किचन में कहां पाई जाती है सबसे ज़्यादा गंदगी?
देशभर में स्वच्छता अभियान को लेकर लगातार जागरुकता अभियान चल रहे हैं. आप भी अपने घर और आसपास के इलाकों को साफ़ रखने की कोशिश करते होंगे. ख़ासतौर पर जहां ख़ाना बनता है यानी कि अपने किचन को तो साफ़ रख़ते ही होंगे.
अपने किचन को साफ़ रखने के लिए आप वाइप का इस्तेमाल भी करते होंगे, कई बार एंटी बैक्टेरियल वाइप का इस्तेमाल भी करते होंगे.
देशभर में स्वच्छता अभियान को लेकर लगातार जागरुकता अभियान चल रहे हैं. आप भी अपने घर और आसपास के इलाकों को साफ़ रखने की कोशिश करते होंगे. ख़ासतौर पर जहां ख़ाना बनता है यानी कि अपने किचन को तो साफ़ रख़ते ही होंगे.
अपने किचन को साफ़ रखने के लिए आप वाइप का इस्तेमाल भी करते होंगे, कई बार एंटी बैक्टेरियल वाइप का इस्तेमाल भी करते होंगे. लेकिन क्या इसके इस्तेमाल से आपका किचन वाक़ई साफ़ होता है. ये जानने के लिए बीबीसी की 'ट्रस्ट मी आईएम अ डॉक्टर' की टीम ने तीन परिवारों को एक अस्थाई किचन दिया.
टेस्ट की शुरुआत में सभी परिवारों को अपने किचन को एंटीबैक्टेरियल वाइप से अच्छे से साफ़ करने को कहा गया. फिर उस जगह को आम किचन की तरह इस्तेमाल करने को कहा गया.
हमने किचन को साफ़ रखने के लिए उन्हें वाइप का लगातार इस्तेमाल करने की हिदायत दी. हम देखना चाहते थे कि किचन कितने देर तक साफ़ रह सकता है.
क्या सफ़ाई वक्त की बर्बादी है?
उसके बाद हमने उस वाइप को जांच के लिए न्यू कासल के नॉर्थम्ब्रिया विश्वविद्यालय में भेजा. सफ़ाई वाली जगह से भी सैंपल लिए गए.
फ़िजियोलॉजिस्ट लिन डोवर के मुताबिक, "पहला सैंपल खाना बनाने वाली जगह से सफ़ाई के क़रीब डेढ़ घंटे बाद लिया गया. वहां जीवाणु और फ़ंगस पनपने लगे थे."
इसका मतलब यह है कि सफ़ाई के तुरंत बाद ही आपके किचन के स्लैब पर जीवाणु पनपने लगे थे.
लिन के मुताबिक, "सफ़ाई के 12 घंटे बाद लिए सैंपल मे पता लगा कि वहां काफ़ी मात्रा में जीवाणु थे और कई तरह के फ़ंगस भी."
तो अगर आप इस तरीके एंटी बैक्टीरियल प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करते हैं तो आप अपना समय और पैसा बर्बाद कर रहे हैं.
सफाई के बाद जीवाणु तेज़ी से तो बढ़ते ही है, कई ऐसे जीवाणु ख़त्म भी हो जाते हैं जो अपकी सेहत के लिए फ़ायदेमंद हैं.
कहां छिपी होती है गंदगी?
एनएसएफ इंटरनेशनल ने 22 परिवारों पर एक स्टडी की. परिवारों को हर दिन घर के 30 सामानों को वाइप से साफ़ करने के लिए कहा गया. किचन से लेकर मोबाइल फ़ोन तक उस वाइप से साफ़ किए गए. जांच में पाया गया कि वाइप में कोलिफॉर्म नाम का बैक्टेरिया काफ़ी मात्रा में मौजूद था.
जांच में पता चला कि क़रीब 75 प्रतिशत बर्तन साफ़ करने वाले वाइप या स्पॉन्ज में कोलिफॉर्म बैक्टीरिया पाया गया.
इसके अलावा 45% किचन सिंक, 32% शेल्फ, 18% सब्जी काटने वाले बोर्ड, 27% टूथब्रश होल्डर और 9% बाथरूम के हैंडल पर ये बैक्टीरिया मिले.
ज़्यादातर कोलिफॉर्म बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते हैं. आमतौर पर ये दर्शाते हैं आपके आसपास मल से फैली हुई गंदगी हैं.
ये बैक्टीरिया किचन में इंसानों के संपर्क में आने से नहीं फ़ैलते, बल्कि कच्चे मांस से आते हैं, जिनमें अक्सर मल से फैली गंदगी होती है.
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सफ़ाई वाले कपड़े या वाइप अक्सर गर्म और भीगे होते हैं जो कि इन बैक्टीरिया के पनपने के लिए अच्छा होता है.
बीमारियों के फैलने के कारणों पर शोध करने वाले एरिज़ोना विश्वविद्यालय के डॉक्टर चक जेरबा का मानना है कि बर्तन साफ़ करने वाला स्पॉन्ज या कपड़ा आपके घर की सबसे गंदी चीज़ है.
उनके रिसर्च के मुताबिक एक स्पॉन्ज में के एक वर्ग इंच में करीब करोड़ से ज़्यादा बैक्टीरिया होते हैं. ये संख्या एक टॉयलेट सीट पर पाए जाने वाले बैक्टीरिया से भी ज़्यादा है. टॉयलेट सीट पर एक वर्ग इंड में केवल 50 बैक्टीरिया पाए जाते है.
यानि कि आपका स्पॉन्ज एक टॉयलेट सीट से 20,000 गुणा ज़्यादा गंदा है.
कैसे साफ़ रखें किचन?
सफ़ाई रखने के लिए ज़रूरी है कि आप बर्तन साफ़ करने वाले कपड़े या स्पॉन्ज को सूखा रखें और हफ़्ते में एक बार उसे ब्लीच करें.
गुड हाऊस कीपिंग मैगज़ीन ने स्पॉन्ज साफ़ रखने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं:-
स्पॉन्ज को माइक्रोवेव के नज़दीक रख सकते हैं.
सब्ज़ी और मीट काटने के लिए अलग अलग बोर्ड रखें, लकड़ी के बोर्ड आसानी से साफ़ किए जा सकते हैं.
अच्छी सफ़ाई के लिए वेनिगर एसिटिक एसिड का इस्तेमाल कर सकते हैं.