क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

निर्भया के दोषियों को फांसी देते वक्त तिहाड़ में हर काम पर होगी रोक! जानिए क्यों?

Google Oneindia News

नई दिल्ली- निर्भया के चारों दोषी मुकेश, पवन, अक्षय और विनय की फांसी की सजा मिलने की लगभग उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। उनकी ओर से फांसी टलवाने के कुछ आखिरी प्रयास भी चल रहे हैं, लेकिन लगता नहीं कि उन्हें इन सबसे कुछ ज्यादा फायदा मिलने वाला है। यही वजह है कि तिहाड़ जेल ने भी अपनी ओर से फांसी देने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। फांसी कोठी की मरम्मत का काम चालू है। फांसी के फंदों की संख्या बढ़ाए जाने की खबरें हैं। लेकिन इन सबके बीच एक चीज जानना बेहद दिलचस्प है कि जब चारों को फांसी दी जाएगी तो जेल के बाकी सारे दूसरे काम रोक दिए जाएंगे।

फांसी के वक्त जेल में रुक जाता है बाकी काम

फांसी के वक्त जेल में रुक जाता है बाकी काम

किसी भी जेल में दोषी को फांसी देने की एक निर्धारित प्रक्रिया है। दरअसल, कोई भी जेल, जेल मैनुअल के हिसाब से काम करता है। इसमें किसी कैदी को फांसी देते वक्त हर दूसरे काम रोकने का भी नियम है। इसी के तहत किसी भी कैदी की फांसी की प्रक्रिया शुरू होने से उसकी मौत की घोषणा होने तक जेल की हर बाकी गतिविधियां रोक दी जाती है। यानि, फांसी की प्रक्रिया शुरू होने, कैदी को फांसी के फंदे पर लटकाने, फिर उसे फंदे से उतारने, डॉक्टर की ओर से उसके मृत होने की घोषणा होने तक जेल में दूसरे किसी भी मूवमेंट पर पाबंदी होती है। इस दौरान सभी कैदियों को उनकी सेल में रख दिया जाता है, पूरे जेल परिसर में खामोशी छाई रहती है। जेल मैनुअल के मुताबिक ऐसी स्थिति तब तक बनी रहती है, जबतक फांसी की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।

जेलर रूमाल से करता है जल्लाद को इशारा

जेलर रूमाल से करता है जल्लाद को इशारा

किसी कैदी को फांसी देने की प्रक्रिया से जुड़े अनेक नियमों में एक रूमाल से जुड़ी परंपरा भी है। इसके बारे में पवन नाम के जल्लाद ने काफी विस्तार से जानकारी दी है। उसके मुताबिक कैदियों के चेहरे को नकाब से ढकने के बाद उसे फांसी के तख्ते पर पहुंचा देते हैं और ठीक उस जगह खड़ा करते हैं, जहां गोल निशान बना होता है। फिर वो इशारे से जेलर को बताते हैं कि वह अपने काम को अंजाम देने के लिए तैयार है। तब जेलर उसे रूमाल से इशारा करता है और वे लीवर खींच देते हैं और लीवर खींचते ही कैदी फांसी के फंदे पर झूलने लगता है।

डेथ सेल में गुजारेंगे आखिरी दिन

डेथ सेल में गुजारेंगे आखिरी दिन

फांसी की सजा पाए कैदियों को डेथ सेल में रखा जाता है। तिहाड़ जेल की फांसी कोठी में भी कुल 16 डेथ सेल मौजूद हैं और निर्भया के चारों गुनहगारों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को भी इन्हीं सेल्स में रखा जाना है। इस सेल में रखने का मतलब है कि इन कैदियों पर हर पल नजर रखी जाती है। उनके पास ऐसी कोई चीज नहीं होती, जिससे वह खुद को किसी तरह से भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकें। हर डेथ सेल में एक कैदी को अकेला ही रखा जाता है और 24 घंटे में कुछ वक्त के लिए ही बाहर निकाला जाता है।

फांसी कोठी में शुरू हो चुकी है तैयारी

फांसी कोठी में शुरू हो चुकी है तैयारी

तिहाड़ जेल के सूत्रों के मुताबिक 'फांसी कोठा' और फांसी का तख्ता 1950 के शुरुआती वर्षों में ही बना था। यहां कंक्रीट के दो पिलर से लोहे का फांसी का तख्ता जुड़ा हुआ है, जिसपर दो फंदे लटकाने का इंतजाम है। लेकिन, दशकों पुराने होने की वजह से वह लोहा भी कमजोर पड़ चुका है। अब जेल अधिकारी विशेषज्ञों की मदद से उसकी ताकत की छानबीन कर रहे हैं। जेल अधिकारियों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि लोहे के तख्ते की मजबूती और लंबाई बढ़ाने के लिए अलग से कंस्ट्रक्शन की कोशिश की जा सकती है, जिससे उन्हीं तख्तों के साथ अतिरिक्त फंदे लटकाने की भी व्यवस्था हो जाए। क्योंकि, तिहाड़ में अभी तक एक साथ दो कैदियों को फांसी देने का ही इंतजाम था, लेकिन इस बार चार को इकट्ठे फांसी दी जानी है।

बक्सर जेल से 8 नई रस्सियां मंगाई गई हैं

बक्सर जेल से 8 नई रस्सियां मंगाई गई हैं

तिहाड़ जेल के सूत्रों के मुताबिक बिहार के बक्सर जेल में तैयार 8 मनिला रस्सियां पहुंच चुकी हैं। बक्सर जेल के कैदी जो रस्सियां तैयार करते हैं उसमें मुलायम कॉटन का इस्तेमाल होता है और उसपर बटर या मोम लगा होता है, जो मुलायम तो होता है, लेकिन उतनी ही मजबूत भी होती है। जानकारी के मुताबिक इस तरह की रस्सी बनाने का मकसद यह होता है कि दोषियों की मौत कम दर्दनाक हो और उसका गला न कट जाए। फांसी के लिए बक्सर की रस्सियों का इस्तेमाल इससे पहले रेप और हत्या के दोषी धनंजय चक्रवर्ती को फांसी देने के लिए कोलकाता की अलीपुर जेल के अलावा अफजल गुरु और अजमल कसाब के केस में भी हो चुकी है।

दया याचिका खारिज होने के बाद भी लगेंगे 14 दिन

दया याचिका खारिज होने के बाद भी लगेंगे 14 दिन

जानकारी के मुताबिक जिस दिन राष्ट्रपति निर्भया के गुनहगारों की दया याचिका खारिज कर देंगे, उसके बाद भी फांसी की सजा देने में कम कम 14 दिन लग जाएंगे। इस दौरान दोषियों के परिवार वालों को सूचना दी जाएगी और उन्हें मुलाकात का मौका दिया जाएगा। इस मुलाकात में दोषी अपनी इच्छा भी परिवार वालों के सामने जाहिर कर सकता है और अपनी निजी चीजें उन्हें सौंप सकता है। जिस दिन फांसी की तारीख मुकर्रर होगी उससे एक दिन पहले दोषियों को उनके पसंद का खाना दिया जाएगा। इस दौरान उन्हें जेल में आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने की भी इजाजत दी जाएगी।

इसे भी पढ़ें- वो चार महिलाएं जिन्‍हें दी जानी हैं फांसी, जानिए उनकी क्रूरताइसे भी पढ़ें- वो चार महिलाएं जिन्‍हें दी जानी हैं फांसी, जानिए उनकी क्रूरता

Comments
English summary
When prisoners are hanged in jail, all other work is stopped.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X