क्यों इस बार अरुण जेटली को करना होगा रक्षा बजट में इजाफा
नई दिल्ली। 29 फरवरी यानी सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली देश का बजट पेश करेंगे। इससे पहले रक्षा क्षेत्र से जुड़े विशषज्ञों का कहना है कि वित्त मंत्री को इस वर्ष रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी करनी चाहिए।
सेनाओं पर खर्च करने के लिहाज से भारत नंबर छह तो अमेरिका नंबर वन
पार्लियामेंटी कमेटी ने इस बजट से ठीक पहले चेतावनी देते हुए कहा है कि डिफेंस बजट का कम होना देश की रक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
वर्ष 2016-2017 के लिए पेश होने वाले इस बजट से पहले कमेटी, जिसका अध्यक्ष मेजर जनरल बीसी खंडूरी (रिटायर्ड) करते हैं और जो कि खुद एक मंत्री रह चुके हैं, उन्होंने वित्त मंत्रालय से एक अहम सवाल पूछा है।
उन्होंने कहा है कि रक्षा मंत्रालय की ओर से आई एक चिट्ठी का जवाब देने में इतनी देर क्यों हो रही है। इस चिट्ठी में मंत्रालय ने कहा था कि सरकार के बाकी खर्चों को देखते हुए रक्षा के लिए एक खर्च तय होना चाहिए।
आगे की स्लाइड्स में जानिए कि आखिर क्यों देश के लिए एक कम बजट खतरनाक साबित हो सकता है।
मार्डनाइजेशन में तेजी
कमेटी का कहना है कि अगर रक्षा बजट कम हुआ तो फिर रक्षा क्षेत्र से जुड़े तमाम मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम की गति कम हो सकती है और इससे देश की सुरक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में बजट इस तरह का हो जिससे पहले के प्रोग्राम पर किसी तरह का कोई असर न पड़े।
कितनी रकम की जरूरत
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अगले सात से आठ वर्षों के अंदर सेना के आधुनिकीकरण के लिए कम से कम 130 बिलियन डॉलर की जरूरत होगी। रक्षा क्षेत्र वर्तमान समय में करीब 13 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इसमें अभी और इजाफे की जरूरत है और ऐसे में रक्षा बजट का बढ़ना काफी जरूरी है।
कब-कब कितना बढ़ा बजट
वर्ष 2004-2005 में रक्षा खर्च में 26.29 प्रतिशत का इजाफ हुआ था। वहीं वर्ष 2008-2009 और 2009-2010 में ही रक्षा खर्च में इतनी बढोत्तरी की गई थी। इन दोनों वर्षों में रक्षा खर्च को बढ़ाकर 24.59 और 24.13 प्रतिशत किया गया था।
रक्षा खर्च में हो रही है कटौती
वर्ष 2012-2013 के बजट के दौरान रक्षा खर्च सरकार के खर्च का 12.89 प्रतिशत। इसके बाद यह अगले बजट के दौरान गिरकर 12.81 प्रतिशत पर आ गया। पार्लियामेंट्री इस बात को लेकर खासा निराश है कि जहां सरकार का खर्च बढ़ रहा है तो वहीं रक्षा खर्च में कटौती हो रही है।
ओआरओपी
बजट के दौरान वित्त मंत्री ओआरओपी के लिए कितनी रकम तय करते हैं यह सोमवार को ही पता लगेगा लेकिन इतना तय है कि काफी लोगों की नजरें इस पर लगी होंगी। अगर वित्त मंत्री ने उन्हें निराश किया तो फिर हो सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।