क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

बिहार में हो रही मौतों पर क्यों ख़ामोश है विपक्ष?

बिहार में चमकी बुखार यानी एक्यूट इनसेफ़लाइटिस सिंड्रोम (AES) के कारण बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. अभी तक बीमारी पर काबू नहीं पाया जा सका है या यूं कह लें कि बीमारी की असली वजहों को नहीं खोजा जा सका है. गर्मी और लू के कारण भी पिछले तीन दिनों में दो सौ से अधिक लोगों की जान जाने की ख़बर है.

By नीरज प्रियदर्शी
Google Oneindia News
AFP/GETTY IMAGES

बिहार में चमकी बुखार यानी एक्यूट इनसेफ़लाइटिस सिंड्रोम (AES) के कारण बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.

अभी तक बीमारी पर काबू नहीं पाया जा सका है या यूं कह लें कि बीमारी की असली वजहों को नहीं खोजा जा सका है.

सूबे के कुछ हिस्सों मसलन गया, नवादा, औरंगाबाद जैसे ज़िलों में गर्मी और लू के कारण भी पिछले तीन दिनों में दो सौ से अधिक लोगों की जान जाने की ख़बर है.

उत्तर हो या दक्षिण, पूरब हो या पश्चिम, बिहार का हर हिस्सा इन दिनों भयंकर जल संकट से भी गुज़र रहा है.

सरकारी आंकड़ों की ही मानें तो 38 में से 25 ज़िले सूखे की चपेट में हैं.

खेती का तो नुकसान हो ही रहा है, कई इलाक़ों में पीने लायक पानी के भी लाले हैं.

कैमूर और नवादा से हाल ही में ऐसी ख़बरें आई हैं कि लोग पीने के पानी के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार से पानी उपलब्ध कराने की गुहार लगा रहे हैं.

तेजस्वी यादव
Getty Images
तेजस्वी यादव

कहां है विपक्ष

जब मौत के आंकड़ें काफ़ी बढ़ गए तब केंद्र सरकार की एक टीम मुज़फ़्फ़रपुर पहुंची, उसके बाद राज्य और केंद्र के स्वास्थ्य मंत्री.

राज्य सरकार भी कई दिनों तक इस पर चुप्पी साधे रही. ना तो सरकार का कोई नुमाइंदा बयान दे रहा था और ना ही उसके मुखिया ख़ुद नीतीश कुमार इस बारे में कुछ बोल रहे थे.

बीते कुछ दिनों में केंद्र और राज्य सरकार के ऐसे रवैये के कारण आम लोगों के अंदर पनपा असंतोष और इससे पैदा नाराज़गी इस कदर बढ़ गई थी कि मंगलवार को जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी मुज़फ़्फ़रपुर के एसकेसीएचएम अस्पताल में हालात का जायज़ा लेने पहुंचे तो वहां मौजूद लोगों ने विरोध में 'मुख्यमंत्री वापस जाओ, नीतीश गो बैक के नारे लगाए.'

लेकिन इतना कुछ हो जाने और राज्य की सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की तमाम कमियां उजागर हो जाने के बाद भी बिहार का राजनीतिक विपक्ष कहीं नजर नहीं आ रहा है.

हालांकि पिछले दो तीन दिनों के अंदर विपक्षी दलों के इक्का-दुक्का नेता ज़रूर सोशल मीडिया पर एक्टिव हुए हैं.

ट्वीटर पर ट्वीट और रीट्वीट कर रहे हैं. लेकिन सड़क से संसद तक की बात कहीं नहीं हो रही है.

FB @TEJASHWI YADAV

तेजस्वी की तलाश

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार का विपक्ष इन मुद्दों को सरकार की नाकामी के तौर पेश करने में खुद ही नाकाम है.

जाहिर है ऐसी भयावह परिस्थितियों के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए सरकार से सवाल पूछे जाएंगे, लेकिन ये सवाल उसी विपक्ष को पूछने थे जो इन दिनों एकदम ख़ामोश सा हो गया है.

ऐसे में सवाल अब विपक्ष पर उठने लगे हैं?

और सबसे बड़ा सवाल यह बन गया है कि इस समय बिहार के राजनीतिक विपक्ष के चेहरे और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव कहां हैं?

