क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

अंतरिक्ष में सबसे ज़्यादा कचरा किसने फैलाया

नासा टाउनहॉल में ब्राइडेन्स्टाइन ने बताया कि इससे पैदा हुए ज़्यादातर टुकड़े बड़े हैं. उन्होंने कहा कि नासा ने छोटे टुकड़ों को ट्रैक किया है और बड़े टुकड़ों को खोज की जा रही है.

By टीम बीबीसी हिंदी, नई दिल्ली
Google Oneindia News
अंतरिक्ष, नासा, इसरो, डीआरडीओ, मलबा, अंतरिक्ष में कचरा, DRDO, India successfully launched the Ballistic Missile Defence Interceptor missile, Anti-Satellite missile test, MissionShakti
DRDO
अंतरिक्ष, नासा, इसरो, डीआरडीओ, मलबा, अंतरिक्ष में कचरा, DRDO, India successfully launched the Ballistic Missile Defence Interceptor missile, Anti-Satellite missile test, MissionShakti

नासा (द नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) ने भारत की एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण से निकले मलबे से इंटरनेशनल स्पेस सेंटर (आईएसएस) को पैदा हुए ख़तरे को भयानक बताया है.

नासा प्रमुख जिम ब्राइडेन्स्टाइन ने कहा कि भारत ने जिस उपग्रह को निशाने पर लिया वो कई टुकड़ों में टूट गया.

उनका कहना है कि इनकी संख्या 400 से भी अधिक है और इससे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर ख़तरा पैदा हो गया है.

नासा टाउनहॉल में ब्राइडेन्स्टाइन ने बताया कि इससे पैदा हुए ज़्यादातर टुकड़े बड़े हैं. उन्होंने कहा कि नासा ने छोटे टुकड़ों को ट्रैक किया है और बड़े टुकड़ों को खोज की जा रही है.

उन्होंने कहा कि भविष्य के अंतरिक्ष मिशन के लिए इस तरह की गतिविधियां सही नहीं हैं.

जिन ने कहा, "भारतीय उपग्रह को नष्ट करने से पैदा हुए कचरे के 60 छोटे टुकड़ों की पहचान कर ली गई है और इनमें से 24 टुकड़े इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से ऊपर चले गए हैं."

उन्होंने कहा, ''यह अस्वीकार्य है. नासा इसके प्रभाव को लेकर पूरी तरह से स्पष्ट है.'' अमरीकी सेना को अंतरिक्ष में कचरों के टुकड़े मिले थे और कहा था कि यह आईएसएस और उसके उपग्रहों के लिए ख़तरनाक है.

नासा प्रमुख ने कहा कि भारतीय परीक्षण के कारण 10 दिनों में आईएसएस पर ख़तरा 44 फ़ीसदी बढ़ गया है. हालांकि वक़्त के साथ यह ख़तरा कम हो जाता है क्योंकि धीरे-धीरे ये वायुमंडल में आने के बाद ये टुकड़े जल जाते हैं.

नासा के आरोपों पर क्या कहते हैं विज्ञान पत्रकार पल्लव बागला

कोई टेस्ट होगा तो अंतरिक्ष में कचरा बढ़ेगा ज़रूर लेकिन उनका यह कहना कि 44 फ़ीसदी ख़तरा बढ़ा है, तो यह 1.44 फ़ीसदी ही हुआ. यह बेहद मामूली ख़तरा है.

इसे आप कह सकते हैं कि 'सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को.' अंतरिक्ष में सबसे ज़्यादा गंदगी अमरीका ने फैलाई है. अमरीका कचरा का अपने हिसाब से मॉनिटर करता है. उनके कचरों की संख्या छह हज़ार से भी ज़्यादा है जबकि भारत के कचरों की संख्या महज 100 के क़रीब है.

अंतरिक्ष में छह हज़ार से भी अधिक कचरे के टुकड़े हैं. चीन ने 2007 में एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण किया था. उन्होंने 800 किलोमीटर की अधिक ऊंचाई पर अपने उपग्रह को मार गिराया था. उसका कचरा भी अंतरिक्ष में पड़ा है. उससे ख़तरा बहुत ज़्यादा है.

क़रीब 10 सेंटीमीटर से बड़े मलबे की 30 हज़ार संख्या मौजूद है. बड़े रेडार से अमरीका की सेंट्रल स्पेस कमांड इसकी निगरानी करती है.

1957 में स्पूतनिक लॉन्च किया गया था. तब से अब तक आठ हज़ार कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे गए हैं. इस समय क़रीब 200 उपग्रह काम कर रहे हैं. इनमें से 800 अमरीका के और कुछ रूस के और कुछ चीन के हैं.

भारत के वर्तमान कृत्रिम उपग्रहों की संख्या महज 48 है. जिसने जितने अधिक उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे हैं उसने उतना ही ज़्यादा कचरा पैदा किया है.

यदि बड़े ध्यान से देखें तो नासा चीफ़ ने अंत में कहा है कि हमारे अंतरिक्ष यात्रियों को इससे ख़तरा नहीं है, लेकिन थोड़ा ख़तरा ज़रूर बढ़ा है. लेकिन उनकी अपनी गतिविधियों से बढ़े कचरे की मात्रा कहीं अधिक है.

एसैट, अंतरिक्ष, मलबा, अंतरिक्ष में कचरा, नासा, इसरो, डीआरडीओ
Getty Images
एसैट, अंतरिक्ष, मलबा, अंतरिक्ष में कचरा, नासा, इसरो, डीआरडीओ

क्या होता है अंतरिक्ष का मलबा

अंतरिक्ष में मलबा उन इंसानी वस्तुओं को कहते हैं जिसका अब स्पेस में कोई इस्तेमाल नहीं बचा है.

