MP Bypoll: पोहरी में क्या फिर धाक जमा पाएंगे धाकड़ ? बसपा के आने से मुकाबला हुआ दिलचस्प
भोपाल। शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा (Pohari Assembly) सीट पर मुकाबला कांटे का होने वाला है। ग्वालियर-चंबल से सटे इस जिले में शिवराज चौहान और नरेंद्र सिंह तोमर की निजी दिलचस्पी रही है। इस बार भाजपा प्रत्याशी सुरेश धाकड़ राठखेड़ा को सिंधिया का भी साथ मिलेगा क्योंकि सुरेश धाकड़ भी सिंधिया गुट के साथ ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। धाकड़ वर्तमान सरकार में मंत्री भी हैं।
कांग्रेस ने इस बार यहां से हरिवल्लभ शुक्ला को मैदान में उतारा है। शुक्ला राजनीति के पुराने चेहरे हैं और विधायक भी रह चुके हैं। वहीं बसपा ने चुनावी दंगल में 2018 में उसके उम्मीदवार कैलाश कुशवाह पर ही दांव लगाया है। बसपा के आने से यहां मुकाबला काफी कांटे का है। 2018 के चुनावों में बसपा यहां दूसरे नंबर रहे थे। यही नहीं तीसरे नंबर पर रही भाजपा और बसपा में वोटों का अंतर 15 हजार से ज्यादा था। बसपा की मौजूदगी से यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
पिछले चुनाव में सुरेश धाकड़ ने इस सीट पर बसपा के कैलाश कुशवाह को हराकर कब्जा जमाया था। 15 महीने बाद धाकड़ भाजपा में शामिल हो गए जिसके चलते यहां उन्हें नाराजगी का सामना कर पड़ सकता है। हालांकि सिंधिया के समर्थन से उन्हें शिवराज सरकार में मंत्री पद मिल गया जिसके चलते उनके समर्थकों को उम्मीद है कि जनता का उन्हें समर्थन मिलेगा। फिर भी धाकड़ की जीत यहां से इतनी आसान नहीं होने वाली। पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर धाकड़ को यहां 37 फीसदी वोट मिले थे। इस बार वे जिस भाजपा के टिकट पर हैं उसके प्रत्याशी को 2018 में 23 प्रतिशत वोट मिले थे और पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी।
धाकड़
को
मिलेगा
फायदा
हालांकि
धाकड़
को
जातिगत
समीकरणों
का
फायदा
मिलेगा।
पोहरी
में
ब्राह्मण
और
धाकड़
जाति
के
मतदाताओं
की
काफी
संख्या
है।
इनका
सपोर्ट
धाकड़
के
खाते
में
जाने
से
भाजपा
को
इस
सीट
पर
उम्मीद
बनी
हुई
है।
वहीं कई चुनाव लड़ चुके कांग्रेस के हरिवल्लभ शुक्ला के आने से चुनावी माहौल दिलचस्प है। चुनावी दांवपेंच में माहिर शुक्ला यहां कोई भी उलटफेर कर सकते हैं। 2003 में वे बतौर समानता दल के प्रत्याशी वह यहां से विधायक बन चुके हैं। वहीं बसपा की मौजूदगी से मुकाबला पूरी तरह रोमांचक है। पिछले चुनाव में बसपा को यहां 52,736 (32 प्रतिशत) वोट मिले थे जबकि विजेता धाकड़ को 60,654 (37%) वोट मिले थे।
5
में
तीन
चुनाव
जीती
भाजपा
फिलहाल
पिछले
कई
चुनावों
का
विश्लेषण
करें
तो
भाजपा
यहां
मजबूत
स्थिति
में
है।
बीते
5
चुनावों
में
तीन
चुनाव
यहां
भाजपा
और
एक-एक
समानता
दल
और
कांग्रेस
जीत
चुकी
है।
1998
में
हुए
विधानसभा
चुनाव
में
यहां
भाजपा
के
नरेंद्र
बिरथरे
ने
कांग्रेस
की
बैजंती
वर्मा
को
हराकर
सीट
पर
जीत
दर्ज
की।
2003
में
समानता
दल
के
टिकट
पर
हरिवल्लभ
शुक्ला
ने
कांग्रेस
प्रत्याशी
वैजयंती
शुक्ला
को
हरा
दिया।
शुक्ला
इस
बार
कांग्रेस
प्रत्याशी
हैं।
2008
में
हरिवल्ल्भ
शुक्ला
यहां
से
बसपा
प्रत्याशी
बने
लेकिन
इस
बार
उन्हें
भाजपा
के
प्रह्लाद
भारती
से
पराजित
हो
गए।
2013
में
भारती
ने
कांग्रेस
प्रत्याशी
हरिवल्लभ
को
एक
बार
फिर
शिकस्त
दे
दी।
वहीं
2018
के
चुनावों
में
कांग्रेस
ने
सुरेश
धाकड़
को
प्रत्याशी
बनाया
तो
पार्टी
ने
25
सालों
में
यहां
पहली
बार
जीत
दर्ज
की।
धाकड़
ने
बसपा
प्रत्याशी
को
कैलाश
कुशवाह
को
करीब
आठ
हजार
वोटों
से
हराकर
ये
सीट
कांग्रेस
को
दिलाई
थी
लेकिन
ज्यादा
दिन
यहां
कांग्रेस
का
कब्जा
न
रह
सका
और
अब
एक
बार
फिर
उपचुनाव
हैं।
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