जानिए आखिर क्यों अबू सलेम को नहीं दी गई फांसी की सजा
जानिए आखिर क्यों अबू सलेम को नहीं दी गई फांसी की सजा, प्रत्यर्पण संधि के चलते बच गया अबू सलेम
नई दिल्ली। मुंबई ब्लास्ट मामले में तमाम दोषियों के खिलाफ टाडा कोर्ट ने सजा का ऐलान करते हुए मुख्य आरोपी अबू सलेम को उम्र कैद की सजा सुनाई है, इस मामले में पांच अन्य दोषियों के खिलाफ भी कोर्ट ने सजा का ऐलान कर दिया है। कोर्ट ने मुस्तफा दौसा को भी सजा सुनाई है, हालांकि उसकी मौत हो गई है। 1993 ब्लास्ट में दोषी ताहिर मर्चेंट और फिरोज खान को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है जबकि करीमुल्लाह और अबू सलेम को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। वहीं रियाज सिद्दीकी को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है।
प्रत्यर्पण
संधि
की
वजह
से
बचा
सलेम
जिस
तरह
से
अबू
सलेम
को
मुंबई
धमाको
के
पीछे
मास्टरमाइंड
माना
जाता
है
उसे
देखते
हुए
लोग
उम्मीद
कर
रहे
थे
कि
उसे
फांसी
की
सजा
सुनाई
जाएगी।
लेकिन
कोर्ट
के
सामने
अबू
सलेम
को
फांसी
की
सजा
सुनाने
का
विकल्प
नहीं
था
और
इसकी
वजह
है
प्रत्यर्पण
संधि।
इस
संधि
के
अनुसार
जिस
भी
देश
से
आरोपी
को
प्रत्यर्पण
करके
लाया
जाएगा
उसे
फांसी
की
सजा
नहीं
सुनाई
जा
सकती
है।
लिहाजो
टाडा
कोर्ट
ने
अबू
सलेम
को
सेक्शन
34(सी)
के
तहत
आजीवन
कारावास
की
सजा
सुनाई
है।
25 साल की सजा सुनाई गई सलेम को
अबू सलेम को कोर्ट ने दो मामलों में उम्र कैद की सजा सुनाई है, ऐसे में सलेम को इन दोनों मामले में कुल 25 साल की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही सलेम पर दो लाख रुपए का जुर्माना भी ठोंका गया है। अबू सलेम को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था। आपको बता दें कि 1993 में मुंबई ब्लास्ट में कई लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 2006 में बड़ फैसला दिया था और 123 आरोपियों को दोषी करार दिया था, जिसमे से 100 को सजा सुनाई गई थी, जबकि 23 को रिहा कर दिया गया था।