डब्ल्यूएचओ ने कहा, ऐसे युवाओं को 2022 तक नहीं मिल सकती है कोरोना वैक्सीन
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 2022 तक स्वस्थ युवाओं को कोरोनावायरस का टीका नहीं लग सकता है। बुधवार को एक सोशल मीडिया इवेंट में डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि एक स्वस्थ और युवा व्यक्ति को कोरोनावायरस वैक्सीन प्राप्त करने के लिए 2022 तक इंतजार करना पड़ सकता है, क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी पहले बुजुर्ग और अन्य कमजोर समूहों के टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
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टीकाकरण पहले फ्रंट-लाइन श्रमिकों के साथ शुरू होगाः डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक के मुताबिक ज्यादातर लोग इससे सहमत हैं कि टीकाकरण पहले स्वास्थ्य देखभाल करने वाले श्रमिकों और फ्रंट-लाइन श्रमिकों के साथ शुरू हो रहा है, लेकिन इसमें भी यह परिभाषित करने की जरूरत है कि उनमें से कौन सबसे अधिक जोखिम में है, इसमें बुजुर्ग प्राथमिकता पर होंगे।
शुरुआती टीकाकरण की उम्मीद के बावजूद WHO वैज्ञानिक ने दोहराया
गौरतलब है कोरोना वैक्सीन के लिए वैश्विक रुप से दर्जनों वैक्सीन कैंडीडेट के क्लीनिकल परीक्षण और इस वर्ष शुरुआती टीकाकरण की उम्मीद के बावजूद डब्ल्यूएचओ के वैज्ञानिक ने दोहराया कि बड़े पैमाने पर शॉट्स की संभावना नहीं थी। अब तक वैश्विक स्तर पर लगभग 4 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 11 लाख संक्रमितों की मौत हो चुकी है।
एक सफल वैक्सीन की अरबों खुराक बनाना एक कठिन चुनौती होगी
जॉनसन एंड जॉनसन और एस्ट्राजेनेका के अमेरिकी ट्रायल के दो वैक्सीन कैंडीडेट को सुरक्षा चिंताओं पर रोक दिया गया है, जबकि एक सफल वैक्सीन की अरबों खुराक का निर्माण करना एक कठिन चुनौती होगी। डब्ल्यूएचओ ने पहले कहा था कि "हर्ड इम्यूनिटी" प्राप्त करने की उम्मीद में संक्रमण फैलाना अनैतिक है और इससे अनावश्यक मौतें होंगी। उसने संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए हाथ धोने, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और लक्षित बाह्य प्रतिबंध का आग्रह किया है।
संचरण को तोड़ने के लिए 70 फीसदी के टीकाकरण की आवश्यकता है
बकौल स्वामीनाथन, लोग हर्ड इम्यूनिटी के बारे में बात करते हैं। हमें केवल एक टीका के संदर्भ में बात करनी चाहिए। वास्तव में संचरण को तोड़ने के लिए कम से कम 70 फीसदी लोगों को टीकाकरण करने की आवश्यकता है।
वैश्विक संक्रमण उछाल के बाद डब्ल्यूएचओ को है और मौतों की आशंका
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बुधवार को कोरोनावायरस की मृत्यु दर में गिरावट के खिलाफ दी एक चेतावनी में कहा है कि मामलों की बढ़ती संख्या के साथ मृत्यु दर भी बढ़ जाएगी। यूरोप में रोजाना 100,000 मामले सामने आ रहे हैं। ब्रिटेन में लगभग 20,000 संक्रमण दर्ज किए गए, जबकि इटली, स्विट्जरलैंड और रूस भी ऐसे देशों में शामिल हैं, जहां रिकॉर्ड संख्या में मरीज मिल रहे हैं।
विश्व स्तर पर संक्रमण से हो रहीं मौतें लगभग 5,000 प्रति दिन हो गई हैं
विश्व स्तर पर मौतें अप्रैल में शिखर छूने के बाद लगभग 5,000 प्रति दिन हो गई, जो अप्रैल में प्रति दिन लगभग 7,500 से अधिक हो गई थी। डब्लूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक ने कहा कि केस लोड गहन देखभाल इकाइयों में भी बढ़ रहे थे। स्वामीनाथन ने आगे कहा कि केस बढ़ने के साथ ही मृत्यु दर बढ़ जाती है इसलिए हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए कि मृत्यु दर में कमी आ रही है।