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कौन हैं जेडीयू से निकाले गए प्रशांत किशोर, जानें मोदी से लेकर नीतीश के सिर ताज पहनाने वाले पीके का सफर

Political journey from 2011 to 2020 of Prashant Kishor, leader and electoral strategist expelled from JDU. जेडीयू से निकाले गए नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का 2011 से लेकर 2020 तक राजनीतिक सफर। 2011 में मोदी को सीएम, 2014 में मोदी को पीएम और 2015 में नीतीश कुमार को सीएम बनवाया,

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बेंगलुरु। नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर की लड़ाई का तात्कालिक अंत हो चुका है। पार्टी के खिलाफ लगातार बयानबाजी के कारण बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को जेडीयू से बाहर निकाल दिया है। पीके को इससे गहरा झटका लगा है, ऐसे में माना जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद ही प्रशांत किशोर अपने सियासी पत्ते खोलेंगे कि वो किस पार्टी का दामन थामेंगे। बिहार के बक्सर जिले में जन्‍में प्रशांत किशोर पांडेय की पहचान एक नेता से कहीं अधिक चुनावी रणनीतिकार की है उन्‍हें चुनावी राजनीति में महारत हासिल हैं। आइए जानते हैं बिहार के प्रशांत किशोर पाण्‍डेय से पीके बनने का उनका दिलचस्‍प राजनीतिक सफर!

कई राजनेताओं को अपनी सूझबूझ से बनवा चुके है सीएम

कई राजनेताओं को अपनी सूझबूझ से बनवा चुके है सीएम

प्रशांत किशोर कई राजनेताओं को अपनी रणनीतिक सूझबूझ के दम पर मुख्यमंत्री तक बना चुके हैं। वर्ष 2015 में उन्होंने बिहार में महागठबंधन की जीत में जो प्रशांत किशोर ने भूमिका बनायी वो इतिहास बन चुका हैं। वर्तमान समय में एनआरसी पर सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ऊपर हमला बोलने वाले प्रशांत किशोर ने ही 2015 में जेडीयू के लिए चुनावी रणनीति तैयार की थी। 2015 में जब उन्होंने नीतीश कुमार को चुनाव जीतने में मदद की थी। जिसके बाद उन्‍हें जेडीयू का अध्‍यक्ष पद दिया गया जिससे उन्‍होंने अपना नेता के रुप में सियासी सफर का श्रीणेश किया था। जिसके बाद में प्रशांत किशोर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया गया। तब सीएम नीतीश ने प्रशांत को बिहार की राजनीति का भविष्‍य बताया था।

बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है, चाय पे चर्चा पीके की दिमाग की उपज थी

बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है, चाय पे चर्चा पीके की दिमाग की उपज थी

पीके ने ही 2015 में नीतीश कुमार के जनसंपर्क अभियान 'हर-घर दस्तक' और 'बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है' जैसे लोकप्रिय नारे बनाए थे। बिहार में बिहार है, नीतीशै कुमार है' यह नारा काफी छाया रहा। इस चुनाव में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला। इतना ही नहीं प्रशांत ही थे जिनकी वजह से बिहार में धुर विरोधी जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस का महागठबंधन संभव हुआ था।

पीएम मोदी के इन सफल कार्यक्रमों का श्रेय पीके को ही जाता है

पीएम मोदी के इन सफल कार्यक्रमों का श्रेय पीके को ही जाता है

प्रशांत किशोर ने ही मोदी की उन्नत मार्केटिंग और विज्ञापन अभियान जैसे कि चाय पे चर्चा, 3डी रैली, रन फॉर यूनिटी, मंथन का श्रेय प्रशांत को ही जाता हैं। बता दें पीके इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पैक) नामक एक संस्‍था चलाते है जो लीडरशिप, सियासी रणनीति, मैसेज कैंपेन और भाषणों की ब्रांडिंग का काम करता हैं। वर्तमान समय में उनका ये संगठन दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के लिए चुनावी रणनीति तैयार की हैं। इससे पहले महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव और उसके बाद वहां शिवसेना की सरकार बनने के पीछे प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति थी उन्‍होंने ही उद्वव ठाकरे को स्‍वयं चुनाव लड़ने के बजाय बेटे आदित्‍य को चुनाव लड़ने की सलाह दी थी।

