क्यों भारत के लिए चिंता का विषय है अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना का लौटना?
नई दिल्ली। सीरिया से अपनी सेना को वापस बुलाने के एक दिन बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसी ही एक हैरान करने वाली घोषणा अफगानिस्तान के लिए भी कर दी। ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन ने अफगानिस्तान से अपने 7,000 सैनिकों को घर लौटने के लिए कहा है। ट्रंप का यह निर्णय अफगानिस्तान और उसके पड़ोसी देशो में शांति के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। ट्रंप के इस निर्णय से साफ झलक रहा है कि अफगानिस्तान के लिए जो उन्होंने अगस्त 2017 में रणनीति बनाई थी, उससे वे हट चुके हैं। अफगानिस्तान में अलगाववादियों को अलग-थलग करने के लिए ट्रंप अधिक संसाधनों के साथ और ज्यादा घातक रणनीति बना रहे थे, लेकिन अचानक उन्होंने अपनी सेना को वापस बुलाकर सभी को हैरानी में डाल दिया है। पाकिस्तान ने अमेरिका के इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन भारत के लिए यह चिंता का विषय बन चुका है।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना का लौटना भारत के लिहाज से अच्छे संकेत नहीं है। इसके दो मु्ख्य वजह हैं, एक- किसी भी चरमपंथी समूह को अफगानिस्तान पर कब्जा करने से रोकना और दूसरा- वहां के नागरिकों और सरकार के साथ आर्थिक सहयोग बनाए रखना। अफगानिस्तान में भारत पिछले कई सालों से वहां की सरकार और समाज के लिए विकास के काम जुटा हुआ है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना उस वक्त घर लौट रही है, जब भारत अपने ईरान और रूस जैसे पारंपरिक क्षेत्रीय भागीदारों के साथ अफगानिस्तान के साथ रिश्तों को मजबूत करने में लगा हुआ है।
अमेरिकी सेना के जाने के बाद अफगानिस्तान में अगर तालिबान की अस्थिरता बढ़ी तो भारत के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती है। ऐसे में भारत को अपने उत्तरी सहयोगी देशों के साथ बने रहना चाहिए, क्योंकि अगर हालात बिगड़े तो जमीन पर सहयोगी देश ही नई दिल्ली की मदद करने के लिए आगे आ सकते हैं।
उधर अफगानिस्तान में शांति वार्ता को लेकर यूएई में तालिबान के साथ एक बैठक भी हो चुकी है। तालिबान का तर्क है कि वे अफगानिस्तान सरकार से बात नहीं करेगे, क्योंकि मुल्क के हुक्मरान अमेरिका की कठपुतली है। तालिबान लगातार अमेरिकी सेना को अफगाानिस्तान छोड़ने की मांग करता रहा है। इस वक्त अफगानिस्तान में अमेरिका के कुल 14,000 सैनिक है, जिनमें से आधे सैनिक आने वाले हफ्तों में धीरे-धीरे अपने घर की ओर लौट आएंगे।