Masood Azhar: पुलवामा आतंकी हमले के बाद शुरू हो गई थी आतंकी साबित करने की कोशिशें
नई दिल्ली। एक मई को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद (Masood Azhar) को यूनाइटेड नेशंस (UN) की ओर से ग्लोबल टेररिस्ट (Global Terrorist) घोषित किया गया। सूत्रों की मानें तो 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले के बाद ही मसूद अजहर को ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। अभी तक ऐसी खबरें आ रही थीं कि यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल ने अजहर को ब्लैकलिस्ट करते हुए पुलवामा आतंकी हमले पर गौर नहीं किया गया है। ऐसे में यह खबर काफी अहम है।
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जैश के आतंकी ने दिया हमले को अंजाम
सूत्रों की ओर से बताया गया है कि 14 फरवरी को जब पुलवामा आतंकी हमला हुआ और सीआरपीएफ जवानों को निशाना बनाया गया, उसके बाद ही अजहर पर बड़ी कार्रवाई की शुरुआत हो गई थी। मसूद अजहर के संगठन जैश ने 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी। हमले के बाद यूएनएससी की ओर से इसकी निंदा करने वाला कड़ा बयान जारी किया गया। ऐसे में पुलवामा हमले और अजहर के ब्लैकलिस्ट होने में सीधा संबंध है और यह बहुत ही प्राकृतिक है। भारत इस बयान के बाद इस स्थिति में था कि वह और ज्यादा सुबूत और तथ्य यूएन को दे सके। पूरी प्रक्रिया तथ्यों पर आधारित थी और यूएन को कई सुबूत दिए गए। यह सुबूत अपने आप में अजहर को आतंकी घोषित करने के लिए काफी थे। अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने पर तकनीकी कारणों से रोक लगाई गई। अजहर के संबंध में दिए गए सुबूतों के आधार पर कमेटी सहमत हुई।
साल 2009 से जारी था चीन का विरोध
मसूद अजहर का ग्लोबल आतंकी घोषित होना भारत के लिए एक बड़ी जीत है। जनवरी 2016 में हुए पठानकोट आतंकी हमले के बाद से ही भारत इस दिशा में काम कर रहा था और आखिर करीब साढ़े तीन वर्ष बाद उसकी कोशिशें रंग लाई। 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका, फ्रांस और यूके भारत के साथ आकर खड़े हुए थे।चीन ने 10 वर्षों बाद अपना विरोध खत्म किया, अजहर पर टेक्निकल होल्ड हटाया और उसे एक ग्लोबल आतंकी साबित करने में बड़ा योगदान दिया। अजहर का आतंकी साबित होना दिल्ली के लिए यह बड़ी जीत तो है लेकिन इसके पीछे कई माह की मेहनत और कोशिशें थीं। चीन ने 13 मार्च को चौथी बार अजहर को साबित करने वाले प्रस्ताव पर टेक्निकल होल्ड लगाकर इसमें अड़ंगा डाल दिया था। भारत साल 2009 से ही अजहर को ब्लैकलिस्ट कराने की कोशिशों में लगा हुआ है। साल 2016 और फिर 2017 में भी भारत ने ऐसी कोशिशों को अंजाम दिया था।
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