पीके के पिता और पत्‍नी दोनों ही हैं डाक्‍टर

पीके के पिता और पत्‍नी दोनों ही हैं डाक्‍टर

वर्ष 1977 में बिहार के बक्सर जिले में जन्‍में प्रशांत की मां उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की हैं वहीं पिता बिहार सरकार में डॉक्टर हैं। बिहार में ही शुरुआती पढ़ाई के बाद प्रशांत ने हैदराबाद से इंजिनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद वे यूएन से जुड़े। उनकी पत्नी का नाम जाह्नवी दास असम के गुवाहाटी में डॉक्टर हैं। प्रशांत किशोर और जाह्नवी का एक बेटा है। राजनीतिक करियर की बात करें तो 2014 में मोदी सरकार को सत्ता में लाने की वजह से वह चर्चा में आए थे। वह तभी से एक बेहतरीन चुनावी रणनीतिकार के नाम से जाने जाते हैं। उनकी खासियत है कि वो पर्दे के पीछे से ही चुनावी रणनीतिक को अंजाम देते हैं इसलिए उन्‍हें राजनीतिक पार्टियां अधिक भरोसेमंद मानती है। जिससे राजनीति में ब्रांडिंग का दौर शुरू हो गया। चुनाव में नेता का ऐसा प्रचार शायद ही किसी दौर में देखा गया था।

2011 में गुजरात में मोदी के लिए बने थे चुनावी रणनीतिकार

2011 में गुजरात में मोदी के लिए बने थे चुनावी रणनीतिकार

2011 में गुजरात के सबसे बड़े आयोजनों में से एक 'वाइब्रैंट गुजरात' की रूपरेखा प्रशांत किशोर ने ही तैयार की थी। इसके बाद 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की टीम ने बीजेपी का प्रचार संभाला था और नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री चुनकर आए। नरेन्‍द्र मोदी की टीम से जुड़कर राजनीतिक रणनीतिकार (Political strategist) के तौर पर अपना करियर शुरू किया।

2014 में भाजपा को आम चुनाव में दिलाई थी भाजपा को जीत

2014 में भाजपा को आम चुनाव में दिलाई थी भाजपा को जीत

गुजरात चुनाव में मिली नरेन्‍द्र मोदी और भाजपा को मिली सफलता के बाद बीजेपी ने 2014 लोकसभा चुनाव प्रचार की एक बार फिर से चुनावी प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी। प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति ही ही थी जिसके कारण 2014 में सालों बाद केन्‍द्र में भाजपा की बहुमत की सरकार बनी। 2014 लोकसभा चुनाव में 'चाय पर चर्चा' और 'थ्री-डी नरेंद्र मोदी' के पीछे पीके का ही दिमाग था। इसी चुनाव के बाद पीके सुर्खियों में आए और जिसके बाद कई पार्टियों ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को चुना। भाजपा के बाद प्रशांत किशोर ने जेडीयू और कांग्रेस के लिए भी चुनाव के दौरान रणनीतियां बनायी जिसमें दलों को ऐतिहासिक सफलता भी मिली। 2014 में भाजपा का साथ छोड़ने के बाद प्रशांत किशोर ने 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार- लालू यादव के महागठबंधन का हाथ थामा था।

पंजाब और हरियाणा चुनाव में दिलायी जीत

पंजाब और हरियाणा चुनाव में दिलायी जीत

2016 में प्रशांत किशोर ने पंजाब विधानसभा चुनाव में अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति तैयार की और कांग्रेस को बड़ी जीत दिलवाई। 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस का चुनाव प्रचार संभाला लेकिन पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटें मिलीं थीं। वहीं प्रशांत किशोर ने आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी वाईएसआर कांग्रेस के लिए चुनावी सलाहकार नियुक्त हुए। उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस के लिए इलेक्शन कैंपेन भी डिजाइन किए। वाईएसआर को बड़ी जीत हासिल हुई।

प्रशांत की कंपनी के सर्वे में बताया गया था मोदी को सबसे पसंदीदा नेता

प्रशांत की कंपनी के सर्वे में बताया गया था मोदी को सबसे पसंदीदा नेता

उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर काम किया था लेकिन पहली बार ऐसा हुआ था कि पीके की रणनीति फेल हुई और सपा चुनाव हार गयी। कुछ दिनों पहले ही किशोर की संस्था आईपैक का लोकसभा चुनाव को लेकर एक सर्वे की रिपोर्ट का खुलासा हुआ था।
इस सर्वे के अनुसार 48 प्रतिशत लोगों ने पीएम मोदी को अपना नेता माना था। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 11 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। इन आंकड़ों ने भाजपा को कांग्रेस पर हमला करने का एक मौका दे दिया था। यह सर्वे किशोर से जुड़ी सिटीजंस फॉर एकाउंटेबल गवर्नेंस की ओर से 2013 में कराए गए सर्वेक्षण के समान था। जिसमें मोदी को देश का सबसे पसंदीदा नेता बताया गया था।

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English summary
Political journey from 2011 to 2020 of Prashant Kishor, leader and electoral strategist expelled from JDU.
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