कौन लड़ा रहा है तेजप्रताप और तेजस्वी को? फूटा गुस्सा तो सामने आया नाम
पटना। लालू यादव के पुत्र तेजस्वी और तेजप्रताप अरसे बाद मिले। मुस्कुराये, गर्मजोशी दिखायी। कृष्ण-अर्जुन सरीखी बातें भी हुईं। लेकिन जाते-जाते तेज प्रताप के दिल में मचल रहा गुस्सा फूट ही पड़ा। उन्होंने राजद कार्यकर्ताओं और राहगीरों की भीड़ के सामने ही उस शख्स का नाम भी खोल दिया जिसे वे दोनों भाइयों के बीच झगड़े के लिए जिम्मेवार मानते हैं। उन्होंने तेजस्वी के सुरक्षाकर्मियों को फटकार लगाने के दौरान अपने मन की बात कह दी।। तेजप्रताप का तमतमाया हुआ चेहरा देख कर वहां मौजूद लोग हैरत में पड़ गये। तेजप्रताप ने अपना रौद्र रूप दिखा कर यह जता दिया कि उनके दिल में अभी भी आग धधक रही है। कोई हल्के में लेने की गुस्ताखी न करे। आखिर ऐसा हुआ क्या कि तेजप्रताप अचानक उबल पड़े ?
क्या है घटनाक्रम?
बुधवार को पटना प्रमंडल प्रशासन और नगर निगम ने अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत पटना जंक्शन के पास के पास बनी दूध मंडी को ध्वस्त कर दिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने 1991 में इस दूध मंडी का उद्घाटन किया था। माना जाता है कि लालू प्रसाद ने अपने समर्थक दूध विक्रेताओं को खुश करने के लिए यह दूध मार्केट बनवाया था। पटना के आयुक्त के मुताबिक चूंकि यह मंडी सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनायी गयी थी इसलिए इसके ढहा दिया गया। इस दूध मंडी को चूंकि लालू प्रसाद ने बसाया था इसलिए तेजस्वी इसका विरोध करने के लिए वहां पहुंच गये। तेजस्वी राजद के अन्य नेताओं के साथ ही मलबे के पास धरना पर बैठ गये। उन्होंने आरोप लगाया किसान विरोधी नीतीश सरकार लालू प्रसाद की हर पहचान को खत्म करने पर तूली है। जब तेजप्रताप को ये बात मालूम हुई तो वे भी धरनास्थल पर पहुंच गये। अरसे बाद दोनों भाई एक साथ राजनीतिक गतिविधि में शामिल हुए। उन्होंने तेजस्वी के साथ मिल कर सब कुछ ठीक होने का अहसास दिलाय़ा। दोनों अगल बगल बैठे और नीतीश सरकार के खिलाफ गुस्से का इजहार किया।
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अचानक उबल पड़े तेजप्रताप
पटना नगर निगम के आश्वासन के बाद रात करीब तीन बजे तेजस्वी ने धरना खत्म कर दिया। सभी नेता घर जाने के लिए अपनी-अपनी गाड़ी में सवार होने लगे। चूंकि यह स्थान पटना जंक्शन के मुहाने पर महावीर मंदिर के ठीक सामने है, इसलिए जाम की स्थिति उत्पन्न हो गयी। स्टेशन आने जाने वाले यात्री तेजस्वी और तेजप्रताप को देखने के लिए आसपास जमा हो गये थे। इसके बाद तो फिर वहां गजब ही हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जाम देख कर तेजस्वी के सुरक्षाकर्मी गाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए आवाज देने लगे। तेजप्रताप की गाड़ी आगे थी। उसके पीछे तेजस्वी की गाड़ी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक तेजप्रताप गाड़ी में बैठ चुके थे इसी बीच तेजस्वी के सुरक्षाकर्मी ने तेजप्रताप की गाड़ी को भी आगे बढ़ाने की आवाज लगायी। फिर क्या था, गुस्से में तमतमाये तेजप्रताप ने गाड़ी की खिड़की से सिर निकाला और तेजस्वी के बॉडीगार्ड पर बरस पड़े। वहां मौजूद लोगों के मुताबिक, तेजप्रताप ने गुस्से में बॉडीगार्ड से कहा कि तुम लोग संजाईया (संजय) के कहने पर चल रहे हो, वही तो सबको बर्बाद कर रहा है, क्या तुम्ही लोगों को मेरे भाई की चिंता है, मुझे नहीं है क्या ? संजय यादव, तेजस्वी के निजी सचिव हैं। संजय यादव को तेजस्वी का मुख्य सलाहकार माना जाता है। तेजप्रताप पहले भी आरोप लगा चुके हैं कि तेजस्वी के आसपास कुछ ऐसे लोग जमा हैं जो दोनों भाइयों में झगड़ा लगा रहे हैं। उन्ही की वजह से घरेलू विवाद बढ़ा है। तेजप्रताप तेजस्वी के निजी सचिवों को पहले भी हटाने की मांग कर चुके हैं।
क्यों गुस्से में आये तेजप्रताप?
राजद में तेजस्वी को अहमियत और अपनी उपेक्षा से तेजप्रताप पिछले साल से ही नाराज चल रहे हैं। वे तेजस्वी को अर्जुन बताते हैं लेकिन जताते कुछ और हैं। गुरूवार को भोरे भोर जब वे बॉडीगार्ड को डांट रहे थे तब वे तेजस्वी के खिलाफ ही अपनी भड़ास निकाल रहे थे। जब से विधायक भाई वीरेन्द्र ने तेजस्वी को राजद का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने की चर्चा शुरू की है तब से राजद में बुलबुले उठने शुरू हो गये हैं। तेजप्रताप भी खफा बताये जा रहे हैं। वैसे भाई वीरेन्द्र से उनका छत्तीस का आंकड़ा है। लोकसभा चुनाव के समय दोनों एक दूसरे से भिड़ चुके हैं। कहा जा रहा है कि भाई वीरेन्द्र की इस पहल को तेजप्रताप ने अपने खिलाफ मान लिया है। जैसे ही मौका मिला उनके मन में दबा गुस्सा फूट कर बाहर निकल आया।