय जैसे बेहतरीन खिलाड़ी भी हैं। लोकसभा चुनाव में भी बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खूब जंग हुई थी, अब मालवीय पर यहां के चुनाव अभियान की भी जिम्मेदारी है तो इसपर घमासान मचना निश्चित है।
वैसे मालवीय अप्रैल से ही मुख्यमंत्री बनर्जी को निशाने पर रखे हुए हैं। कोरोना रिपोर्ट को लेकर वह बंगाल सरकार पर तथ्य छिपाने के आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने ममता पर आरोप लगाया था कि वह कोरोना के मरीजों और मौत की संख्या छिपाने के लिए अस्पताल प्रशासन पर दबाव डाल रही हैं। इसपर टीएमसी सांसद काकोली घोष ने उन्हें 'फर्जी न्यूज में पीएचडी करने वाला व्यक्ति' बताया था। खुद ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी का आईटी सेल राई का पहाड़ खड़ा कर सकता है।
इसे भी पढ़ें- Love Jihad:भाजपा के वे बड़े मुस्लिम नेता, जिन्होंने हिंदू लड़कियों से रचाई शादी