क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

करतारपुर साहिब कॉरिडोर पर क्यों बेचैन हैं डेरा बाबा नानक के लोग

रावी नदी में आई बाढ़ के कारण गुरुद्वारे को काफी नुकसान पहुंचा था. उसके बाद 1920-1929 तक महाराजा पटियाला ने इसे फिर से बनवाया था. इस पर 1,35,600 का खर्च आया था.

साल 1995 में पाकिस्तान सरकार ने इसके कुछ हिस्सों का फिर से निर्माण करवाया था. भारत-पाक के बंटवारे में ये गुरुद्वारा पाकिस्तान की तरफ़ चला गया था.

करतारपुर साहिब के बारे में 1998 में भारत ने पाकिस्तान से पहली बार बातचीत की थी. अब 20 साल बाद इस मामले में अहम क़दम उठाया जा रहा है.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
पंजाब
AFP
पंजाब

पाकिस्तान की सरहद से 100 मीटर की दूरी पर पंजाब के गुरदासपुर का डेरा बाबा नानक.

ये वो जगह है, जहां जल्द ही पाकिस्तान के करतारपुर साहिब गुरुद्वारा जाने वाले यात्रियों के लिए कॉरिडोर बनाया जाएगा.

एक कार्यक्रम में इस कॉरिडोर की नींव का पत्थर रखा जाएगा.

सोमवार को इस कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह शरीक होंगे.

ऐसे में डेरा बाबा नानक में 20-25 लोग आयोजन की तैयारियों में जुटे हुए हैं. इलाके में भारी पुलिस बल की भी तैनाती की गई है.

क्यों अहम है ये जगह?

सोमवार को होने वाले कार्यक्रम को भारत और पाकिस्तान के रिश्तों के लिए अहम माना जा रहा है.

28 नवंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान भी सरहद पार कॉरिडोर की नींव रखेंगे. करतारपुर साहिब पाकिस्तान में आता है लेकिन इसकी भारत से दूरी महज़ साढ़े चार किलोमीटर है.

अब तक कुछ श्रद्धालु दूरबीन से करतारपुर साहिब के दर्शन करते रहे हैं. ये काम बीएसएफ की निगरानी में होता है.

पंजाब
AFP
पंजाब

मान्यताओं के मुताबिक़, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में करतारपुर आए थे. उन्होंने अपनी ज़िंदगी के आख़िरी 18 साल यहीं गुज़ारे थे.

माना जाता है कि करतारपुर में जिस जगह गुरु नानक देव की मौत हुई थी वहां पर गुरुद्वारा बनाया गया था.

क्या है स्थानीय लोगों की चिंता

अब जब दोनों देशों ने करतारपुर साहिब में कॉरिडोर बनाने की पहल हो रही है, तब स्थानीय लोगों के बीच थोड़ी चिंता ज़रूर है.

इसकी वजह इलाके में अचानक सुरक्षाबलों और आने वाले लोगों की भीड़ का बढ़ना है.

बीएसएफ के एक अधिकारी ने बताया, ''अभी तक जो जानकारी मिली हैं, वो अधूरी हैं. हम नहीं जानते हैं कि कैसा कॉरिडोर बनेगा और किस तरफ़ बनेगा.''

पंजाब
AFP
पंजाब

इलाके के एक किसान हरभजन सिंह ने बताया, ''रब की मेहर से हम आज ये दिन देख रहे हैं कि सरहद पर हलचल बढ़ी है. हम ये सुन रहे हैं कि कॉरिडोर बनने में हमारे फ़ायदा होगा. लेकिन नहीं मालूम कि ऊपर वाले ने नसीब में क्या लिखा है.''

हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके बीच उत्साह का माहौल है.

इस उत्साह की वजह वो रिपोर्टें हैं, जिनमें ये कहा जा रहा है कि आने वाले वक़्त में यात्रियों के आने से प्रॉपर्टी की क़ीमतों में इज़ाफ़ा होगा.

अचानक बढ़ी भीड़

गुरुद्वारे के बाहर बीरा ख़िलौने बेचते हैं.

बीरा बताते हैं, ''यहां कभी 1500 से ज़्यादा लोग नहीं आए. लेकिन जब से कॉरिडोर बनने की बात हुई है, तब से लोगों की भीड़ बढ़ी है.''

वो कहते हैं, ''हालांकि ये तो आने वाले वक़्त में ही पता चलेगा कि ये हमारे लिए अच्छा है या बुरा. तब तक जो ये सब चल रहा है, इसी का मज़ा लिया जाए.''

पंजाब
BBC
पंजाब

पास के गांव के जोगिंदर सिंह भी ऐसी ही राय रखते हैं. इस इलाके में जोगिंदर के खेत हैं.

जोगिंदर ने कहा, ''ये सब जो हो रहा है ये देखकर अच्छा लग रहा है. लेकिन हमारी चिंता ये है कि हमें यहां से हटाया न जाए. क्योंकि आने वाले वक़्त में पर्यटकों की भीड़ यहां बढ़ेगी. उम्मीद करते हैं गुरु नानक की हमारा ख़्याल रखेंगे.''

सरहद पर तैनात बीएसएफ के एक अधिकारी पहली बार सरहद पर तैनात हैं. उनकी भी कुछ अलग चिंताएं हैं.

वो कहते हैं, ''इस इलाके में गतिविधियों के बढ़ने से ज़िम्मेदारियां भी बढ़ेंगी. हमें ज़्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है.''

कितना ख़ास है साहिब करतारपुर?

कहा जाता है कि गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर कुदरत का बनाया अद्भुत स्थान है. पाकिस्तान में सिखों के और भी धार्मिक स्थान हैं- डेरा साहिब लाहौर, पंजा साहिब और ननकाना साहिब उन गांव में हैं जो भारत-पाक सीमा के क़रीब है.

लाहौर से गुरुद्वारे की तरफ बढ़ने पर जैसे ही आप गुरुद्वारे के नज़दीक शकरगढ़ रोड़ तक आते हैं, आपको खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है.

हरे-भरे खेत आपका स्वागत करते हैं, बच्चे खेतों में खेलते और ट्यूबवेल से पानी पीते नज़र आते हैं. इन्हीं खेतों के बीच एक सफ़ेद रंग की शानदार इमारत नज़र आती है.

गुरुद्वारे के अंदर एक कुआं है. माना जाता है कि ये कुआं गुरुनानक देव जी के समय से है और इस कारण कुएं को लेकर श्रद्धालुओं में काफ़ी मान्यता है.

कुएं के पास एक बम के टुकड़े को भी शीशे में सहेज कर रखा गया है. कहा जाता है कि 1971 की लड़ाई में ये बम यहां गिरा था.

यहां सेवा करने वालों में सिख और मुसलमान दोनों शामिल होते हैं.

रावी नदी में आई बाढ़ के कारण गुरुद्वारे को काफी नुकसान पहुंचा था. उसके बाद 1920-1929 तक महाराजा पटियाला ने इसे फिर से बनवाया था. इस पर 1,35,600 का खर्च आया था.

साल 1995 में पाकिस्तान सरकार ने इसके कुछ हिस्सों का फिर से निर्माण करवाया था. भारत-पाक के बंटवारे में ये गुरुद्वारा पाकिस्तान की तरफ़ चला गया था.

करतारपुर साहिब के बारे में 1998 में भारत ने पाकिस्तान से पहली बार बातचीत की थी. अब 20 साल बाद इस मामले में अहम क़दम उठाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें-

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Why are the people of Dera Baba Nanak restless at Kartarpur Sahib Corridor
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X