मातोश्री से संभाली सियासत, उद्धव ठाकरे के लिए तैयार किया CM की कुर्सी तक का रास्ता, जानिए कौन हैं पर्दे के पीछे का अहम किरदार रश्मि ठाकरे
जानिए कौन हैं पर्दे के पीछे से सियासत संभालने वाली रश्मि ठाकरे
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नई दिल्ली। महाराष्ट्र की सियासत में पिछले एक महीने से आया भूचाल अब थम गया है। राजनीतिक उठापटक के बाद अब 'महाराष्ट्र विकास अघाड़ी' गठबंधन महाराष्ट्र में सरकार बनाने जा रही है। शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे अगले मुख्यमंत्री होंगे। ये पहला मौका है जब ठाकरे परिवार मराठा सूबे की बागडोर थाम रहा है। सियासत के कई समीकरण बने और राजनीति के इस खेल में धुर विरोधियों ने भी एक दूसरे का हाथ थाम लिया। शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने की रणनीति बनाई। इस समीकरण को राजनीति के धुरंधर ने पर्दें के आगे जितना तैयार किया उससे नींव मातोश्री में तैयार की गई। राजनीति के इस जटिल समीकरण को उद्धव ठाकरे की धर्मपत्नी रश्मि ठाकरे ने अंजाम दिया।
राजनीति की पक्की खिलाड़ी
सार्वजनिक मंच पर बहुत कम नजर आने वाली रश्मि ठाकरे ने महाराष्ट्र की राजनीति का नया अध्याय लिख दिया। चाहे बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने का फैसला हो या एनसीपी-कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने का, इन फैसलों के पीछे शिवसेना की रणनीतिकार रश्मि ठाकरे ही रही। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री पद के लिए उद्धव ठाकरे की सहमति के पीछे भी रश्मि ठाकरे का बड़ा योगदान माना जा रहा है। उन्होंने गठबंधन की बैठकों में पति उद्धव ठाकरे का साथ बैठकर शिवसेना की मांगो को पुरजोर तरीके से रखा और मुख्यमंत्री की कुर्सी अपने पाले में कर ली।
परिवार में भी दबदबा
उद्धव
ठाकरे
की
पत्नी
रश्मि
ठाकरे
ने
लगातार
शिवसेना
की
राजनीति
में
सक्रिय
रही।
मातोश्री
में
बैठकर
शिवसेना
की
सियासत
की
रूपरेखा
तय
करने
वाली
रश्मि
ने
ही
बीजेपी
के
साथ
सीट
शेयरिंग
के
मसले
का
उठाया
और
कहा
कि
सीटों
का
बंटवारा
और
सत्ता
में
हिस्सेदारी
पर
सम्मानजनक
समझौता
होना
चाहिए।
रश्मि
की
राजनीति
में
दिलचस्पी
तो
पहले
से
थी,
लेकिन
लेकिन
यह
पहला
मौका
था,
जब
उन्होंने
शह-मात
का
खेल
खेला
और
शिवसेना
के
लिए
जीत
हासिल
की।
इससे
पहले
नारायण
राणे
और
राज
ठाकरे
के
शिवसेना
से
अलग
होने
पर
भी
उन्होंने
उद्धव
ठाकरे
के
पक्ष
में
मुहिम
चलाई
थी
और
शिवसेना
नेताओं
को
उद्धव
ठाकरे
के
पक्ष
में
गोलबंद
किया
था।
साल
2005
के
बाद
उनका
शिवसेना
का
राजनीति
में
हस्तक्षेप
बढ़ा
है।
शिवसेना
के
महिला
विंग्स
के
कार्यक्रमों
में
वो
बढ़-चढ़
कर
हिस्सा
लेती
हैं।
बेटे आदित्य को सबसे युवा सीएम बनाने का सपना
रश्मि
ने
जहां
पति
उद्धव
ठाकरे
के
लिए
ताजपोशी
का
रास्ता
साफ
किया
तो
वहीं
उनका
सपना
अपने
बेटे
आदित्य
को
सबसे
युवा
मुख्यमंत्री
बनाने
का
है।
19
साल
की
उम्र
में
राजनीति
में
कूदने
वाले
आदित्य
ठाकरे
को
उन्होंने
ही
चुनाव
लड़ने
के
लिए
प्रेरित
किया
और
शिवसेना
की
सुरक्षित
सीट
वर्ली
सीट
से
उतारा।
वो
आदित्य
को
सबसे
युवा
सीएम
के
तौर
पर
देखना
चाहती
है,
इसलिए
शिवसेना
ने
भाजपा
के
सामने
50:50
फार्मूला
या
बारी-बारी
से
सीएम
के
फार्मूले
का
प्रस्ताव
रखा,
लेकिन
भाजपा
ने
उसे
नहीं
माना,
जिसकी
वजह
से
शिवसेना
के
साथ
बीजेपी
का
सालों
पुराना
गठबंधन
टूट
गया।
कॉलेज से शुरू हुई उद्धव-रश्मि की प्रेम कहानी
उद्धव ठाकरे मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में पढ़ते थे। इसी कॉलेज में रश्मि भी पढ़ती थी। कॉले के दौरान उनकी मुलाकात मुंबई के डोंबिवली इलाके में रहने वालीं रश्मि पाटनकर से हुई। मुलाकाते बढ़ी और उद्धव और रश्मि को एक दूसरे से प्यार हो गया। बाद में दोनों ने शादी कर ली। शादी के दो साल तक दोनों मातोश्री से अलग रहे, लेकिन फिर बाद में प रिवार के साथ रहने के लिए लौट आएं।
ऐसे शुरू हुआ राजनीति का सफर
उद्धव ठाकरे वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के शौकीन थे। उन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन रश्मि चाहती थी कि पिता की विरासत उनके बेटे को ही मिले। उद्धव की 40 साल की उम्र तक राजनीति में खास दिलचस्पी नहीं थी और वे सक्रिय राजनीति में भी नहीं थे, लेकिन साल 2002 के बीएमसी चुनाव में उद्धव ने खासी भूमिका निभाई और शिवसेना को जीत दिलाई। उद्धव को राजनीति में दिलचस्पी लेने के लिए भी रश्मि ने ही प्रेरित किया। उन्होंने परिवार में भी पैठ जमाया और राजनीति के मैदान में पति उद्धव ठाकरे के पीछे स्तंम्भ के तौर पर खड़ी हो गईं।
....तो
इस
तरह
NCP
के
लिए
विलेन
से
हीरो
बन
गए
अजित
पवार