लड़कियों के ‘पिंजरा तोड़’ अभियान से किसे है डर
उन्होंने कहा कि लड़कियों के छात्रों की मांग जायज़ नहीं है. "यूनिवर्सिटी के पार्क 'प्रेमी या लवर्ज़ पॉइंट' बन गए हैं, जो यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों के बच्चों पर बुरा प्रभाव डालते हैं."
बीबीसी से कुछ छात्राओं ने कहा कि वो इस मांग का विरोध कर रहे हैं. पर वो नहीं चाहते हैं कि उनका नाम मीडिया में आए. उन्होंने इस मांग के विरोध का कारण महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा बताया.
सामान्य दिनों में होने वाली हलचल की तुलना में पंजाब यूनिवर्सिटी, पटियाला, में कुलपति का ऑफिस पहले से काफ़ी शांत था.
चंडीगढ़ से बीबीसी टीम बुधवार को वहाँ पहुँची क्योंकि यहाँ लड़कियों के हॉस्टल को 24 घंटे खोलने की मांग को लेकर पिछले तीन सप्ताह से विरोध चल रहा है. ख़ास तौर पर मंगलवार रात को हिंसा की वजह से यह और भी चर्चा में आ गया था.
वहाँ पहुँच कर देखा कि कुलपति के ऑफिस की शोभा बढ़ाने वाले गमले और गुलदस्ते टूटे पड़े थे. कुलपति के कमरे को ताला लगा दिया गया था और कुछ छात्र वहाँ बाहर धरने पर बैठे थे तो कुछ बरामदे में सो रहे थे.
वीसी ऑफिस की पहली मंजिल पर खिड़कियां तोड़ दी गईं थी. जगह जगह काँच बिखरा पड़ा था. हिंसा की वजह से दी गई छुट्टी के कारण यूनिवर्सिटी में कोई अधिकारी या शिक्षक मौजूद नहीं थे.
ऑफिस का ऐसा हाल किसने किया, किसी के पास इसका जवाब नहीं था. कुछ छात्रों ने कहा कि कुछ युवक बाहर से आए और धरने पर बैठे छात्रों पर हमला बोल दिया.
लड़कियों सहित लगभग आठ छात्र इस दौरान ज़ख्मी हुए.
क्या है लड़कियों की मांग
पंजाब यूनिवर्सिटी के छात्र 'पिंजरा तोड़' अभियान के तहत लड़कियों के हॉस्टल के 24 घंटे खुले रहने की मांग कर रहे हैं. अभी हॉस्टल 8 बजे बंद होते हैं, हालांकि लड़कों के हॉस्टल रात के 11 बजे तक खुले होते हैं.
वीसी ऑफिस के बाहर पिछले 23 दिनों से लड़कियां और उनके समर्थक धरना दे रहे थे.
यूनिवर्सिटी के पंजाबी डिपार्टमेंट के छात्र अमरदीप कौर ने कहा कि हॉस्टल की मांग को 24 घंटे की बजाय अब रात के 11 बजे तक किया गया है.
उन्होंने कहा कि लड़कों के हॉस्टल 11 बजे तक खुले हैं, इसलिए लड़कियां इस पर सहमत हो गई हैं. अमरदीप कौर ने तर्क दिया कि लड़कियों और लड़कों में समानता होनी चाहिए, "क्योंकि यूनिवर्सिटी में लड़कों की तरह हम भी फ़ीस देती हैं."
छात्र संदीप कौर का कहना है कि रात में लड़कों की तरह, वे पुस्तकालय और पढ़ने के कमरे में भी जाना चाहती हैं और आठ बजे के बाद हॉस्टल बंद हो जाता है.
उन्होंने कहा कि लड़कियों के हॉस्टल में एक कमरा है जहां एक ही समय में केवल 15 लड़कियां पढ़ाई कर सकती हैं.
एक और छात्र सुखपाल कौर ने कहा कि लड़कियों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी यूनिवर्सिटी की है "लेकिन दुख की बात है कि रात में परिसर में बहुत कम रोशनी होती है, सीसीटीवी कैमरों की स्थिति अच्छी नहीं है."
'सुरक्षा ख़तरे'
यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र लड़कियों की इस मांग का ज़ोरदार विरोध कर रहे हैं.
डिफेंस स्टडीज विभाग में पीएचजी कर रहे हरविंदर संधू ने तर्क दिया, "घरों में भी आने का समय होता है और यदि हॉस्टल 24 घंटों के लिए या 11 बजे तक खुलता है, तो लड़कियों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी कौन लेगा." उन्होंने कहा कि "वर्तमान माहौल अच्छा नहीं है क्योंकि हर वक्त अपराध की ख़बरें सुनने को मिलती हैं."
हरविंदर सिंह ने कहा कि "कुछ छात्र इस मांग की वकालत कर रहे हैं क्योंकि उनके इसके पीछे निजी हित हैं."
हरविंदर के तर्क के साथ महिला अध्ययन विभाग के छात्र जतिंदर सिंह ने कहा कि मौजूदा स्थिति ऐसी है कि इसमें लड़के भी परिसर और आसपास के इलाक़ों में सुरक्षित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि नौ बजे यूनिवर्सिटी परिसर की सभी दुकानें बंद हो जाती हैं और चारों तरफ़ अंधेरा हो जाता है.
"हम पटियाला के माहौल की तुलना दिल्ली या चंडीगढ़ के साथ नहीं कर सकते जहाँ लोग काफ़ी जागरूक हैं. हमारे हमारे यूनिवर्सिटी में अधिकांश छात्र ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं."
यूनिवर्सिटी वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष राजिंदर सिंह परिसर में ही रहते हैं.
उन्होंने कहा कि लड़कियों के छात्रों की मांग जायज़ नहीं है. "यूनिवर्सिटी के पार्क 'प्रेमी या लवर्ज़ पॉइंट' बन गए हैं, जो यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों के बच्चों पर बुरा प्रभाव डालते हैं."
बीबीसी से कुछ छात्राओं ने कहा कि वो इस मांग का विरोध कर रहे हैं. पर वो नहीं चाहते हैं कि उनका नाम मीडिया में आए. उन्होंने इस मांग के विरोध का कारण महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा बताया.
''अगर कुछ लोग 8 बजे यूनिवर्सिटी में घुस कर हमला कर सकते हैं तो यहां कुछ भी हो सकता है.''
यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार मनजीत सिंह निज्जर ने बीबीसी पंजाबी के फ़ोन पर संपर्क करने पर बताया कि यूनिवर्सिटी बंद है और वे खुद पटियाला से बाहर हैं.
नौ अक्तूबर के हमले के बाद यूनिवर्सिटी में डर का माहौल है. बड़ी संख्या में पुलिस तैनात है. 10 अक्तूबर की आधिकारिक छुट्टी के कारण यूनिवर्सिटी बंद कर दिया गया था.
कुछ छात्रों ने कहा कि यूनिवर्सिटी में कुछ लोगों की "राजनीति" उनकी शिक्षा पर विपरीत प्रभाव डाल रही है.
कुल मिलाकर यह संघर्ष फिलहाल छात्रों की शिक्षा को प्रभावित करता दिखाई दे रहा है.
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