जम्मू-कश्मीर के शोपियां में ट्रक चालकों को किसने मारा?: ग्राउंड रिपोर्ट
जम्मू-कश्मीर के शोपियां ज़िले में गुरुवार देर शाम संदिग्ध चरमपंथियों ने दो ट्रक चालकों की हत्या कर दी. दोनों चालक कश्मीर से बाहर के हैं. घटना शोपियां शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर चित्रगाम इलाके में हुई. दक्षिण कश्मीर के ज़िले में बीते दस दिनों में किसी बाहरी व्यक्ति की यह पांचवीं हत्या है. इससे पहले संदिग्ध चरमपंथी एक ट्रक चालक
जम्मू-कश्मीर के शोपियां ज़िले में गुरुवार देर शाम संदिग्ध चरमपंथियों ने दो ट्रक चालकों की हत्या कर दी. दोनों चालक कश्मीर से बाहर के हैं. घटना शोपियां शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर चित्रगाम इलाके में हुई.
दक्षिण कश्मीर के ज़िले में बीते दस दिनों में किसी बाहरी व्यक्ति की यह पांचवीं हत्या है. इससे पहले संदिग्ध चरमपंथी एक ट्रक चालक, सेब व्यापारी और एक मजदूर की हत्या कर चुके हैं. तीनों जम्मू-कश्मीर से बाहर के रहने वाले ही थे.
ताज़ा मामले में मारे गए दोनों ट्रक चालक राजस्थान के हैं. इनकी पहचान इलियास ख़ान और ज़ाहिद ख़ान के रूप में की गई है. घायल व्यक्ति की पहचान पंजाब निवासी जीवन सिंह के रूप में की गई है.
चित्रगाम गांव में डर का माहौल है जहां मुख्य सड़क के पास इस वारदात को अंजाम दिया गया है. सेना और पुलिस लगातार गश्त दे रही है.
जब इस ट्रक पर हमला हुआ तो उस पर सेब लदे थे और यह शोपियां शहर की ओर जा रहा था. हत्या के बाद सेब से लदे उस ट्रक को आग लगा दी गई.
'यह चलता रहा तो हमारा नाम बदनाम होगा'
चित्रगाम में फल की खेती करने वाले स्थानीय निवासी नज़ीर अहमद इस घटना से परेशान हैं.
उन्होंने कहा, "हम बहुत डरे हुए हैं. हमारे बगीचों में फल लगे हुए हैं. हमें नुकसान हो रहा है. बाहरी राज्यों के ट्रक चालकों को मारना ठीक नहीं है. यह हमें नुकसान पहुंचा रहा है. अगर यह चलता रहा तो हमारा नाम बदनाम होगा और हमें पैसे की तंगी हो जाएगी. ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए, यह निंदनीय है."
वे कहते हैं, "जब यह घटना हुई तो हम घर पर थे. हमें गोली की आवाज़ सुनाई पड़ी. हम अपने घरों से बाहर नहीं आए क्योंकि हमें कहा गया कि बाहर हमला हुआ है. हम नहीं जान सके कि यह हमला किसने किया."
इन दो ट्रक चालकों की हत्या के बाद शोपियां में मौजूद दूसरे बाहरी ट्रक चालक भी डरे हुए हैं.
शोपियां की फल मंडी में जोधपुर से ट्रक लेकर आए चालक पारस राम ने कहा कि इस घटना से हम असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, "हम इस मंडी से बाहर नहीं जाएंगे. इस घटना के बाद बाहर के ड्राइवरों में डर है. हमें बताया गया है कि इस मंडी के बाहर नहीं जाना है. सुरक्षाबलों ने हमसे कहा है कि हमें ट्रकों में फल, मंडी के अंदर ही लादने हैं. लिहाज़ा हम इंतजार कर रहे हैं. हम बाहरी राज्यों से आए हैं तो यह स्वाभाविक है कि इस घटना से हम डरे हुए हैं."
सेना के कैंप में ट्रक चालक ने गुज़ारी रात
लुधियाना के रहने वाले एक और ट्रक चालक सर्वप्रीत सिंह ने बताया कि उन्हें सेना के कैंप में ले जाया गया और उन्होंने पूरी रात वहीं गुज़ारी.
