बेंगलुरु को शुरुआत में कोरोना को कंट्रोल करने में कैसे मिली कामयाबी, बाद में क्यों हो गया फेल
बेंगलुरु को शुरुआत में कोरोना को कंट्रोल करने में कैसे मिली कामयाबी, बाद में क्यों हो गया फेल
बेंगलुरु।कनार्टक की राजधानी बेंगलुरु में कोराना का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा हैं। अपनी टेक फर्मों और स्टार्टअप्स के लिए भारत की सिलिकॉन वैली के नाम से प्रसिद्ध बेंगलुरु में 110,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। आखिर वो कौन सी वजहें हैं शुरुआती दौर में कोरोना को अच्छे से काबू पाने वाले बेंगलुरु शहर में कोरोना का अचानक विस्फोट हो गया।
बता दें पिछली 9 जून को कनार्टक स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट पर एक इन्फोग्राफिक पोस्ट शेयर किया था। इसमें कोरोना वायरस संक्रमण के मामले और मौतें प्रर्दशित की गई थी। इस इन्फोग्राफिक में दिखाया गया था कि बेंगलुरु में मौतें न्यूजीलैंड में आधी दर से चल रही थीं। जबकि न्यूजीलैंड एक ऐसा देश है, जिसकी महामारी से निपटने के लिए काफी तारीफ हुई थी। बता दें बेंगलुरु की जनसंख्या न्यूजीलैंड की जनसंख्या दोगुनी से अधिक है।
इसमें उन्होंने कैप्शन में लिखा था-"कीवियों (Kiwis) को हरा दिया। तभी मंत्री के इस ट्वीट को हजारों लोगों ने लाइक और रीट्वीट किया था । लेकिन भारत में 2,60,000 से अधिक मामले थे और न्यूजीलैंड में लगभग 1,150 मामले थे। जबकि इनकी तुलना में 1.25 करोड़ से अधिक बेंगलुरु की आबादी के बीच नये कोरोना वायरस के लगभग 450 मामले ही दर्ज किए गए थे। लेकिन अब महज दो माह में बेंगलुरु की स्थिति विस्फोटक हो रही है।
कोरोना को कंट्रोल करने में बेंगलुरु ने ऐसे पाई थी सफलता
बेंगलुरु में शुरुआती दौर में उच्च तकनीक परीक्षण और मरीजों को ट्रेस करने के लिए जो ट्रेसिंग प्रणाली अपनाई गई उसके कारण ये सफलता मिली। बेंगलुरु प्रशासन ने "वॉर रूम" में विशाल स्क्रीन देखते मास्क पहने अधिकारी शहर की निगरानी कर मामलों पर नियंत्रण पाने में सफल हुए थे। मार्च के अंत में, भारत ने दुनिया के सबसे सख्त लॉकडाउन में से एक लगाया था। जिसमें कर्नाटक राज्य अपने उपायों को सख्ती से लागू करने में इससे भी आगे था। तब बेंगलुरु में कोरोना प्रकोप का बेहतर तरीके से प्रबंधन किया था। यहीं कारण था बेंगलुरु की अपेक्षा मुंबई में केस लोड 100 गुना से भी अधिक था।
बेंगलुरु में 1,10,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं
वहीं अब लगभग ढाई माह बाद सिलिकॉन वैली बेंगलुरु में 1,10,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। जहां जून की शुरुआत में संक्रमण के मामले औसतन 25 प्रति दिन के हिसाब से बढ़ रहे थे, अब यह दर 2,500 से अधिक हो गई है। जबकि न्यूजीलैंड में, 25 अगस्त तक कुल केस लोड 1,339 था।
लेकिन शहर ने भविष्य की योजना नहीं बनाई
