क्या मनमोहन, शिंदे, रमन लेंगे छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में 20 मौतों की जिम्मेदारी?
समय-समय पर अपनी मौजूदगी को दर्ज कराने वाले नक्सलियों ने एक बार से फिर से इस हमले के जरिए इस बात को साबित करने की सफल कोशिश की कि सरकार की ओर से किए गए सभी दावे उनसे कमजोर हैं। इस हमले के साथ ही देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ ही गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह पर भी सवाल उठने लाजिमी है। अपने 20 जवानों को खोने के बाद जहां सीआरपीएफ को उनकी डेडबॉडीज का इंतजार है तो वहीं लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है?
Did you know:पैरामिलिट्री फोर्सेज में ड्यूटी पर मौत पर शहीद का दर्जा नहीं मिलता
मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भले ही विकास के बड़े-बड़े दावे करते हों और हर बार अपनी सरकार की पिछले 10 वर्ष की उपलब्धियां गिनाते नहीं थकते, नक्सलियों से कैसे निबटा जाए, इस पर कोई ठोस नीति बनाने में हर बार असफल साबित रहे हैं। पिछले छह वर्षों में हुए नक्सल हमलों में 1,000 से ज्यादा लोग अपनी जिंदगियां गवां चुके हैं। इनमें आम जनता के अलावा सुरक्षाकर्मी तक शमिल हैं।
सरकार की ओर से दावे तो कई किए गए लेकिन नीतियों का ऐलान कभी नहीं किया गया। सीमा पर आंतकवादियों और घुसपैठिएं देश के लिए खतरा बन चुके हैं तो देश के भीतर झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और दक्षिण के कुछ राज्यों तक फैला नक्सलियों का जाल आंतरिक तौर पर इसे नुकसान पहुंचाता जा रहा है। मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली केंद्र सरकार न तो नक्सलियों की समस्याओं को समझने की कोशिश कर रही है और न ही उनसे निबटने के लिए फिलहाल कोई ठोस रणनीति कारगर होती नजर आ रही है।
सुशील कुमार शिंदे गृहमंत्री
पिछले वर्ष यानी अक्टूबर 2013 में गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने दावा किया था कि सरकार ने इस समस्या का समाधान करने के लिए एक राज्यों के साथ मिलकर एक रणनीति बनाई है। शिंदे के दावों के मुताबिक इस समस्या के हल के लिए एक काउंटर इनसरजेंसी एंड एंटी-टेरोरिज्म स्कूल यानी सीआईएटी की स्थापना के साथ ही एक इंडिया रिजर्व बटालियन तैयार करने की बात भी कही थी। इसके अलावा उन्होंने बताया था कि योजना आयोग की ओर से एक इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान देश के उन 80 जिलों में सक्रिय है जहां पर नक्सलवाद की समस्या हावी है। लेकिन मंगलवार को हुए हमले ने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वाकई इन योजनाओं पर कोई काम हुआ है या फिर यह सिर्फ कोरे दावे ही हैं?
सुशील कुमार शिंदे पर एक जिम्मेदारी इसलिए भी बनती है क्योंकि गृह मंत्री होने के नाते सुरक्षा और गुप्तचर एजेंसियों पर वह नजर भी रखते हैं। किसी भी शहर में स्थित एलआईयू यानी लोकल इंटेलीजेंस यूनिट पर जिम्मा होता है कि वह सुरक्षा से जुड़े हर पहलू की जांच करें। पड़ोसी मुल्कों से आने वाले जाली नोटों तक की खबर रखने वाली एलआईयू आज नक्सल हमले की प्लानिंग के बारे में पूरी तरह से अनजान है। यह अपने आप में ही बड़ा सवाल है।
रमन सिंह-मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
रमन सिंह को जनता ने वर्ष 2013 में हुए चुनावों में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी है। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ में ही नक्सलियों ने घात लगाकर कांग्रेस के कुछ नेताओं पर हमला कर दिया था। उस हमले के कांग्रेस से वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल के साथ ही कुछ और लोग भी मारे गए थे। इसके अलावा सुकुमा में ही नक्सलियों ने एक बड़े अधिकारी को बंधक बना लिया था। रमन सिंह ने जब वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव जीता था तो उन्होंनेकहा था कि देश के छह राज्य नक्सलवाद का सामना करने को मजबूर हैं।
उनकी मानें तो केंद्र सरकार जब तक राज्य सरकार के साथ मिलकर काम नहीं करती, तब तक इस समस्या से छुटकारा नहीं पाया जा सकता है। रमनसिंह के बयान से साफ था कि कहीं न कहीं छत्तीसगढ़ की सरकार और केंद्र सरकार के बीच सामंजस्य का अभाव है और इसका खामियाजा देश की आंतरिक सुरक्षा, सुरक्षाकर्मियों और जनता को भुगतना पड़ रहा है। सवाल है कि इस सामंजस्य की इस कमी को राज्य सरकार कब तक और कैसे दूर कर पाएगी या फिर यह ऐसे ही रहेगी और इस तरह के हमले होते रहेंगे?