जोधपुर में क्यों दांव पर है पीएम मोदी और सीएम गहलोत की साख?
जोधपुर के रंजीत सिंह कहते है, "मोदी का प्रभाव है. मगर लोग गहलोत का काम भी देख रहे है. टक्कर कांटे की है. एकतरफा कुछ नहीं होगा."
राजस्थान में जोधपुर सीट के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है जबकि बीजेपी ने केंद्रीय राज्य मंत्री गजेंद्र शेखावत को फिर मैदान में उतारा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जोधपुर में सभा कर चुके हैं और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने रोड शो किया है. इन दो प्रत्याशियों की मौजूदगी से लड़ाई रोचक लेकिन कांटे की हो गई है.
थार मरुस्थल के प्रवेश द्वार जोधपुर में वैशाख की तपिश से भी ज़्यादा सियासी पारा गर्म है. इस चुनावी कोलाहल में कोई मुखर है तो कोई मौन. लेकिन कुछ मतदाता उलझन में भी है कि किस पार्टी के साथ जाये.
जोधपुर के गली चौराहों और बाजार में लोग चुनावी चर्चा में मशगूल मिलते है.
जोधपुर के रंजीत सिंह कहते है, "मोदी का प्रभाव है. मगर लोग गहलोत का काम भी देख रहे है. टक्कर कांटे की है. एकतरफा कुछ नहीं होगा."
यूँ तो राज्य की 24 अन्य चुनावी क्षेत्रों में घमासान मचा है, लेकिन सबकी निगाहें जोधपुर सीट पर लगी है.
बीजेपी प्रत्याशी शेखावत पार्टी में उभरते हुए नेता हैं.
पार्टी में कुछ लोग उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विकल्प के रूप में भी देखते है, क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व ने पिछले साल शेखावत को राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाने के लिए नाम आगे किया था लेकिन पार्टी के एक गुट ने इसे स्वीकार नहीं किया.
पार्टी संगठन ने शेखावत को विधानसभा चुनाव में राज्य समन्वयक नियुक्त कर अपनी मंशा का इजहार कर दिया.
पिता की विरासत पुत्र संभालेगा!
चुनाव मैदान में उतरे शेखावत ने मीडिया से कहा कि उन्हें मतदाताओं पर भरोसा है. वो कहते है, "मोदीजी और सांसद के रूप में उनका काम मतदाता के सामने है और जोधपुर से बीजेपी पहले से अधिक वोटो से जीतेगी."
पिछले लोकसभा चुनावों में शेखावत ने चार लाख वोटो के बड़े अंतर से कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रेश कुमारी को शिकस्त दी थी.
मुख्यमंत्री गहलोत ने पांच बार संसद में जोधपुर की नुमांइदगी की है. इस बार उनके पुत्र वैभव गहलोत उसी मार्ग से चुनकर संसद में जाना चाहते है.
मुख्यमंत्री गहलोत जोधपुर की तंग गलियों में घूमे और ऑटोरिक्शा में भी सवारी की. वो अवाम से मुखातिब होकर जोधपुर के साथ अपने रिश्तो का हवाला देते हैं और अपने कार्यकाल के विकास कार्यों का उल्लेख करते है.
जोधपुर के फलोदी में गहलोत ने एक सभा में कहा, "वैभव मेरी तरह सुख-दुःख में साथी रहेंगे, विकास में भागीदार रहेंगे, जो रिश्ता मेरा आपके साथ है, उसे वैभव निभाएगा."
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आरोप-प्रत्यारोप
केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए यह सीट बहुत महत्वपूर्ण है. प्रधानमंत्री मोदी अपने इस मंत्रिमंडलीय सहयोगी के लिए जोधपुर आये और एक भीड़ भरी सभा में मुख्यमंत्री पर जमकर प्रहार किये.
इसके बाद पार्टी प्रमुख अमित शाह ने शुक्रवार को जोधपुर में रोड शो किया और कांग्रेस को पराजित करने की अपील की.
उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी थीं. बीजेपी का आरोप है कि जोधपुर में कांग्रेस सरकार मैदान में है. बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी कहते हैं, "सरकार का पूरा ध्यान जोधपुर पर है. विकास कार्य ठप्प हो गए है. किसानों और बेरोजगारों के साथ छलावा किया गया है."
लेकिन कांग्रेस चुनाव अभियान के संजोयक और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा कहते हैं, "बीजेपी के इस बयान पर हमें हैरत नहीं है. बीजेपी पांच साल से सता में है, संसाधन के मामले में बीजेपी बहुत आगे है. उनके उम्मीदवारों के पास जम कर पैसा आ रहा है, दिल्ली में क्या आलीशान दफ्तर बनाया है, यूपी में भी 56 कार्यालय बनाये हैं."
शर्मा ने बीबीसी से कहा, "जोधपुर में बहुत शालीनता और मितव्यवता से चुनाव लड़ा जा रहा है. गहलोत ने चालीस साल जोधपुर को दिए हैं, लोग उनके काम को देख सकते हैं, वे गांधीवादी हैं, उनका एक भावनात्मक रिश्ता है. हम बीजेपी की पीड़ा समझ सकते हैं."
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आख़िर परीक्षा किसकी?
प्रधानमंत्री मोदी ने जोधपुर में राष्ट्रवाद को केंद्र में रखा और गहलोत को आड़े हाथों लिया. इसके जवाब में गहलोत ने मीडिया से कहा, "उन्हें नहीं मालूम मैं कारगिल में शहीद हुए 56 परिवारों के यहाँ गया हूं. उन्होंने शहीद मेजर शैतान सिंह का नाम ही सुना होगा. मैं उनकी शव यात्रा में शामिल हुआ हूँ."
कांग्रेस के एक नेता कहते हैं, "दरअसल पिछले साल गहलोत गुजरात में पार्टी के चुनाव प्रभारी थे, तभी से वे बीजेपी के निशाने पर हैं."
दोनों ही दल जोधपुर में जाति समीकरणों को अपने हक़ में साधने की कोशिश कर रहे है लेकिन उससे भी बड़ी लड़ाई सोशल मीडिया के जरिये लड़ी जा रही है.
जोधपुर की सियासत पर नजर रखने वाले पत्रकार ललित परिहार कहते हैं, "यह चुनाव मोदी बनाम गहलोत की लड़ाई में बदल गया है. मतदाता के सामने एक तरफ मोदी का व्यक्तित्व है और दूसरी तरफ जोधपुर से गहलोत के रिश्ते और उनके विकास कार्यो का मुद्दा है."
बीजेपी उम्मीदवार शेखावत के समर्थक कहते हैं कि केंद्रीय मंत्री ने अपने कार्य काल में बहुत विकास कार्य करवाए हैं और वे मतदाता से सीधे जुड़े हुए है. इसके जवाब में कांग्रेस का आरोप है बीजेपी सरकार ने जोधपुर के साथ सौतेला बर्ताव किया है.
बीजेपी को बताना चाहिए कि सारे मापदंड पक्ष मे होने के बावजूद जोधपुर को स्मार्ट सिटी का दर्जा क्यों नहीं दिया गया. इस चुनावी जंग में दोनों ही पार्टियों के नेताओं का इम्तिहान होगा लेकिन उससे भी ज्यादा ये चुनाव मतदाता की परीक्षा लेगा.