लेकिन भारत ने जून की शुरुआत में देशव्यापी तालाबंदी में ढील देने के बाद महामारी विज्ञानियों और शहर के सरकारी अधिकारियों ने कहा कि उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने पर्याप्त योजना नहीं बनाई है। यह अनुभव दुनिया भर के बड़े शहरों के सामने चुनौती को दिखाता है, यह दर्शाता है कि नियंत्रण से कितनी तेजी से एक प्रकोप स्नोबॉल कर सकता है। कर्नाटक राज्य के एक महामारी विज्ञानी गिरिधर बाबू ने कहा, "मामलों में वृद्धि के लिए योजना बनाने के लिए शहर में तीन से चार महीने थे, लेकिन शहर ने भविष्य की योजना नहीं बनाई थी। उन्होंने ज्यादातर अनुमान लगाया कि लॉकडाउन कार्यान्वयन पर्याप्त था।
पड़ोसी राज्यों से आए लोगों के कारण बेंगलुरु में बढ़ा खतरा
जब से जून में लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दी गई। लोग नए सिरे से सब्जी, अनाज और फूल आदि बेचने बाजारों में वापस आ गए।अधिकारियों का कहना है कि स्थानीय लोगों के अलावा महाराष्ट्र और तमिलनाडु से दसियों हज़ार यात्री अनजाने में वायरस लेकर आ रहे हैं। इन पड़ोसी राज्यों को भारत में कोविड-19 ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है।
कर्नाटक ने एक विशाल स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया
इसने सॉफ्टवेयर लॉबी नैस्कॉम के साथ मिलकर आधा दर्जन आईटी फर्मों से 150 कर्मचारियों को जुटाकर एक केंद्रीय प्रणाली में 20,000 अंतरराष्ट्रीय यात्री रिकॉर्ड हर दिन जांचे। कर्नाटक ने एक विशाल स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया। लगभग 1 करोड़ 60 लाख घरों का सर्वेक्षण करते हुए, 40,000 से अधिक सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारी गुलाबी वर्दी और मास्क पहने पूरे में राज्य को घूमे। केंद्र सरकार की एक स्टडी के मुताबिक कर्नाटक ने 22 जनवरी से 30 अप्रैल के बीच हर कोविड-19 संक्रमित रोगी के 47.4 कॉन्टैक्ट्स की जांच की थी। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत सिर्फ 6 था।
बेंगलुरू अब ऐसे क्षेत्रों को कर रहा सील
बेंगलुरु के 'वॉर रूम' को चलाने वाली एक अधिकारी कोरलपति ने कहा कि जून के अंत से, बेंगलुरू उन क्षेत्रों को सील कर रहा है जहां मामलों में तेजी से बढोत्तरी हो रही हैं। इस प्रक्रिया में प्रवेश और निकास बिंदुओं पर बैरिकेड्स लगाना शामिल है। जिससे पूरा पड़ोस क्वारंटाइन हो जाता है।
बाहरी लोगों के यहां आने से बढ़े कोरेाना केस
कर्नाटक के स्वास्थ्य आयुक्त पंकज पांडे ने कहा, "हम इन दोनों राज्यों के बीच पहले से ही बहुत ज्यादा वायरल लोड थे। इसलिए यहां कोरोना के केस बढ़ना लाजमी था।"उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की अनुमानित 45,000 और तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 20,000 से अधिक लोग जून में बेंगलुरु आए। बेंगलुरू के एक अधिकारी ने कहा, "शुरुआती चरण में, बैंगलोर में केस संख्या इतनी कम थी, कि पूरे देश में लोगों को लगा कि बैंगलोर सबसे सुरक्षित है। हो सकता है कि लोग बैंगलोर में वापस 'माइग्रेट' भी हुए हों।" हमने इनबाउंड यात्रियों को संक्रमण के प्रमुख स्रोत के रूप में नहीं देखा," अधिकारी ने कहा हमने कभी अनुमान नहीं लगाया कि बहुत से लोग आएंगे।"बेंगलुरु के नगर निकाय, बृहद बेंगलुरु महानगर पालिक (बीबीएमपी) के अधिकारियों ने इस सवाल पर प्रतिक्रिया नहीं दी कि क्या यह अपने मॉडलिंग सिस्टम में गैप को भरने में विफल रहा है।
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