तेजस्वी यादव को उनके समर्थक बिहार का भावी मुख्यमंत्री कहते हैं. हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में सूबे में विपक्ष का चेहरा भी थे.

उन्होंने अपने संबोधनों में खुद को राज्य के भावी मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करते हुए मौजूदा मुख्यमंत्री से करीब दुगनी रैलियां/सभाएं की थीं.

तेजस्वी यादव
Getty Images
तेजस्वी यादव

राजनीति से दूर

लेकिन आख़िरी बार तेजस्वी यादव सार्वजनिक रूप से या फिर मीडिया में तब देखे गए थे जब लोकसभा चुनावों में महागठबंधन की करारी हार के बाद 28 मई को राजद समेत अन्य दलों के प्रतिनिधियों की समीक्षा बैठक हुई थी.

उसके बाद से लेकर अभी तक तेजस्वी यादव ना तो मीडिया के सामने आए हैं और ना ही कहीं उनकी बतौर राजनेता सार्वजनिक उपस्थिति देखी गई है.

हालांकि सोशल मीडिया पर उनका एक पोस्ट/ट्वीट जरूर दिखता है जिसमें उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद यादव को जन्मदिन की बधाई दी थी.

आख़िर तेजस्वी यादव कहां हैं? पिछले कई दिनों से पटना के सियासी गलियारों में ये सवाल पूछा जा रहा है. लेकिन इसका जवाब ना तो राजद के किसी नेता से मिला, ना ही किसी कार्यकर्ता से.

तेजस्वी के राजनीतिक सलाहकार कहे जाने वाले और राजद की थिंक टैंक में शामिल संजय यादव कहते हैं, "वो कहां हैं, मुझे भी नहीं पता है. लेकिन मेरा सवाल ये है कि लोग इसमें क्यों दिलचस्पी ले रहे हैं. मीडिया क्यों दिलचस्पी ले रही है? क्या कोई अपने व्यक्तिगत या पारिवारिक कारणों से बाहर नहीं रह सकता है, कुछ दिनों तक राजनीति से दूर नहीं रह सकता."

"आख़िर ये इतना भागदौड़ वाला लंबा और थकाऊ चुनाव था. सबको आराम चाहिए. सवाल उठाने वाले ख़ुद अपनी गिरेबान में झांके. सवाल सरकार से होना चाहिए. और जहाँ तक बात तेजस्वी यादव की है तो वे जल्दी आएंगे."

FACEBOOK/TEJASHWI YADAV

सोशल मीडिया पर सक्रियता

चर्चाएं ऐसी चल रही हैं कि तेजस्वी यादव लोकसभा चुनाव के बाद आराम के लिए इस वक़्त देश से बाहर चले गए हैं. कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि तेजस्वी क्रिकेट के खिलाड़ी रहे हैं. वर्ल्ड कप क्रिकेट देखने भी जा सकते हैं.

लेकिन इस तरह की बातों का संजय यादव ये कहकर जवाब देते हैं, "ऐसा कहने वालों को पता ही नहीं है कि तेजस्वी यादव का पासपोर्ट सीबीआई कोर्ट में जमा है. वो देश छोड़कर बाहर कैसे जा सकते हैं."

सवाल केवल तेजस्वी के यादव के ग़ायब होने का नहीं है. बाकी विपक्षी दलों और उनके नेताओं का भी है. मसलन हम (हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा) जिसके मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी हैं ने ऐसी परिस्थितियों में भी ये मुद्दा बनाकर रखा है कि उन्हें विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की ओर से 36 सीटें मिलनी चाहिए. मंगलवार के स्थानीय अख़बारों में ये छपा भी है.

रालोसपा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने ज़रूर मुज़फ़्फ़रपुर का दौरा किया है. लेकिन वो भी तब सोमवार को जब मुज़फ़्फ़रपुर में बच्चों की मौत का आंकड़ा 100 के पार पहुंच गया था.

उपेंद्र कुशवाहा इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर भी खासे सक्रिय हैं. कांग्रेस और उसके प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा की सक्रियता भी सोशल मीडिया तक ही सीमित दिख रही है.

उपेंद्र कुशवाहा
BBC
उपेंद्र कुशवाहा

ज़मीन पर नदारद क्यों?

