जानिए योगी आदित्यनाथ के पिता ने जब पहली बार बेटे को भगवा वेष में देखा तो उन पर क्या बीती थी ?
When Yogi Adityanath's father first saw the son in saffron disguise, what happened to him?योगी आदित्यनाथ के पिता ने जब पहली बार बेटे को भगवा वेष में देखा तो उन पर क्या बीती थी?
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का आज लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। जिस वक्त मुख्यमंत्री के पिता का निधन हुआ उस वक्त सीएम योगी टीम-11 के साथ बैठक कर रहे थे। अपने पिता के निधन की खबर पर वो भावुक हो गए। लेकिन कोरोना वायरस के संकटकाल में मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारी से डिगे नहीं बल्कि पिता के अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने का फैसला सुनाया और कहा कि पूजनीया मां, पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से अपील है कि वे लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें। पूज्य पिताजी की स्मृतियों को कोटि-कोटि नमन करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। लॉकडाउन के बाद दर्शनार्थ आऊंगा। आइए जानते हैं जब पहली बार बेटे आदित्यनाथ को उनके पिता ने जब पहली बार बेटे को भगवा वेष में देखा तो उन पर क्या बीती थी ?
21 साल की उम्र में ही परिवार छोड़ लिया था सन्यास
बता दें योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट है। योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले एक छोटे से गांव पंचूर में हुआ, उनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट हैं जो गांव में रहते थे। आदित्यनाथ ने 21 साल की उम्र में ही परिवार छोड़ दिया था और वो गोरखपुर आ गए थे। योगी आदित्यनाथ उत्तराखंड स्थित अपने पैतृक गांव पंचूर से गोरखपुर आए थे और वहीं पर उन्होंने ये भगवा रंग धारण कर लिया था।
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बेटे को सन्यासी के वेष में देख पिता पर क्या बीती थी
सन्यास लेने के बाद चार वर्ष बाद संन्यासी के रूप में योगी आदित्यनाथ ने पंचूर की पहली यात्रा की। वह यात्रा परिवार को देखने के लिए नहीं, अपितु उन्हें एक संन्यासी जीवन का एक महत्वपूर्ण विधान पूरा करना था। वह था अपने माता पिता से संन्यासी के रूप में भिक्षा लेने का। पिता के द्वार पर जब योगी आदित्य नाथ भगवा रंग का कपड़ा पहने सन्यासी बन कर पहुंचे तो पिता बेटे को गौर से निहारने लगे और उनकी आंखे भर आयी थी। उत्तराखंड में घर पहुंचे योगी को देख भावुक हुए थे मां-बाप तो योगी ने कहा- यहां रहने नहीं, भिक्षा लेने आया हूं। जिसे सुनकर मां-बाप की आंखों से आंसू क्षलक पड़े थे। लेकिन माता पिता ने अपने संन्यासी पुत्र को यथोचित भिक्षा के रूप में चावल, फल, और सिक्के दिए। लगभग 26 साल पहले उत्तराखंड के एक गांव से संन्यास की दीक्षा लेने वाले बेटे को वो मनाने आए थे, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा था मां मायूस हो गई, लेकिन बेटे के लिए लगातार दुआएं मांगती रही। आज वो ही संन्यासी बेटा सीएम के पद पर कोरोना संकट में अपने पिता से बिछड़ने के गम के साथ अपने राज्य के प्रति अपने कर्तव्य निभा रहे है।
मां ये खबर सुनते ही पहुंच गई थी मनाने तो योगी ने कहा .....
बता दें योगी की मां को बेटे के संन्यासी बनने की सूचना मिली तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ और वह गोरखपुर जाने को तैयार हो गईं। पहली बार गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर पहुंचीं मां, बेटे योगी को संन्यासी वेष में देखकर फूट-फूट कर रोने लगीं। पीठाधीश्वर ने उन्हें समझाया, कहा कि योगी पर कोई प्रतिबंध नहीं है। वह जब चाहे, आप लोगों के पास जा सकते हैं। आप भी जब चाहे यहां आ सकती हैं, रह सकती हैं। आपका सदैव स्वागत है। मां को देख कर योगी भी भावुक जरूर हुए पर मन के ज्वार को रोके रखा। मंदिर से विदा करते समय उन्होंने मां से बोला, ‘छोटे परिवार से बड़े परिवार में मेरा एक संन्यासी के रूप में मिलन है। उसी रूप में जीवन जी रहा हूं।'
संन्यासी जीवन ग्रहण करना पड़ता हैं ये त्याग
गौरतलब हैं कि संन्यासी जीवन में प्रवेश से पूर्व व्यक्ति को अपना अंतिम संस्कार करना पड़ता है। यह पूर्व जीवन से मुक्ति और नए जीवन का प्रतीक होता है। इसी लिए योगी राख का प्रयोग करते हैं। यह राख दुनिया के लिए मृत्य का प्रतीक होती है। राख श्मशान का आधार होती है, यह संकेत देती है कि शरीर को अंतत:राख में बदल जाना है। इसका लक्षण है कि योगी ने सांसारिकता का त्याग कर दिया है। 14 जनवरी 1994 को उन्हें दीक्षा देकर तथा योगी की सभी क्रियाओं को पूरा कर वह योगी बन गए। वह योगी आदित्यनाथ बन गए। उनके वस्त्र आजीवन भगवा रहने वाले थे। भक्त वहीं से उन्हें छोटे महाराज की उपाधि देकर संबोधित करने लगे।
योगी के सीएम बनने पर बहुत खुश हुए थे उनके पिता
उत्तराखंड के पंचुर गांव का अजय सिंह बिष्ट जो आज योगी आदित्यनाथ के नाम से जाना जाते हैं और आज सत्ता के शीर्ष पर पहुंच कर बहुत बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। योगी के सीएम बनने की खबर सुनकर उनके पिता आनंद सिंह बेटे की कामयाबी सुनकर फूले नहीं समा रहे थे। मालूम हो कि उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले योगी चार भाई और तीन बहनों में दूसरे नंबर के भाई हैं। उनके दो भाई कॉलेज में नौकरी करते हैं, जबकि एक भाई सेना की गढ़वाल रेजिमेंट में सूबेदार हैं। योगी आदित्यनाथ पौड़ी गढवाल के इस गांव से संन्यास और राजनीति का लंबा सफर तय कर चुके हैं।