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RCom को दिवालिया बनाने पर क्यों मजबूर हुए अनिल अंबानी

एरिक्सन की इस अपील के बाद आरकॉम ने सुप्रीम कोर्ट में 1.86 करोड़ डॉलर जमा किया ताकि आंशिक भुगतान किया जा सके.

लेकिन इसके साथ ही आरकॉम ने टेलिकम्युनिकेशन विभाग के ख़िलाफ़ एक याचिका भी दाख़िल की और दावा किया कि समय पर क़र्ज़ नहीं चुकाने के लिए सरकार ज़िम्मेदार है, क्योंकि सरकार ने जियो को संपत्ति बेचने की मंजूरी नहीं दी थी.

By BBC News हिन्दी
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अनिल अंबानी
EPA
अनिल अंबानी

अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन्स या आरकॉम - एक वक़्त था जब ये भारत की दूसरी बड़ी टेलिकम्युनिकेशन्स कंपनी थी. मगर रिलायंस कम्युनिकेशन्स ने दिवालिया होने की घोषणा की है.

और उसका ये हाल उसके प्रतिद्वंद्वियों ने किया जिनमें उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी की जियो का अच्छा-ख़ासा योगदान है.

शेयर बाज़ार में भारी घाटे ने आरकॉम की कमर तोड़ दी. पिछले कई साल से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कंपनी ने अब आख़िरकार कोर्ट में क़र्ज़ की समस्या के समाधान के लिए अर्जी लगाई है.

सात अरब डॉलर के क़र्ज़ के नवीनीकरण में नाकाम होने के बाद रिलायंस ने यह घोषणा की है. 13 महीने पहले क़र्ज़दाताओं ने इस पर सहमति जताई थी लेकिन बात नहीं बन पाई.

दिसंबर 2017 में क़र्ज़ नवीनीकरण की प्रक्रिया तब फंस गई जब अनिल अंबानी के कारोबार के ख़िलाफ़ क़ानूनी लड़ाई और विवादों का सिलसिला बढ़ता गया.

आरकॉम ने पिछले हफ़्ते शुक्रवार की रात एक बयान जारी किया और कहा कि वो नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल, इंडिया बैंकरप्सी कोर्ट में दिवालियापन के नए नियमों के तहत क़र्ज़ की समस्या का समाधान करना चाहती है.

अनिल अंबानी
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यह नया नियम 2016 में प्रभाव में आया था. इसके तहत नौ महीने के भीतर मामले को सुलझाना होता है.

क़र्ज़ चुकाने में नाकाम रहने वाली कंपनी इस अवधि में अपनी संपत्ति बेच क़र्ज़ चुकता करती है. इस नए नियम के तहत आरकॉम सबसे बड़ी कंपनी के रूप में अपने क़र्ज़ों का निपटारा करेगी.

आरकॉम का कहना है कि बैंकरप्सी कोर्ट में जाने का फ़ैसला सभी शेयरधारकों के हित में है क्योंकि इससे निश्चितता और पारदर्शिता तय अवधि में सामने आ जाएगी.

दिसंबर 2017 में अंबानी ने आरकॉम के क़र्ज़दाताओं से पूर्ण समाधान की घोषणा की थी. अनिल अंबानी ने कहा था कि उनकी कंपनी 3.8 अरब डॉलर की अपनी संपत्ति बेच कर्ज़ों का भुगतान करेगी. इसमें जियो को मुहैया कराई गईं सेवाएं भी शामिल थीं.

लेकिन शुक्रवार की बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज से आरकॉम ने कहा कि कर्ज़दाताओं को प्रस्तावित संपत्ति बिक्री से कुछ भी नहीं मिला है और कर्ज़ से निपटारे की प्रक्रिया अब भी बाधित है.

कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि वो अपने 40 विदेशी और भारतीय क़र्ज़दाताओं में सहमति बनाने में नाकाम रही. कंपनी ने कहा कि इसके लिए 40 बैठकें हुईं लेकिन बात नहीं बनी और साथ में भारतीय अदालती व्यवस्था में क़ानूनी उलझनें बढ़ती गईं.

अनिल अंबानी
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आरकॉम ने अपनी मोबाइल सेवा की अहम संपत्तियों को जियो से बेचा है और इसकी मंजूरी भी मिल गई है. सरकारी अधिकारी भी स्पेक्ट्रम की ख़रीदारी में बकाये को हासिल करने के लिए मामले को जल्दी निपटाने की कोशिश कर रहे हैं.

अनिल अंबानी पर जनवरी महीने की शुरुआत में तब और दबाव बढ़ गया जब स्वीडन की कंपनी एरिक्सन ने भारत सुप्रीम कोर्ट से कहा कि आरकॉम के मालिक को जेल भेजा जाए क्योंकि अदालत ने 7.9 करोड़ डॉलर के भुगतान का जो आदेश दिया था, उसका उल्लंघन किया गया है. आरकॉम पर एरिक्सन का कुल बकाया 15.8 करोड़ डॉलर का है.

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एरिक्सन की इस अपील के बाद आरकॉम ने सुप्रीम कोर्ट में 1.86 करोड़ डॉलर जमा किया ताकि आंशिक भुगतान किया जा सके.

लेकिन इसके साथ ही आरकॉम ने टेलिकम्युनिकेशन विभाग के ख़िलाफ़ एक याचिका भी दाख़िल की और दावा किया कि समय पर क़र्ज़ नहीं चुकाने के लिए सरकार ज़िम्मेदार है, क्योंकि सरकार ने जियो को संपत्ति बेचने की मंजूरी नहीं दी थी.

अनिल अंबानी की कंपनी ने देश और विदेशों के मीडिया आउटलेट्स और कुछ नेताओं के ख़िलाफ़ कुल 11.4 अरब डॉलर की मानहानि मुक़दमा कर रखा है.

BBC Hindi
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English summary
Why Anil Ambani forced to make RCom bankrupt
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