गोरखपुर से BJP कैंडिडेट रवि किशन ने इसलिए हटाया शुक्ला सरनेम
नई दिल्ली- भोजपुरी सुपर स्टार (Bhojpuri Superstar) रवि किशन (Ravi Kishan) ने अपने नाम से सरनेम (Surname) क्यों हटाया यह कहानी जितनी पुरानी है उतनी ही दिलचस्प भी। दरअसल, बहुत लोग नहीं जानते कि उनका पूरा नाम रवि किशन शुक्ला (Ravi Kishan Shukla) है। लेकिन, जब वह राजनीति में कूदे हैं तो उनका सरनेम भी जगजाहिर हुआ है और उन्होंने उसे हटाने के पीछे की बड़ी कहानी भी साझा की है। रवि किशन (Ravi Kishan)पूर्वी यूपी की गोरखपुर (Gorakhpur) सीट से इस बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हैं।
रवि किशन की सबसे बड़ी उम्मीद
पूर्वांचल की गोरखपुर (Gorakhpur) की जिस सीट से रवि किशन उम्मीदवार हैं, वहां हमेशा से चुनाव जातीय समीकरणों के आधार पर लड़े और जीते जाते रहे हैं। ये बात सच है कि यह स्थिति किसी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं कही जा सकती। लेकिन, इसको लेकर रवि किशन ने जो उम्मीद जताई है वह बड़ा ही चौंकाने वाला है। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बातचीत में बताया है कि, "2019 का चुनाव जाति के आधार पर लड़ा जाने वाला आखिरी होगा। इस चुनाव के बाद जातीय वोट बैंक के जितने भी मिथक हैं, वह सब टूटने वाले हैं।"
सरनेम के कारण बाहरी बताने की हुई कोशिश
गोरखपुर में यह अफवाह खूब फैलाई गई थी कि रवि किशन (Ravi Kishan)आउटसाइडर हैं। जबकि, उनका पैतृक गांव गोरखपुर (Gorakhpur)शहर से केवल 35 किलोमीटर की दूरी पर है। शायद इसके पीछे भी उनका सरनेम (Surname)का इस्तेमाल नहीं करना बहुत बड़ी वजह रहा है। यही नहीं, उनके विरोधियों ने यह भी आरोप लगाने की कोशिश की है कि चुनाव के बाद वे फिर गोरखपुर छोड़कर मुंबई चले जाएंगे। लेकिन, वे इस आरोप का पूरी तरह खंडन करते हैं। वे कहते हैं, "मैं एक बात बिल्कुल साफ कर दूं कि मैं अपना पेशा छोड़ने नहीं जा रहा, क्योंकि आज मैं जो कुछ भी हूं उसी की वजह से हूं। और मैं इससे इस क्षेत्र में रोजगार पैदा करने की योजनाएं बना रहा हूं।" दरअसल, वे चाहते हैं कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री (Bhojpuri Film Industry) का विस्तार हो और यूपी, बिहार एवं झारखंड के युवाओं के लिए एक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की स्थापना में वे मदद कर सकें।
रवि किशन शुक्ला इसलिए बने रवि किशन
रवि किशन (Ravi Kishan)ने बताया है कि जब 16 साल की उम्र में वो एक्टिंग में करियर बनाने के लिए मुंबई पहुंचे तो उनके सामने एक बहुत बड़ी रुकावट आ रही थी। उन्हें लगा कि नाम में 'शुक्ला' सरनेम के इस्तेमाल से उनकी छवि मायानगरी में यूपी वाले 'भैया' की बन सकती है। उन्होंने ऐसी छवि से छुटकारा पाने के लिए ही पहली बार अपना सरनेम हटाया था। यही नहीं उन्होंने ये भी कबूल किया की सिर्फ रवि किशन कहलाने पर उन्हें लगा कि लोग उन्हें साउथ इंडियन समझेंगे और फिल्म इंडस्ट्री में आगे बढ़ने में इससे फायदा मिल सकता है।
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