सोशल मीडिया की सक्रियता और एकाध नेताओं को छोड़ दें तो विपक्ष आख़िर इन मौतों को मुद्दा बनाने में क्यों नाकाम दिखता है?

वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर कहते हैं, "असल बात है कि विपक्ष लोकसभा चुनाव में मिली हार के सदमे से अब तक उबर नहीं पाया है. उसे ऐसा लगने लगा है कि इन मौतों को मुद्दा बनाने से कोई फ़ायदा नहीं है. राष्ट्रीय जनता दल के फ़ेसबुक पेज से जारी बयान इसी ओर इशारा करता है जिसमें जनता पर सवाल उठाए गए हैं कि उसने असल मुद्दों पर वोट नहीं किया. इसलिए विपक्ष उनके साथ खड़ा नहीं होगा. ये एक ख़राब ट्रेंड विकसित हो रहा है. जो आने वाले दिनों में संसदीय लोकतांत्रिक परंपरा के लिए घातक होगा. मीसा भारती द्वारा अपनी अनुशंसित योजनाओं को वापस लिया जाना भी इसमें जोड़ सकते हैं."

लोकसभा चुनाव में बने महागठबंधन पर सवाल उठाते हुए मणिकांत ठाकुर कहते हैं, "शुरू में ये लोग कहते थे कि ये जनता का गठबंधन है. लेकिन चुनाव में हार मिलने पर उनकी सच्चाई सामने आ गई है. बीते दिनों के गंभीर मुद्दों पर उन्होंने एकजुट नहीं होकर ये साबित कर दिया है कि यह गठबंधन सिर्फ़ स्वार्थ के लिए बना था."

PRASHANT RAVI

महागठबंधन की भूमिका

लेकिन कांग्रेस के राज्य प्रवक्ता प्रेमचंद मिश्रा इससे साफ़ इनकार करते हैं. वह कहते हैं, "आजकल का ट्रेंड बन गया है कि किसी भी बात में विपक्ष से सवाल किया जा रहा है. सवाल तो सरकार से पूछे जाने चाहिए थे, जो पूरी तरह नाकाम रही है मौतों को रोकने में."

"व्यवस्था से लेकर विधायिका के स्तर पर उनकी नाकामी दिख चुकी है, लेकिन सवाल विपक्ष से पूछे जा रहे हैं. विपक्ष ने अपना काम बखूबी निभाया है. मैं कांग्रेस पार्टी की सिर्फ बात कर सकता हूं, हमने हर मोर्चे पर सरकार को घेरने की कोशिश की है. अब लोग भक्त बनते जा रहे हैं तो हमारा क्या कसूर."

विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और महागठबंधन की भूमिका से जुड़े सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता कहते हैं, "देखिए वो गठबंधन चुनाव लड़ने के लिए बना था. हमारे बारे में जो पूछना है पूछिए. हम कांग्रेस पार्टी की बात करेंगे और सोशल मीडिया पर आप देख सकते हैं, कांग्रेस पार्टी ने इसे लेकर मुहिम छेड़ी है."

हाल के दिनों में यानी लोकसभा चुनाव के बाद बिहार का राजनीतिक विपक्ष बिखरा हुआ दिख रहा है.

वरिष्ठ स्थानीय पत्रकार सत्यव्रत मिश्रा कहते हैं, "जैसा रवैया पिछले कुछ दिनों में विपक्ष का रहा है, ऐसा लगता है जैसे विपक्ष बदला लेने की भावना से काम कर रहा हो. चाहे वह राजद की तरफ़ से आए बयान हो या फिर बहुत दिनों तक विपक्ष का ग़ायब रहना हो. इसका एक और सबसे कारण है कि चुनाव के बाद विपक्ष की सारी पार्टियों में आंतरिक प्रतिरोध के स्वर ज़्यादा उभरे हैं. अभी तो उसी से लड़ रहे हैं, मुद्दों पर कब लड़ेंगे पता नहीं."

हालांकि, अब बिहार का राजनीतिक विपक्ष सोशल मीडिया पर सक्रिय दिखने लगा है. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से लेकर तमाम विपक्षी नेता धड़ाधड़ ट्वीट कर रहे हैं.

लेकिन लोग भी अब यह समझते हैं कि यह सक्रियता सोशल मीडिया पर हो रहे विरोध के बाद दबाव में ही आई है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Why are the oppositions silent on the death happening in Bihar?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X