पहली डेट पर बिल का भुगतान कौन करे, पुरुष या महिला?
बीबीसी हर साल पूरी दुनिया की प्रभावशाली और प्रेरणादायक महिलाओं की कहानियां दुनिया को बताता है. इस साल महिलाओं को शिक्षा, सार्वजनिक स्थानों पर शोषण और खेलों में लैंगिक भेदभाव की बंदिशें तोड़ने का मौका दिया जाएगा.
आपकी मदद से ये महिलाएं असल ज़िंदग़ी की समस्याओं के समाधान निकाल रही हैं और हम चाहते हैं कि आप अपने विचारों के साथ इनके इस सफ़र में शामिल हों.
जब मैंने डेटिंग करना शुरू किया तो मेरी मां ने मुझे बताया कि मुफ़्त में खाना-पीना जैसी कोई चीज़ नहीं होती है.
उन्होंने कहा, "ज़्यादातर पुरुष ये सोचेंगे कि आपको उन्हें बदले में कुछ देना चाहिए"
मुझे पता था कि मेरी मां मेरे मन में किसी तरह की नफ़रत नहीं भरना चाहती थीं. लेकिन जब भी मैं किसी नए शख़्स से मिलती थी तो उनकी सलाह मुझे परेशान करती थी.
डेट के दौरान पांच डॉलर की बियर का मेरा बिल भरने वाले पुरुषों के प्रति पैदा होने वाले कर्तव्यबोध से आज़ाद होने में मुझे काफ़ी समय लगा.
मैं वो लड़की हूं जिसने 14 साल की उम्र से डेटिंग शुरू की थी. इस लिहाज़ से एक शानदार साथी की तलाश करने के लिए ज़रूरी बातों को लेकर काफ़ी समझ हासिल कर ली है.
आजकल की दुनिया में ऐप्स और ऑनलाइन कम्युनिटीज़ की वजह से लोगों के लिए अपनी पसंद के साथी के साथ डेट पर जाना काफ़ी आसान हो गया है.
लेकिन पहली डेट के दौरान बिल भरने के मुद्दे पर हमेशा बहस खड़ी हो जाती है.
कनाडा के टोरोंटो में रहने वाली 27 वर्षीय लेखिका एन रुचेटो अपनी मां से ये सलाह पाने के कई साल बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची हैं पहली डेट के दौरान पुरुषों को ही खाने-पीने का बिल भरना चाहिए.
किसे भरना चाहिए बिल?
मैं ये तर्क मानती हूं कि महिलाओं को पुरुषों के साथ बराबरी का हक़ मिलना चाहिए. हमें डेट के दौरान अपने बिल को आधा-आधा बांट लेना चाहिए.
ये करने के लिए मैंने हमेशा ऐसी जगहों को चुना जहां पर मैं बिल के आधे हिस्से का भुगतान कर सकूं.
लेकिन अब से पांच साल पहले मेरे दोस्तों और शिक्षकों ने मुझे ऐसे विचारों से अवगत कराया जिसके बाद मेरी इस सोच को चुनौती मिली जिसके तहत मैं सोचती थी कि डेट के दौरान महिला और पुरुष दोनों को बिल के हिस्से को बराबर बांटना चाहिए.
मैंने बेल हुक्स उपनाम से लिखने वाली ग्लोरिया जीन वाटकिंस जैसी महिलावादी लेखिकाओं को पढ़ना शुरू किया. इन्हें पढ़ते हुए मैंने सोचा कि वर्तमान ढांचे की वजह से समाज में किसे सबसे ज़्यादा फ़ायदा होता है.
वाटकिंस और दूसरे लेखकों को पढ़ते हुए मैंने इस बारे में सोचना शुरू किया कि व्यक्तिगत लेनदेन से लेकर हर स्तर पर शक्ति के समीकरण किस तरह काम करते हैं.
ज़्यादा खर्चीली जीवनशैली
समाज के वर्तमान ढांचे की वजह से हर व्यक्ति को अलग-अलग तरह से लाभ होता है. ऐसे में इस बात की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए कि डेट के दौरान होने वाले खर्चे को बराबरी से बांटा जाए क्योंकि ये इस बात पर निर्भर करता है कि हम किसके साथ डेट पर जा रहे हैं और वह सामाजिक ढांचे से किस तरह और कितना लाभांवित हो रहा है.
पुरुषों की तुलना में महिलाओं की तनख़्वाह कम होती है. कनाडा में अगर एक पुरुष की औसत आय 1 डॉलर होती है तो महिला की औसत आय सिर्फ $0.69 कैनेडियन डॉलर होती है.
लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हमारी जीवनशैली पुरुषों के मुक़ाबले सस्ती है. बल्कि, कुछ मामलों में ये पुरुषों से महंगी हो सकती है.
महिलाओं से जिस तरह व्यवहार और रूप-रंग को लेकर अपेक्षा की जाती है, उसकी वजह से उन्हें खर्च करना पड़ता है.
महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे हर मामले में पुरुषों की तुलना में ज़्यादा सहज, समझदार, सजग और मिलनसार हों.
