इंदिरा की हत्या की खबर सुनकर जब शीला दीक्षित के ससुर ने उन्हें बाथरूम में बंद कर दिया था
इंदिरा गांधी की हत्या की खबर मिलने के बाद जब शीला दीक्षित के ससुर ने उन्हें बाथरूम में बंद कर दिया था
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में विकास का एक नया अध्याय लिखने वाली पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गईं। दिल्ली के विकास को लेकर उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले लिए, जिनके लिए अक्सर उनके विरोधी भी उनकी तारीफ करते थे। शीला दीक्षित आजीवन कांग्रेस में ही रहीं और 1998 से लेकर 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर चुनी गईं। शीला दीक्षित यूपी के कन्नौज से सांसद भी रह चुकी थीं। कांग्रेस की एक सशक्त और ऊर्जावान नेता के रूप में पहचानी जाने वालीं शीला दीक्षित अब केवल यादों में ही शेष रह गई हैं। बीबीसी रेडियो के कार्यक्रम 'विवेचना' में शीला दीक्षित ने पत्रकार रेहान फजल के साथ बातचीत में अपने जीवन की कुछ अहम बातें शेयर की थीं, जिसमें उन्होंने बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की खबर सुनकर उनके ससुर ने उन्हें बाथरूम में बंद कर दिया था।
जैसे ही मेरे ससुर ने इंदिरा गांधी की हत्या की खबर सुनी
शीला दीक्षित के ससुर उमाशंकर दीक्षित की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में होती थी। इंदिरा गांधी की सरकार में वो देश के गृह मंत्री भी बने। इसके बाद उन्हें पश्चिम बंगाल और कर्नाटक का राज्यपाल भी बनाया गया। शीला दीक्षित ने रेहान फजल के साथ बातचीत में बताया था, 'इंदिरा गांधी की हत्या के समय मेरे ससुर उमाशंकर दीक्षित पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे। उन्हें कांग्रेस नेता विंसेंट जार्ज ने फोन पर इंदिरा गांधी की हत्या किए जाने की खबर दी। इस खबर को सुनते ही मेरे ससुर ने मुझे बाथरूम में ले जाकर बंद कर दिया और कहा कि मैं इस खबर के बारे में किसी को ना बताऊं।' गौरतलब है कि शीला दीक्षित की शादी उमाशंकर दीक्षित के बेटे विनोद दीक्षित से हुई थी।
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इंदिरा ने पहचाना उनका प्रशासनिक कौशल
आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ही थीं, जिन्होंने शीला दीक्षित के प्रशासनिक कौशल को देखा। यही नहीं संयुक्त राष्ट्र आयोग के भारतीय प्रतिनिधिमंडल में एक प्रतिनिधि के तौर पर उन्हें नामांकित भी किया गया। उन्होंने 1984-1989 तक पांच साल के लिए संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। 1984 में वह राजीव गांधी की सरकार में मंत्री बनीं थीं। दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से ग्रेजुएशन करने वालीं शीला दीक्षित राजनीति में आने से पहले कई संगठनों से जुड़ी रहीं और उन्होंने कामकाजी महिलाओं के लिए दिल्ली में दो हॉस्टल भी बनवाए थे।
जब नेहरू से मिलने के लिए पैदल ही निकल पड़ीं शीला दीक्षित
शीला दीक्षित से जुड़ा एक अहम वाक्या उस समय का है, जब वो 15 साल की थीं। शीला दीक्षित ने अपनी किताब 'सिटीजन दिल्ली: माय टाइम्स, माय लाइफ' में इस किस्से का जिक्र किया है। हुआ यूं कि उन्होंने अचानक तय किया कि वो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलने उनके 'तीनमूर्ति' वाले निवास स्थान पर जाएंगी। बस फिर क्या था शीला अपने घर से निकलीं और पैदल ही 'तीनमूर्ति भवन' पहुंच गईं। गेट पर खड़े गार्ड ने जब उनसे पूछा कि किससे मिलने जा रही हैं तो उन्होंने जवाब दिया 'पंडितजी से'। इसी दौरान जवाहरलाल नेहरू अपनी सफेद 'एंबेसडर' कार से अपने निवास के गेट से बाहर निकल रहे थे। जैसे ही शीला ने उन्हें देखा, हाल हिलाकर अभिवादन किया, तुरंत ही पंडित नेहरू ने भी हाथ हिला कर उनका जवाब दिया।
विरोधी भी करते थे तारीफ
बीते शनिवार को लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में शीला दीक्षित का निधन हो गया था। एस्कॉर्ट हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. अशोक सेठ के मुताबकि, 'तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें हॉस्पिटल लाया गया था, जहां डॉक्टरों की एक टीम उनकी हालत पर लगातार नजर बनाए हुए थी। दोपहर 3:15 बजे उन्हें फिर से दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। दोपहर को 3 बजकर 55 मिनट पर उनका निधन हो गया।' शीला दीक्षित के निधन की खबर से कांग्रेस सदमे में है। मुख्यमंत्री रहते हुए शीला दीक्षित ने विकास के मामले में दिल्ली का कायापलट कर दिया था। उनके कार्यकाल में कई ऐसी योजनाएं थीं, जिनके लिए विरोधी भी उनकी तारीफ करते थे।
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