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औरतों के नाइटी पहनने पर यहां लोगों की आंखें क्यों चौंधिया रही हैं?

डिजाइनर रिमज़िम और डेविड अब्राहम दोनों ही इस तरह के प्रतिबंधों की आलोचना करते हैं.

ऐसा माना जाता रहा है कि नाइटी भारत में ब्रिटिश काल में आई थी.

तब नाइटी सिर्फ़ अंग्रेज़ औरतें ही पहनती थीं. लेकिन वक़्त के साथ भारतीय औरतों ने भी इस लिबास को अपनाया.

ऐसे में इस तरह के प्रतिबंधों को लगाना कितना सही है?

By BBC News हिन्दी
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औरतों के नाइटी पहनने पर यहां लोगों की आंखें क्यों चौंधिया रही हैं?

'ख़बरदार, जो सुबह सात से लेकर शाम सात बजे तक किसी औरत ने मैक्सी या नाइटी पहनी. अगर किसी ने ये प्रतिबंध नहीं माना तो उसे इसकी क़ीमत चुकानी होगी. जुर्माना लगेगा दो हज़ार रुपये.'

ये चेतावनी नौ सदस्यों की उस पंचायत की ओर से दी गई है, जिसकी मुखिया खुद एक औरत हैं. मामला आंध्र प्रदेश के टोकालपल्ली गांव का है.

इस गांव की पंचायत ने कुछ वक़्त पहले दिन के उजाले में औरतों के नाइटी पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

जैसा कि नाम से ज़ाहिर है कि औरतें नाइटी ज़्यादातर मामलों में रात में पहनती रही हैं. लेकिन कुछ औरतें अपनी सुविधा और पसंद से नाइटी दिन में भी पहनती हैं.

इसी बात पर इस गांव में पंचायत ने आपत्ति जताई और नाइटी पर प्रतिबंध लगा दिया. पंचायत ने माना है कि नाइटी पहनने से औरतों को मुश्किल हो सकती है और इस मुश्किल की वजह पुरुषों को उनकी ओर आकर्षित होना हो सकता है.

वैसे नाइटी पर प्रतिबंध लगाने का भारत में ये कोई पहला मामला नहीं है. भारत जैसे पितृसत्तात्मक समाज में औरतों के लिबास पर पहले भी कई बार विवाद हो चुके हैं.

'नाइटी न पहनने पर करो चुगली, मिलेगा नाम'

ऐसा नहीं है कि ये इस नाइटी प्रतिबंध में रुपये का इस्तेमाल सिर्फ़ जुर्माने तक ही सीमित है.

पंचायती फरमान के मुताबिक़, अगर कोई औरत इस प्रतिबंध को नहीं मान रही है तो ऐसी औरत के बारे में बताने वाले को एक हज़ार रुपये का इनाम दिया जाएगा.

इस प्रतिबंध को गांव में काफ़ी गंभीरता से माना जा रहा है. इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगाइए कि प्रतिबंध न मानने का अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है.

बीबीसी तेलुगू के हमारे एक सहयोगी की इस गांव की एक महिला बाल्ले विष्णु मूर्ति से बात हुई.

विष्णु बताती हैं, ''औरतों के रात में नाइटी पहनने पर कोई दिक़्क़त नहीं है. लेकिन अगर दिन के उजाले में औरतें नाइटी पहनकर बाहर जाएंगी तो वो ध्यान खींच सकती है. इससे नाइटी पहनने वाली औरतों को ही दिक़्क़त हो सकती है. ये प्रतिबंध औरतों को अंग प्रदर्शन करने से रोकने की वजह से लगाया गया है.''

हालांकि इस गांव में ऐसे भी पुरुष और औरतें हैं, जो इस प्रतिबंध से सहमत नहीं हैं. लेकिन गांव में रहते हुए होने वाली कमाई को जुर्माने में ख़र्च होने के डर से वो इस प्रतिबंध मानने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़े:- जब औरतों के कपड़ों में निकले मर्द

कपड़े के एक टुकड़े से इतनी परेशानी क्यों?

इससे पहले साल 2014 में मुंबई के एक गांव में भी नाइटी पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था. तब वजह बताई गई- नाइटी पहनना अभद्रता है.

तब दिन के उजाले में नाइटी पहनने वाली औरतों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया था. ऐसे में सवाल ये है कि आख़िर कपड़े के एक टुकड़े से कुछ लोगों को इतनी दिक़्कत क्यों होती है?

फै़शन पोर्टल 'द वॉइस ऑफ़ फै़शन' की संपादक शेफाली वासुदेव ने बीबीसी से बताया, ''नाइटी पर प्रतिबंध लगाने का ये फ़ैसला 'फै़शन पुलिस' की बजाय नैतिकता के ठेकेदारों की वजह से लिया गया है.''

भारत जैसे विकासशील देश में नाइटी का इस्तेमाल कई मायनों में अहम है. इसका इस्तेमाल बेहद सुविधाजनक होता है.

नाइटी पहनकर काम करने में भी कम दिक़्क़त होती है. नाइटी की लोकप्रियता की एक अहम वजह ये भी कि एक नाइटी को औरतें 100 रुपये में भी ख़रीद सकती हैं.

डिजाइनर रिमज़िम डाडू कहती हैं, ''नाइटी औरतों के बीच इस वजह से भी लोकप्रिय है क्योंकि इससे पहनकर औरतें कंफर्टेबल रह सकती हैं. साड़ी पहनकर घर के काम करने भी मुश्किल होते हैं. नाइटी की वजह से औरतें आज़ाद महसूस करती हैं.''

भारत जैसे देश में नाइटी का महत्व

आपने शायद ऐसी कई ख़बरें पढ़ी होंगी, जिनमें औरतों के कपड़ों को किसी घटना के लिए ज़िम्मेदार बताया जाता है. ऐसे बयानों का आधार कुछ बेतुके तर्क होते हैं.

डिजाइनर डेविड अब्राहम कहते हैं, ''नाइटी न सिर्फ़ एक शिष्ट लिबास है बल्कि ये पहनने में भी आसान है. ये एक औरत की सारी ज़रूरतों को पूरा करती है. कपड़े का एक पूरा टुकड़ा आपको गले से लेकर पैरों तक ढक देती है.''

डिजाइनर रिमज़िम और डेविड अब्राहम दोनों ही इस तरह के प्रतिबंधों की आलोचना करते हैं.

ऐसा माना जाता रहा है कि नाइटी भारत में ब्रिटिश काल में आई थी.

तब नाइटी सिर्फ़ अंग्रेज़ औरतें ही पहनती थीं. लेकिन वक़्त के साथ भारतीय औरतों ने भी इस लिबास को अपनाया.

ऐसे में इस तरह के प्रतिबंधों को लगाना कितना सही है?

डिज़ाइनर डेविड कहते हैं, ''क्या आपने कभी सुना है कि कोई गांव की पंचायत ये तय करे कि मर्द क्या पहनेंगे. ये हमेशा औरतों के लिबास पर ही क्यों बात होती है. आज ये नैतिकता के ठेकेदार नाइटी पर प्रतिबंध लगा रहे हैं. क्या पता कल किसी और चीज़ पर प्रतिबंध लगा दें.''

BBC Hindi
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English summary
Why are peoples eyes shocked at wearing womens nity
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