उन्होंने कहा, "हमने पुलवामा गांव में अपने ट्रकों को खड़ा किया है. सेना हमारे पास आई और हमसे अनुरोध किया कि कोई भी यहां न रुके. वे हमें अपने शिविर ले गए. हम वहां गए और बिना कुछ खाए पूरी रात बिताई. हमारे ट्रकों पर सामान लोड नहीं किया जा रहा. हमें यहां से जाने के लिए कहा गया है. कुछ स्थानीय लोगों ने भी कहा कि सेना तुम्हें मार डालेगी और चरमपंथी भी इलाके में घूम रहे हैं. ऐसे में अपनी गाड़ियां यहां मत खड़ी करो. हम डरे हुए हैं. हम मजदूर हैं और हम रोज़ी-रोटी कमाने यहां आए हैं. हमारी गाड़ियों में सामान नहीं लादे जा रहे हैं. यदि किसी को सामान मिलता भी है तो वह डर-डर कर उसे लादता है."
5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाया गया
5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटा दिया था, जिसके बाद से पूरे इलाके में तनाव है. भारतीय संविधान के इस अनुच्छेद के मुताबिक जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त था.
तब से पूरे कश्मीर में लंबे समय तक संचार सेवाएं पूरी तरह ठप रहीं. कर्फ़्यू और अन्य प्रतिबंध लगाए गए. स्कूल, कॉलेज और अन्य सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी बंद किए गए.
370 के प्रावधान हटाने के साथ ही भारत सरकार ने इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया.
भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने से कुछ दिन पहले कश्मीर घाटी में और ज़्यादा सुरक्षा बलों को लगाया था.
'ट्रक चालकों को मारना पूरी तरह ग़लत'
पुलवामा के एक स्थानीय चालक नज़ीर अहमद ने इन हत्याओं की कड़े शब्दों में आलोचना की.
वे कहते हैं, "अगर बाहर के ट्रक चालकों को मारेंगे तो जिन राज्यों के ये चालक हैं वहां भी हमारे लोगों के प्रति लोगों में गुस्सा पैदा होगा. और जब हम कश्मीर से बाहर जाएंगे तो हम पर भी बदले की भावना से हमला हो सकता है. तो हम अपने ट्रक, कश्मीर से बाहर नहीं ले जा सकेंगे. लिहाज़ा किसी भी बाहरी ट्रक चालक को मारना पूरी तरह ग़लत है."
पुलिस ने सभी हत्याओं में चरमपंथियों का हाथ बताया.
शोपियां के डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद यासीन चौधरी ने माना कि गुरुवार को हुई इन हत्याओं से यहां लोगों के बीच डर बढ़ा है.
वे कहते हैं, "पहले की घटनाओं से सेब के व्यापार पर बहुत बुरा असर नहीं पड़ा और हम ट्रक चालकों का मनोबल बढ़ाने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. हमने समय रहते मामले में हस्तक्षेप किया, सभी लोगों ने किया, स्थानीय ट्रक चालकों ने भी किया और इसका व्यापार पर बहुत नकारात्मक असर नहीं पड़ा. लेकिन गुरुवार की घटना से स्पष्ट रूप से डर बढ़ा है. कुछ ट्रक चालक डर से फौरन यहां से चले गए हैं. हम स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं और हमें यकीन है कि हम किसी भी नुकसान से उबरने में सक्षम होंगे."
पुलिस ने सुरक्षा ज़ोन बनाया
यह पूछे जाने पर कि इतनी भारी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद इस तरह की घटनाएं क्यों हुईं? उन्होंने कहा, "16 अक्तूबर की घटना के बाद हमने सुरक्षा ज़ोन बनाए हैं. ज़िले में बाहर से आए सभी ट्रक चालकों को एक जगह इस सुरक्षा ज़ोन में इकट्ठा किया गया. हम चाहते हैं कि सेब की खेती करने वाले सभी बगीचा मालिक इस सुरक्षित ज़ोन में ही अपनी छोटी गाड़ियों में सेब लेकर आएं फिर यहां ट्रक चालकों के ट्रक में सेब लाद दिए जाएं ताकि ट्रक और उसके ड्राइवर हमारी आंखों के सामने सुरक्षित रहें."
"लेकिन दुर्भाग्य से, ज़िले की अंदर की सड़कें बहुत दूर दूर तक फैली हैं और गुरुवार के दिन वो ट्रक हमारे इस ज़ोन से बाहर चला गया था."
चौधरी साथ ही कहते हैं कि गुरुवार को मारे गए दो ट्रक चालकों की हत्या की जांच अभी चल रही है.