नासा के अनुमान के मुताबिक अंतरिक्ष से रोज़ाना क़रीब एक मलबा पृथ्वी पर गिरता है. ये मलबा या तो धरती पर गिरता है या वातारवरण में प्रवेश के साथ ही जल जाता है.

अधिकतर ऐसे मलबे पृथ्वी पर स्थित जलीय क्षेत्र में गिरते हैं क्योंकि धरती का क़रीब 70 फ़ीसदी हिस्सा पानी का है. पिछले 50 सालों से भी अधिक समय से चल रहे अंतरिक्ष अभियानों में एकत्र मलबे आज भी बड़ी संख्या में अंतरिक्ष में मौजूद हैं.

अंतरिक्ष, नासा, इसरो, डीआरडीओ, मलबा, अंतरिक्ष में कचरा
Getty Images
अंतरिक्ष, नासा, इसरो, डीआरडीओ, मलबा, अंतरिक्ष में कचरा

मलबा गिरने से नुक़सान क्या

मैंने तो नहीं सुना कि ऊपर से कचरा गिरने से कोई नुक़सान की बात सामने आई हो. भारतीय उपग्रह माइक्रोसैट-आर के टुकड़े जब गिरेंगे तो वो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते ही जल कर नष्ट हो जाएंगे.

एक समय चीनी स्पेस स्टेशन थियांगोग के पृथ्वी से टकराने की चर्चा थी. लेकिन यह बिना कोई नुकसान पहुंचाए समुद्र में गिरकर नष्ट हो गया.

1979 में 75 टन से भी अधिक वजन का नासा स्पेस सेंटर स्काइलैब गिरा था. पूरी दुनिया में तब इसे लेकर बहुत घबराहट थी लेकिन यह भी समुद्र में गिरकर नष्ट हो गया था.

पृथ्वी की कक्षा में घूम रही छोटी चीज़ें न तो नीचे आती हैं और न ही ऊपर जाती हैं. त्रिशंकु की तरह वो उसी कक्षा में घूमते रहते हैं.

ये मलबा अंतरिक्ष यान, उपग्रहों और स्पेस स्टेशनों के लिए ख़तरा बने रहते हैं. पिछले 60 वर्षों के दौरान जिस तरह से दुनिया भर के देशों की अंतरिक्ष गतिविधियां बढ़ी हैं, उससे स्पेस में मलबा बढ़ता ही जा रहा है.

जुलाई 2016 में अमरीकी स्ट्रैटिजिक कमान के निकट अंतरिक्ष में क़रीब 18 हज़ार कृत्रिम वस्तुओं का पता चला था. इनमें सैंकड़ों की संख्या में कृत्रिम उपग्रह शामिल थे. ये संख्या बड़े मलबों की है.

छोटे-छोटे टुकड़ों की बात करें तो 2013 की एक स्टडी के मुताबिक अंतरिक्ष में एक से 10 सेंटीमीटर के आकार के कचरों या मलबों की संख्या 6,70,000 से भी अधिक है.

अंतरिक्ष में कोई भी टुकड़ा होगा तो वो ख़तरा ज़रूर पैदा करेगा. अंतरिक्ष में एक बार दो उपग्रह टकरा गए थे उससे काफ़ी ख़तरा पैदा हुआ था. भारत के प्रक्षेपण के दौरान कई बार देखा गया है कि वो समय को आगे-पीछे करते हैं इसके पीछे वजह रास्ते (ट्राजेक्ट्री) में आने वाला कोई कण हो सकता है.

अंतरिक्ष, नासा, इसरो, डीआरडीओ, मलबा, अंतरिक्ष में कचरा
Getty Images
अंतरिक्ष, नासा, इसरो, डीआरडीओ, मलबा, अंतरिक्ष में कचरा

नुक़सान कम करने के उपाय

अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले उपग्रहों में 'एंड ऑफ़ लाइफ' के लिए इतना ईंधन मौजूद होता है कि वो रॉकेट, उपग्रह को डिऑर्बिट किया जा सके, मतलब उन्हें नीचे लाकर ग्रेवयार्ड (क़ब्रिस्तान) ऑर्बिट में रखा जा सके ताकि नुक़सान कम-से-कम हों.

भारत अंतरिक्ष के मलबे को मल्टी ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रेडार से ट्रैक करता है. श्रीहरिकोटा के पास यह रेडार है, अमरीका के पास ऐसे कई रेडार हैं और वो इनकी सार्वजनिक सूचना साझा करते हैं.

अंतरिक्ष में मौजूद मलबे को इकट्ठा करने के लिए कुछ प्रयोग ज़रूर हुए हैं. इसमें नेट या हार्पुन लगाकर किसी तरह से मलबे को खींच कर उन्हें डीऑर्बिट किया जाए और वापस धरती पर लाकर जला दिया जाए, इसके प्रयोग किए गए हैं.

लेकिन यह कितने कारगर हैं या इस पर कितना खर्च आएगा अभी उस पर पूरी जानकारी नहीं है. आने वाले वक्त में सभी देशों को मिलकर इस पर ध्यान देना होगा.

अमरीका और रूस ने शुरुआत में जो प्रक्षेपण किए थे उसमें उन्होंने अंतरिक्ष के कचरे पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था. भारत ने तो अभी हाल में ये प्रक्षेपण करना शुरू किया है.

भारत ने आउटर स्पेस समझौते पर हस्ताक्षर भी किए हैं. कचरा कम-से-कम हो भारतीय वैज्ञानिक इसकी कोशिश करते हैं.

भारत का इन-ऑर्बिट कचरा महज 80 के क़रीब है. वहीं अमरीका का चार हज़ार से अधिक और चीन का तीन हज़ार से ऊपर.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Who spread the trash in space
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X