महिलाओं को ऐसा करने के लिए भौतिक रूप से लेकर भावनात्मक रूप से भारी कीमत अदा करनी पड़ती है.
यही नहीं, डेटिंग के दौरान होने वाले खर्चे को महिला बनाम पुरुष का मुद्दा नहीं बनाया जा सकता है.
हमारे आर्थिक, सामाजिक, लैंगिक, नस्ली और नागरिकता के आधार पर अनुभव अलग-अलग हैं.
आख़िरकार, समानता और न्यायसंगतता दो अलग-अलग चीजें हैं. अगर दो लोगों को समान जूते मिल रहे हैं तो वह समानता है. लेकिन न्यायसंगतता का मतलब ये है कि हर व्यक्ति को वह जूता मिले जो उनके पैर के मुताबिक़ बिलकुल ठीक है.
बेहतरीन रिश्तों में लोग अपने बीच न्यायसंगतता को हासिल करने की कोशिश करेंगे.
एक बार मैं एक लड़के के साथ पहली डेट पर गई. वो ज़्यादातर समय अपनी स्पोर्ट्स कार और यात्राओं का बखान करता रहा.
इसके बाद जब बिल देने का समय आया तो उसने कहा कि हमें बिल को बांट लेना चाहिए. मैं ये सुनकर सोच में पड़ गई.
दिलचस्प बात ये है कि ऐसे समृद्ध परिवारों से आने वाले लड़के अक्सर मेरे दोस्तों के बीच ऐलान करते हैं कि वे महिलावादी हैं और हम लोग खर्चे को बांटना चाहते हैं.
पुरुष इस बात को मानें या ना मानें लेकिन महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम मज़दूरी हासिल होती है. यही नहीं, पुरुष ये भी मानें या नहीं मानें लेकिन इस वजह से पुरुषों को सीधा फायदा होता है.
इसका मतलब ये नहीं है कि पुरुष मेहनत से काम नहीं करते हैं या उन्हें हमेशा ही बिल देना चाहिए. जब मैं ऐेसे पुरुषों के साथ डेट पर गई हूं जिनकी तनख़्वाह मुझसे कम है तो मैं बिल को बांटने के लिए तैयार रहती हूं.
इसी बीच अगर कभी मैं ये देखती हूं कि पहली डेट का बिल देने के बाद डेट पर आने वाला लड़का मुझसे किसी तरह की अपेक्षा रख रहा है तो मैं बिल साझा करने का सुझाव देती हूं और आगे किसी तरह की बातचीत बंद कर देती हूं.
इस तरह की पुरातनवादी सोच बताती हैं कि ऐसे पुरुष महिलाओं के सम्मान और उनकी सहमति को अहमियत नहीं देते हैं.
शक्ति के असुंतलन को चुनौती
मैंने अब तक महिलाओं और पुरुषों दोनों को डेट किया है. लेकिन हंसी की बात ये है कि जब भी मैं किसी महिला या लैंगिक-विविधता वाले व्यक्ति के साथ डेट पर गई हूं तो हम लोग बिल देने के लिए झगड़ते हैं.
मैं अपने साथी ज़ैक के साथ बीते एक साल से हूं. जब उसने मुझे बताया कि वह जानवरों को प्यार करता है, अपने दोस्तों के बारे में बताया, और श्रम अधिकारों को लेकर बात की तो मुझे बहुत अच्छा लगा. हमारी पहली डेट पर उसने बिल अदा किया था और दूसरी डेट पर मैंने खर्चा किया था.
अब हम जब भी बाहर घूमने जाते हैं या एक दूसरे के घरों पर जाते हैं तो अपनी क्षमता के आधार पर खर्चों को बांटते हैं.
भविष्य में ये बदल सकता है लेकिन हमारे बीच एक संतुलन कायम हो गया है. हमारा उद्देश्य ये है कि हम दोनों सम्मानित महसूस करें और किसी को ये नहीं लगे कि उसका फ़ायदा उठाया जा रहा है.
पहली डेट वो मौके होता हैं जब आपको ये पता चलता है कि समाज संसाधन के स्तर पर कितनी असमानता है. अगर हम बेहतरीन लोगों के साथ समय बिताना चाहते हैं तब शक्ति के असंतुलन को चुनौती दिया जाना हर रिश्ते के लिए ज़रूरी है.
पहली डेट पर कौन पैसे खर्च करेगा ये नहीं तय करता कि रिश्ते के नियम कैसे होंगे.
डेट के बाद जब लोगों के बीच एक तालमेल बन जाता है तो लोग वो समीकरण तलाश सकते हैं जो उन दोनों के हिसाब से ठीक हों.
100 वीमेन क्या है?
बीबीसी हर साल पूरी दुनिया की प्रभावशाली और प्रेरणादायक महिलाओं की कहानियां दुनिया को बताता है. इस साल महिलाओं को शिक्षा, सार्वजनिक स्थानों पर शोषण और खेलों में लैंगिक भेदभाव की बंदिशें तोड़ने का मौका दिया जाएगा.
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