सपा नेता पार्टी क्यों छोड़ रहे? आजम खान ने ये जवाब दिया
नई दिल्ली- समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और बेबाकी से अपनी राय रखने वाले आजम खान भी आजकल पार्टी के मसलों पर बहुत संभल कर बोल रहे हैं। ऐसा ही हुआ जब उनसे समाजवादी पार्टी से नेताओं के छोड़कर जाने के बारे में सवाल किया गया। उन्होंने जवाब देने के बजाय ये कह दिया कि मुझे क्यों फंसाते हो? हालांकि इस दौरान उन्होंने कुछ और नेताओं के भी पार्टी छोड़कर जाने की आशंका जाहिर कर दी।
मुझे क्यों फंसा रहे हो- आजम खान
दरअसल एनडीटीवी ने नीरज शेखर को लेकर सपा नेता आजम खान से सवाल किया था कि नेता उनकी पार्टी छोड़कर क्यों जा रहे हैं? इसपर उन्होंने कहा कि, 'मैं एक छोटा आदमी हूं, क्यों मुझे फंसा रहे हो? मुझे बहुत दुख हुआ जब नीरज शेखर छोड़कर गए। क्योंकि, उनके पिता चंद्रशेखर राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर समझौता कराना चाहते थे। हिंदू-मुस्लिम मामले को लेकर सहयोग करना चाहते थे और सुलह की पहली कोशिश की थी।'' उन्होंने पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं के बारे में ये भी कहा कि,'जो चले गए मुझे इस पर बात करने से क्या फायदा और जो जाने वाले हैं उनको रोकने से कोई फायदा नहीं।' इस दौरान आजम ने इस बात पर दुख जताया कि उनके चाचा और बहन पाकिस्तान में रहते हैं, लेकिन वे उनका चेहरा भी नहीं देख पाए, क्योंकि बिना पाकिस्तान गए ही उन्हें पाकिस्तान का एजेंट कहा जाता है।
मंगलवार को ही बीजेपी में शामिल हुए थे नीरज
मंगलवार को ही पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और उत्तर प्रदेश के बलिया के पूर्व सांसद नीरज शेखर सपा छोड़ने के बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे। कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी उन्हें उत्तर प्रदेश से ही राज्यसभा में भेजने का मन बना चुकी है। उन्होंने सोमवार को ही सपा और उसकी राज्यसभा सदस्यता भी छोड़ दिया था। नीरज शेखर अमर सिंह के बाद प्रदेश में समाजवादी पार्टी का बड़ा ठाकुर चेहरा माने जाते थे, लेकिन उनके इस्तीफे को सपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
अखिलेश के बेहद करीबी रहे हैं
सपा छोड़ते ही बीजेपी का दामन थामने वाले नीरज शेखर, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र हैं। उन्हें सपा मुखिया अखिलेश यादव का करीबी माना जाता था। 2014 लोकसभा चुनाव में जब नीरज शेखर बलिया सीट से हार गए, तो पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। नीरज शेखर 2007 के लोकसभा उपचुनाव और 2009 लोकसभा चुनाव में बलिया से सपा से सांसद रहे।