जम्मू-कश्मीर: 2 MLA के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करने वाले एक दिन के 'किंग' की कहानी
नई दिल्ली/श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), कांग्रेस के बीच सरकार बनाने की सहमति बनते ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी। बुधवार शाम महबूब मुफ्ती ने राज्यपाल को फैक्स भेजा जो कि राजभवन में रिसीव नहीं हुआ। एक और शख्स ने सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के पास भेजा, मगर उनका भी फैक्स रिसीव नहीं हुआ। इनका नाम है- सज्जाद लोन, जिन्होंने गवर्नर के पीए को वॉट्सऐप पर सरकार बनाने के दावे के संबंध में लेटर भेज दिया। 87 सीटों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सज्जा लोन के पास सिर्फ दो सीटें हैं। उन्होंने बीजेपी के 25 और 18 अन्य विधायकों के समर्थन का दावा अपने पत्र में किया।
पीडीपी के मुजफ्फर बेग के ऐलान ने हिला दी जम्मू-कश्मीर की सियासत
दूसरी ओर पीडीपी के पास 28 विधायक हैं, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस के 15 और कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं। बुधवार को जम्मू-कश्मीर की सियासत में हाई-वोल्टेज ड्रामा इसलिए हुआ, क्योंकि पीडीपी के सीनियर लीड मुजफ्फर बेग ने कहा कि वह अपनी पार्टी का साथ छोड़ी सज्जाद लोन के थर्ड फ्रंट में शामिल हो सकते हैं। महबूबा मुफ्ती काफी समय से दावा कर रही थीं कि उनकी पार्टी के विधायकों को तोड़ने की कोशिश हो रही है। दो विधायकों की पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस चलाने वाले सज्जाद लोन भले ही सरकार नहीं बना पाए, लेकिन एक दिन के लिए ही सही वह जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े किंग मेकर के तौर पर उभरे।
हंदवाड़ा से विधायक हैं सज्जाद गनी लोन
सज्जाद लोन का पूरा नाम है, सज्जाद गनी लोन। वह कश्मीर की हंदवाड़ा विधानसभा सीट से एमएलए हैं। वह जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन हैं। सज्जाद लोन अलगाववादी नेता अब्दुल गनी लोन के सबसे छोटे बेटे हैं। अब्दुल गनी लोन की 2002 में एक रैली के दौरान हत्या कर दी गई थी। उनकी मृत्यु के बाद सज्जाद लोन राजनीति में आए। 2009 के आम चुनाव में बारामूला से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे थे, लेकिन जीत नहीं पाए थे।
मोदी समर्थक हैं सज्जाद लोन, बीजेपी-पीडीपी सरकार में रहे कैबिनेट मंत्री
2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से सज्जाद लोन खुलकर नरेंद्र मोदी का सपोर्ट करते आए हैं। जम्मू-कश्मीर में जब पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार बनी तब सज्जाद लोन भी कैबिनेट मंत्री बने थे। जून 2018 में बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद से सज्जाद लोन कश्मीर में बीजेपी के लिए और अहम हो गए। वह एक प्रकार से जम्मू-कश्मीर के मुख्य दलों- एनसी, पीडीपी के खिलाफ अहम धुरी बन गए। सज्जाद लोन जम्मू-कश्मीर पर पकड़ रखने वाले बीजेपी नेता राम माधव के बेहद करीबी माने जाते हैं।
सज्जाद लोन ने बनने से रोक दिया, पीडीपी, एनसी, कांग्रेस महागठबंधन
जम्मू-कश्मीर में सज्जाद लोन की भूमिका को कुछ इस तरह पारिभाषित किया जा सकता है- वह खुद भले ही किंग न पाए हों, लेकिन उन्होंने बीजेपी विरोधियों को किंग बनने से जरूर रोक दिया। अगर सज्जाद का समर्थन बीजेपी के पास नहीं होता तो संभव है कि जून में बीजेपी की ओर से समर्थन वापसी के बाद महबूबा मुफ्ती, पीडीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना लेतीं, लेकिन सज्जाद लोन ने पीडीपी में ही फूट के बीज डाल दिए। जम्मू-कश्मीर में कई बार ऐसी खबरें आईं जब पीडीपी के विधायकों के थर्ड फ्रंट यानी सज्जाद लोन के नेतृत्व में अलग जाने की खबरें आईं। सज्जाद लोन ने पीडीपी, एनसी, कांग्रेस, सरकार के गठन की तैयारियों से पहले उन्हें बड़ा झटका दे दिया। पीडीपी मुजफ्फर बेग ने सरकार गठन से पहले ही थर्ड फ्रंट में जाने की संभावना का ऐलान तक कर डाला। कुल मिलाकर कहें तो सज्जाद लोन ने बीजेपी के लिए जम्मू-कश्मीर में कम से कम इस समय तो महागठबंधन बनने से रोक दिया है।