Gandhi Jayanti: मोहनदास करमचंद गांधी को 'महात्मा' की उपाधि किसने दी, कोर्ट भी सुना चुका है अपना फैसला
Gandhi Jayanti: मोहनदास करमचंद गांधी को 'महात्मा' की उपाधि किसने दी, कोर्ट भी सुना चुका है अपना फैसला
नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) था। लेकिन पूरा विश्व उनको महात्मा गांधी के नाम से जानता है। महात्मा गांधी इस नाम से इतने ज्यादा प्रचलित हैं कि स्कूल के परीक्षाओं में ये सवाल पूछे जाते हैं कि महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या था, या महात्मा गांधी का असली नाम क्या था। तो क्या आपने कभी सोचा है कि 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा की उपाधि किसने दी और कब दी? (Who gave the title of Mahatma to Gandhiji) ये कोई छोटा मामला नहीं पर गुजराक के कोर्ट का फैसला भी आ चुका है और कई एक्टिविस्टों इस सवाल को लेकर RTI भी दाखिल किए हैं। गांधी जयंती पर आइए इसके सभी पहलुओं को समझने की कोशिश करते हैं।
इतिहास के किताबों क्या लिखा है?
''महात्मा'' एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है एक महान आत्मा। इतिहास की किताबों और स्कूल की किताबों में लिखा है कि कि कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने 1915 में मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा की उपाधि दी थी। रवींद्रनाथ टैगोर ने ये बात अपनी ऑटोबॉयोग्राफी (Autobiography) में लिखी है। बाद में रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधी जी को गुरुदेव भी कहा था।
गुजरात हाई कोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा- टैगोर ने दी गांधी जी को ''महात्मा'' की उपाधि
गुजरात हाई कोर्ट ने फरवरी 2016 में अपने एक फैसले में कहा था कि मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा (Mahatma) की उपाधि रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने दी है। राजकोट स्थानीय कोर्ट द्वारा एक परीक्षा की उत्तर कुंजी से बनी भ्रम की स्थिति के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था।
न्यायमूर्ति जेबी पारडीवाला (Justice JB Pardiwala) ने एक याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि सभी स्कूल की पाठ्यपुस्तकें गांधी के महात्मा शीर्षक का श्रेय टैगोर को देती हैं। याचिका दायर करने वाले संध्या मारू (Sandhya Maru) ने कोर्ट में कहा था कि गांधी जी को महात्मा कहने वाले के बारे में अस्पष्टता के कारण उन्होंने राजकोट जिला पंचायत शिक्षा समिति द्वारा आयोजित परीक्षा में अंक नहीं मिले...क्योंकि उसमें निगेटिव मार्किंग थी।
RTI के जवाब में भारत सरकार ने क्या कहा?
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक आरटीआई (RTI) कार्यकर्ता राजू माल्थुमकर (Raju Malthumkar) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को एक आरटीआई क्वेरी दी, जिसमें उन्होंने पूछा कि मोहनदास करमचंद गांधी को कब और क्यों महात्मा कहा गया। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि उन्हें राष्ट्रपिता (Father of the Nation) कब कहा गया था।
पीएमओ में अधिकारियों ने इस सवाल का जवाब खोजने के लिए इसे इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (ICHR),भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI) और पुरातत्व विभाग को ट्रांसफर किया।
जिसके बाद ICHR ने राजू माल्थुमकर को जवाब देते हुए बताया कि इस मामले में उनके पास कोई दस्तावेजी जानकारी नहीं है। यहां तक कि भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार ने भी कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
दोनों विभागों ने राजू माल्थुमकर को यह भी पत्र में कहा कि वह किसी भी अन्य जानकारी पर अपनी लाइब्रेरी और अभिलेखीय सुविधाओं का उपयोग करने के लिए उनके यहां आ सकते हैं।