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हिमाचल प्रदेश चुनाव: प्रचंड बहुमत से जीती बीजेपी तो भी सिर्फ 2 साल रह सकेंगे प्रेम कुमार धूमल

हिमाचल के दो बार सीएम रह चुके प्रेम कुमार धूमल को सीएम कैंडिडेट बनाकर बीजेपी ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित न करने की अपनी परंपरा को भी बदला है।

By Vikashraj Tiwari
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नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच काटे की टक्कर है। मतदान से ठीक दस दिन पहले बीजेपी ने मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप वरिष्ठ नेता प्रेम कुमार धूमल के नाम का ऐलान कर सबको चौंका दिया है। प्रेम कुमार धूमल के नाम की घोषणा के बाद अब मुकाबला दो राष्ट्रीय दलों के साथ, उनके दो बुजुर्ग नेताओं के बीच हो गया है। बीजेपी ने धूमल को चेहरा बनाकर न सिर्फ हिमाचल के चुनावी समीकरणों को बदलने की ट्रिक अपनाई है, बल्कि पार्टी पर 75 साल की उम्र सीमा तक चुनाव लड़ने के लगे तमगे को भी दूर किया गया है। लेकिन इससे भी बड़ा सवाल ये है कि क्या बीजेपी को हार के डर ने ऐसा करने पर मजबूर किया है? साथ ही दूसरा और बड़ा सवाल ये भी है कि बीजेपी ने प्रेम कुमार धूमल को केवल दो साल के सीएम के तौर चुना है।

 क्या बीजेपी ने धूमल को दो साल के सीएम के तौर पर चुना है?

क्या बीजेपी ने धूमल को दो साल के सीएम के तौर पर चुना है?

पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मौजूदा सीएम वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में एक बार फिर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। कांग्रेस के बाद अब बीजेपी ने भी सूबे में अपने बुजुर्ग नेता पर भरोसा जताया। केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से बनी बीजेपी की परंपरा के मुताबिक 75 साल से ज्यादा उम्र के नेता या तो राजनीति से बाहर हो जाते है या फिर उनको मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया जाता है। अभी प्रेम कुमार धूमल की उम्र 73 साल है अगर हिमाचल प्रदेश में जीत जाती है और धूमल सीएम बन भी जाते है तो क्या दो साल बाद बीजेपी उन्हें हटा देगी। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेता बीजेपी की मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स से केवल इसलिए बाहर है क्योंकि उनकी उम्र 75 से ज्यादा है।

 जातीय आकड़ा बनी मजबूरी

जातीय आकड़ा बनी मजबूरी

हिमाचल प्रदेश में 37 फीसदी राजपूत हैं, जिन्‍हें साधने के लिए प्रेम कुमार धूमल को बीजेपी ने मैदान में उतारा है। चूंकि कांग्रेस के सीएम कैंडिडेट वीरभद्र सिंह भी राजपूत हैं, ऐसे में धूमल को बीजेपी ने उनकी काट के तौर पर मैदान में उतारा है। भले ही सीएम कैंडिडेट के तौर पर मोदी और अमित शाह की पहली पसंद जेपी नड्डा रहे हों, लेकिन जातिगत समीकरण धूमल के पक्ष में गए, क्‍योंकि हिमाचल में ब्राह्मणों का प्रतिशत सिर्फ 18 फीसदी ही है।

 बीजेपी ने बदली अपनी परंपरा

बीजेपी ने बदली अपनी परंपरा

हिमाचल के दो बार सीएम रह चुके प्रेम कुमार धूमल को सीएम कैंडिडेट बनाकर बीजेपी ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित न करने की अपनी परंपरा को भी बदला है। 2017 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए लेकिन पार्टी ने किसी भी सूबे में चुनाव से पहले सीएम फेस की घोषणा नहीं की थी। यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में चुनाव से पहले कोई फेस सामने नहीं लाया गया। यहां तक कि सबको चौंकाते हुए बीजेपी ने यूपी में योगी आदित्यनाथ, गोवा में मोदी कैबिनेट से निकालकर मनोहर पर्रिकर और उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया।

धूमल को चुनने की ये है वजह

धूमल को चुनने की ये है वजह

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वीरभद्र सिंह हिमाचल में बड़ा कद रखते हैं। कांग्रेस ने उनके नाम का ऐलान कर चुनावी माहौल को अपनी तरफ आकर्षित करने का कार्ड खेला था, जिसका असर भी नजर आ रहा था। माना जा रहा है कि इसी के चलते बीजेपी को भी अंतिम वक्त पर सूबे के सबसे भरोसेमंद और मजबूत चेहरे प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व का ऐलान करना पड़ा।

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English summary
Why BJP changed strategy, chose Prem Kumar Dhumal as its CM candidate for Himachal Pradesh
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