अरुण शौरी का बड़ा खुलासा, कहा- 'मन की बात...' किताब के लेखक राजेश जैन नहीं
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय कार्यक्रम 'मन की बात' का इंतजार हर वर्ग के लोगों को होता है और जब पिछले साल 25 मई को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की उपस्थिति में 'मन की बात: अ सोशल रेवोल्यूशन' किताब का विमोचन हुआ था, तो लोग खुशी से फूले नहीं समाए थे। कहा गया था कि इस किताब में कार्यक्रम 'मन की बात' की खास बातों को प्रकाशित किया गया है जिसे की शब्दों का रूप दिया है राजेश जैन ने।
'मन की बात' किताब को राजेश जैन ने नहीं लिखा?
लेकिन अब इसी किताब के लेखक को लेकर बहस छिड़ गई है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे अरुण शौरी ने दावा किया है कि 'मन की बात' किताब को राजेश जैन ने नहीं लिखा है। शौरी का दावा है कि ये बात उन्हें खुद राजेश जैन ने बताई है। गौरतलब है कि राजेश जैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहायक रहे हैं।
अरूण शौरी ने किया बड़ा दावा
अरूण शौरी ने कहा है कि राजेश जैन मेरे काफी करीबी मित्र हैं, उन्होंने ही ये सच मुझे बताया है। राजेश जैन खुद हैरान थे कि उनका नाम लेखक के रूप में छपा है। राजेश जैन का कहना है कि उन्होंने कार्यक्रम में ही स्पष्ट कर दिया था कि वो इस किताब के लेखक नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद किताब के प्रिंट से उनका नाम हटाया नहीं गया है। जबकि सरकार की ओर से जारी तीन प्रेस रिलीज में उनका नाम तीन तरह से लिखा है। कहीं लेखक का नाम श्री राजेश जैन है, कहीं पर राजेश जैन और कहीं पर मिस्टर राजेश जैन।
राजेश जैन ने कहा कि उनका नाम गलत ढंग से छपा है....
शौरी ने कहा कि राजेश जैन को पीएमओ ऑफिस की ओर से इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया था। उन्होंने मुझे बताया था कि जब वहां किताब पर उन्होंने लेखक के तौर पर अपना नाम देखा तो भौचक्के रह गए। हालांकि उन्होंने इसका विरोध किया था लेकिन इन सबके बावजूद पीआईबी की साइट और नरेंद्र मोदी की वेबसाइट (narendramodi.in) पर उन्हें लेखक के रूप में दिखाया जा रहा है। जैन ने ये भी कहा था कि उन्हें ये नहीं पता कि आखिर वो किताब लिखी किसने है?
अमेजन पर बिकने वाली 'मन की बात'... किताब पर लेखक का नाम नहीं
हालांकि अमेजन पर बिकने वाली 'मन की बात: अ सोशल रेवोल्यूशन' किताब पर लेखक का नाम नहीं है, बस ये छपा है कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन' और 'लेक्सिसनेक्सिस' ने इसे प्रकाशित किया है। जबकि पीआईबी के प्रवक्ता ने कहा कि किताब को संकलित राजेश जैन ने किया है, हालांकि उन्होंने जैन और शौरी के दावों पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया।
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