कौन हैं कैरोलिन ब्रोसर्ड, जिनसे 65 की उम्र में दूसरी शादी रचाएंगे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे
नई दिल्ली- देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और जाने-माने वकील हरीश साल्वे दो दिन बाद दूसरी बार शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं। हरीश साल्वे भारत के सबसे महंगे वकीलों में से तो गिने ही जाते हैं ही, वो ब्रिटेन में क्वींस काउंसिल भी हैं। पिछले जून महीने में ही उन्होंने 38 साल की शादी के बाद अपनी धर्मपत्नी मीनाक्षी साल्वे को नहीं सुलझने लायक मतभेदों के चलते तलाक दे दिया था। 28 अक्टूबर को वह अपने अच्छी दोस्त और साथी कैरोलिन ब्रोसर्ड के साथ दोबारा शादी करने जा रहे हैं। यह शादी लंदन के एक खूबसूरत चर्च में होगी, जिसमें साल्वे और कैरोलिन की ओर से परिवार के सदस्यों और खास दोस्तों को ही बुलाया जाना है, क्योंकि कोविड की वजह से वहां फिलहाल 15 से ज्यादा मेहमानों को बुलाने की इजाजत नहीं है।
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भारत और ब्रिटेन के इतने जाने-माने वकील हरीश साल्वे, लंदन की आर्टिस्ट कैरोलिन ब्रोसर्ड के संपर्क में कैसे आए और उनकी होने वाली पत्नी के बारे में ज्यादा जानने से पहले वो जिस शादी से निकलकर नए विवाहित जीवन में प्रवेश कर रहे हैं, उसके बारे में जान लेते हैं। जानकारी के मुताबिक हरीश साल्वे और मीनाक्षी साल्वे की दो बेटियां हैं। 37 साल की साक्षी और 33 साल की सानिया दिल्ली-एनसीआर में रहती हैं। जल्द ही साल्वे के पुराने परिवार में भी एक खुशी आने वाली है। हरीश और मीनाक्षी साल्वे नाना-नानी बनने वाले हैं। इनकी छोटी बेटी सानिया मां बनने वाली हैं।
साल्वे की होने वाली पत्नी कैरोलिन ब्रोसर्ड क्रिश्चियन हैं और खुद वो भी धर्म बदलकर बापिस्ट क्रिश्चियन बन चुके हैं और दो वर्ष से चर्च भी जा रहे हैं। कैरोलिन उनकी बेहद अच्छी दोस्त और साथी हैं। 56 साल की कैरोलिन की भी 18 साल की एक बेटी है। कैरोलिन एक आर्टिस्ट हैं और दोनों की मुलाकात करीब साल भर पहले एक आर्ट इवेंट के दौरान हुई थी। तब से दोनों लगातार संपर्क में रहे हैं। साल्वे के जीवन में जब एक साल काफी कठिन थे तो कैरोलिन ने उनको खूब सपोर्ट किया और भावनात्मक तौर पर संभाला। यहीं से दोनों के बीच इस कदर की अंडरस्टैंडिंग बनी कि वो आज हमेशा के लिए साथ रहने का फैसला कर चुके हैं। कैरोलिन ब्रिटेन में जन्मीं और पली-बढ़ी हैं। दोनों को आर्ट और क्लासिकल म्यूजिक बहुत पसंद हैं और शायद इसी ने दोनों को इतना करीब लाया है कि अब ये हमेशा के लिए एक होने जा रहे हैं। दोनों में ही थियेटर के लिए भी वैसा ही जुनून है।
भारत में हरीश साल्वे का वकालत की दुनिया में वो नाम है जो कई बड़े मामलों में सुर्खियां बटोर चुका है। पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषणा जाधव केस में तो उन्होंने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पाकिस्तान की दलीलों की हवा उड़ा दी थी। सबसे बड़ी बात ये है कि तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अनुरोध पर उन्होंने इस मुकदमे की पैरवी के लिए महज 1 रुपये की फीस ली थी।
हरीश साल्वे नागपुर में पले-बढ़े हैं, जहां उनके पिता एनकेपी साल्वे चार्टर्ड एकाउंटेंट थे और कांग्रेस के सदस्य भी। उनके वकालत के पेशे में आने का श्रेय उनके दादा पीके साल्वे को जाता है, जो खुद एक वकील थे। संयोग ये भी है कि देश के मौजूदा चीफ जस्टिस एसए बोबडे की पढ़ाई नागपुर के उसी स्कूल में हुई है, जिसमें साल्वे पढ़े हैं। 1976 में साल्वे दिल्ली आ गए और सॉलिसिटर जनरल तक के पद पर रहे तो जस्टिस बोबडे बॉम्बे हाई कोर्ट होते हुए आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर हैं।(तस्वीर सौजन्य- सोशल मीडिया)