हिमाचल में कौन बनेगा मुख्यमंत्री, नड्डा या ठाकुर?
धूमल विधायकी का चुनाव जीत जाते तो ये सवाल पैदा नहीं होता लेकिन उनकी हार के बाद समीकरण बदल गए हैं.
कौन बनेगा हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री? इस पर दिल्ली से लेकर शिमला तक मंथन चल रहा है. मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा की ओर से घोषित किए प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल के चुनाव हारने के बाद पार्टी के लिए ये एक दुविधा का सवाल बन गया है.
धूमल की हार के बाद समीकरण बदल गए हैं. भाजपा नेतृत्व किसे कमान सौंपेंगी, यह आने वाले कुछ दिनों में साफ होगा. फिलहाल मुख्यमंत्री की कुर्सी की दौड़ में दो नाम सबसे आगे हैं. केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और जयराम ठाकुर का. दोनों संघ से जुड़े रहे हैं. भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इन दोनों में से किए एक को मुख्यमंत्री बना सकता है.
हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े अश्विनी शर्मा के मुताबिक नड्डा और ठाकुर दोनों नाम पर पार्टी के भीतर गंभीर चर्चा हो रही है.
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नड्डा की दावेदारी
बीबीसी से बात करते हुए अश्विनी कहते हैं, "दोनों नेता संघ परिवार से जुड़े रहे हैं. जयराम ठाकुर मंडी जिले से आते हैं और पांचवीं बार विधायक बने हैं. जयराम ठाकुर की छवि एक साफ-सुथरे नेता की है. उनके ऊपर किसी तरह के आरोप नहीं लगे हैं. वो काम करने वालों में माने जाते हैं."
वहीं, शिमला के वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश लोहानी की मानें तो मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा से पहले यह माना जा रहा था कि भाजपा अगर जीतती है तो जेपी नड्डा को ही मुख्यमंत्री बनाएगी.
प्रकाश लोहानी कहते हैं, "धूमल के नाम की घोषणा से पहले ये माना जा रहा था कि भाजपा जेपी नड्डा को ही जीत की स्थिति में मुख्यमंत्री बनाएगी. लेकिन जब धूमल चुनाव हार गए हैं तो समीकरण दोबारा बदलने लगे हैं."
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केंद्रीय नेतृत्व
जेपी नड्डा पिछले करीब पांच सालों से भाजपा की केंद्रीय टीम में काम कर रहे हैं. वो वर्तमान सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं और भाजपा संसदीय बोर्ड के सचिव का पद संभाल रहे हैं.
जयराम ठाकुर की बात करें तो उन्हें 1998 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. उस समय उनके नेतृत्व में भाजपा चुनाव जीती थी और प्रेम कुमार धूमल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद उन्हें मंत्रीमंडल में भी शामिल किया गया था.
प्रकाश लोहानी कहते हैं, "अगर जेपी नड्डा को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो जयराम ठाकुर उनके ही खेमे के हैं. दोनों में कोई भी मुख्यमंत्री बनते हैं तो अंतर नहीं पड़ने वाला है."
दोनों पत्रकार मानते हैं कि मुख्यमंत्री चुने जाने में प्रदेश नेतृत्व का कोई हस्ताक्षेप नहीं होगा. हां, केंद्रीय नेतृत्व उनसे सलाह जरूर ले सकती है.
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अनुराग ठाकुर दौड़ में?
धूमल के हारने के बाद ये भी ख़बर आई कि उनके बेटे अनुराग ठाकुर मुख्यमंत्री दौड़ में शामिल हैं. इस पर प्रकाश लोहानी कहते हैं, "ये नाम मीडिया में चल रहे हैं, जिसकी कोई पुष्टि नहीं हैं."
वो कहते हैं कि वैसे भी नेता अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं जो बहुत जूनियर हैं. अश्विनी शर्मा के अनुसार अनुराग ठाकुर भी पार्टी में अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन अगर उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो पार्टी को उपचुनाव का सामना करना पड़ सकता है.
अनुराग सासंद हैं और गुजरात चुनाव में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई है. भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व गुरुवार को हिमचाल पहुंच रहा है. उससे पहले बुधवार को पार्टी के चुनाव प्रभारी और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय हिमचाल पहुंच चुके हैं.
धूमल को नजरअंदाज करना मुश्किल क्यों
धूमल इकलौते बड़े नेता नहीं है जो हारे हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती, पूर्व मंत्री रवींद्र सिंह रवि, धूमल के समधि गुलाब सिंह ठाकुर जैसे बड़े नेताओं को भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है.
प्रदेश भाजपा में धूमल का खेमा काफी मजबूत माना जाता है. विधायक दल में भी उनका खेमा मजबूत है. बहुत सारे विधायक ऐसे हैं जो धूमल को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं.
धूमल के लिए नवनिर्वाचित विधायक वीरेंद्र कंवर ने अपनी सीट को छोड़ने की घोषणा की है. जातीय समीकरण और दो बार मुख्यमंत्री रहने का अनुभव के कारण भी वो रेस में बने हैं.
और कौन चर्चा में...
अश्विनी शर्मा का कहना है कि सुरेश भारद्वाज, अजय जामवल के नाम की भी चर्चा है, पर ये दौड़ की पिछली पंक्ति में हैं. प्रकाश लोहानी कहते हैं कि राज्य में भाजपा को बड़ा बहुमत मिला है. ऐसे में विधायकों के विचार पार्टी के लिए खास मायने नहीं रखते हैं.
वो कहते हैं कि भाजपा में ये भी परंपरा रही है कि कई मुख्यमंत्री अचानक बनाए गए हैं जिनके नाम चर्चा में नहीं रहे थे. ऐसी स्थिति में कुछ भी हो सकता है. फिलहाल विधायक दल केंद्रीय नेतृत्व की ओर देख रहा है.
प्रदेश भाजपा कार्यालय में गहमा-गहमी का माहौल है. जयराम ठाकुर जब भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुंचे तो उनका जोरदार स्वागत किया गया.
अश्विनी शर्मा के मुताबिक उनके स्वागत में कार्यकर्ताओं ने जय श्री राम के नारे भी लगाए. उनके आते ही उन्हें बधाई देने का दौर शुरू हुआ. इसके बाद वो संगठन महामंत्री पवन राणा र पार्टी के महामंत्री चंद्रमोहन ठाकुर से साथ भी बैठक की. हालांकि बैठक के बारे में किसी नेता ने कुछ नहीं कहा.