आज बर्थ डे जार्ज फर्नाडीज का, कोई नहीं आता उनका हाल-चाल पूछने
नई दिल्ली( विवेक शुक्ला) दुनिया की स्मरण शक्ति सच में बहुत कमजोर होती है। एक दौर में जार्ज फर्नाडीज देश के सबसे दिग्गज विपक्षी नेता थे। बड़े ट्रेड यूनियन नेता के रूप में भी उन्होंने नाम कमाया।
फिर मोरारजी देसाई से लेकर वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रहे। वे जब संसद में बोलते थे तो सारा सदन उन्हें सुनता था। इसी तरह से वे चाहें बिहार के किसी छोटे से गांव में बोलें या फिर मुंबई के रेल मजदूकों के बीच में, वे छा जाते थे।
रेलवे मजदूर नेता
जब मुंबई को देश बंबई के रूप में जानता था, तब वे वहां के बेहद सम्मानित रेलवे मजदूर नेता थे। उनकी एक आवाज पर रेल मजदूर किसी भी तरह के आंदोलन करने के लिए तैयार हो जाते थे। पर वह ही जार्ज साहब अब शांत हैं। बीमार है। बुधवार को उनका जन्म दिन है।
उन्हें कुछ रोगों ने बीते कई सालों से अपना शिकार बनाया हुआ है। वे साउथ दिल्ली की एक एलिट कालोनी में रहते हैं। उनकी देखरेख उनकी पत्नी करती है। अब उनके घर में उनसे मिलने वाला भी कोई नहीं आता। कभी उनके साथी रहे जनता दल, सपा, राजद से लेकर भाजपा के किसी नेता के पास उनके लिए वक्त नहीं है।
सबके लिए खुला घर
एक दौर में उनके कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास में राजनीतिक कार्यकर्ताओं से लकर दूसरे तमाम जनवादी आंदोलनों से जुड़े लोगों का जमघट लगा रहता था। तब जार्ज साहब देश की राजनीति में छाए रहते थे। उनके आवास के एक हिस्से में बर्मा के लोग रहते थे।
वे अपने देश की सैनिक सरकार के खिलाफ भारत से विरोध में आंदोलन चला रहे थे। जार्ज साहब ने उन्हें अपने घर में काम करने की इजाजत दे रखी थी। उनके घर के बाहर कोई सुरक्षा गार्ड खड़ा नहीं होता था। कभी भी कोई उनके घर में आ- जा सकता था।
जार्ज साहब ने इंदिरा गांधी का इमरजेंसी का कसकर विरोध किया था। वे एक तरह से इमरजेंसी के विरोधी स्वर के रूप में उभरे थे। अब हौज खास में जार्ज साहब रहते हैं। आमतौर पर किसी से नहीं मिलते। उनके कमरे में किताबें पड़ी हैं। उनका साथ देता है उनका प्रिय डोगी। वह उनके साथ ही सोता है।