जब पहली बार भारत आए ट्रंप तीन घंटे अपने विमान में रहे थे बंद
नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने से पहले भारत में फ्लैट बेचते थे। अमेरिका में रियल एस्टेट का धंधा चमकाने के बाद उन्होंने 2013 में भारत का रुख किया था। जब वे पहली बार भारत आये थे तब उनकी यात्रा बहुत कष्टदायी रही थी। वे अपनी इस यात्रा को शायद ही कभी याद करें। वे जब मुम्बई के एयरपोर्ट पर उतरे तो उनके निजी प्लेन को साढ़े तीन घंटे तक उड़ने की इजाजत नहीं मिली। वे विमान बैठे कसमसाते रहे लेकिन भारतीय अधिकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी। अंत में जब अमेरिकी दूतावास सक्रिय हुआ तब ट्रंप को राहत मिली। आज ट्रंप भले दुनिया भर में अपनी धौंस दिखाते हैं लेकिन उस समय भारत में उनकी मिट्टीपलीद हो गयी थी। तब वे कारोबारी थे और कुछ भी सह कर भारत में अपने कीमती फ्लैट बेचना चाहते थे।
मुम्बई में साढ़े तीन घंटे रुका रहा ट्रंप का विमान
ट्रंप की पहली भारत यात्रा विवादों में पड़ गयी थी। ट्रंप उस समय बिजनेसमैन थे। हालांकि तब तक उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश कर दी थी। ट्रंप को बिल्डिंग प्रोजेक्ट के शिलान्यास के लिए भारत आना था। अगस्त 2014 में ट्रंप अपने निजी विमान से मुम्बई आये थे। वे न्यूयॉर्क से बोइंग 757 प्लेन से मुम्बई के छत्रपति शिवाजी इंटनेशनल एयरपोर्ट पर उतरे थे जिसके लिए उन्होंने क्लीयरेंस नहीं ली थी। भारतीय अधिकारियों ने ट्रंप के विमान को कई घंटे तक एयरपोर्ट पर रोके रखा। यहां से ट्रंप को पुणे के लिए उड़ान भरनी थी। पुणे का लोहेगांव एयरपोर्ट वायुसेना के अधीन है और वहां किसी निजी विमान को उतरने की इजाजत नहीं है। ट्रंप का प्लेन साढ़े तीन घंटे मुम्बई में रुका रहा। ट्रंप और उनकी टीम विमान में ही बैठी रही। धनपति ट्रंप को अंदाजा नहीं था कि भारत में उनकी पहली यात्रा ही इतनी कष्टकारी होगी। उन्होंने अपने प्रोजेक्ट के बारे में बताया। लेकिन अधिकारियों ने नियमों का हवाला देकर उनको रोके रखा। वे कई बार खीजे भी। जब कोई चारा न रहा तो अंत में ट्रंप ने अमेरिकी दूतावास से मदद मांगी। अमेरिकी दूतावास की सक्रियता के बाद ट्रंप के विमान को साढ़े तीन घंटे बाद पुणे जाने की मंजूरी मिली। पुणे पहुंचने के बाद भी उनकी परेशानियां कम नहीं हुईं। ट्रंप का निजी विमान कुछ ज्यादा उंचा था। उसके लायक पुणे एयरपोर्ट पर सीढ़ियां नहीं थी। ट्रंप फिर कुछ देर प्लेन में बैठे रहे। कुछ देर बाद अस्थायी सीढ़ियों की व्यवस्था की गयी तब जा कर ट्रंप और उनकी टीम नीचे उतरी। भारत में फ्लैट बेचने के लिए ट्रंप को बहुत पापड़ बेलने पड़े थे।
पुणे में ऋषि कपूर, रणवीर कपूर को फ्लैट बेचा
ट्रंप ने 2013 में लोढ़ा ग्रुप के साथ मिल कर पुणे में मल्टी स्टोरिज बिल्डिंग प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की थी। पुणे के कल्याणी नगर में 23 मंजिला ट्रंप टावर का निर्माण शुरु हुआ तो इसके सुपर लक्जरी फ्लैट्स खरीदने के लिए धनपतियों में होड़ लग गयी। फिल्म स्टार ऋषि कपूर, उनके पुत्र रणवीर कपूर ने यहां फ्लैट खरीदा था। तब ट्रंप टावर के एक आलिशान फ्लैट कीमत 13 करोड़ रुपये थे। ऋतिक रौशन की पत्नी सुजेन खान ने यहां पेंट हाउस खरीदा था जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपये थी। पेंट हाउस किसी भी हाउसिंग प्रोजेक्ट का सबसे महंगा निवास स्थान होता है। पेंट हाउस में कांच की दीवारें, कांच की दीवारों पर लकड़ी का पेंट किया हुआ आवरण, कमरे से ही पूरे शहर का नजारा, विशाल छत, टेरेस गार्डन, आउटडोर स्वीमिंगपूल, जिम जैसी कई अत्याधुनिक सुविधाएं होती हैं। इस प्रोजेक्ट के हिट होने के बाद ट्रंप ने मुम्बई के वर्ली में 78 मंजिली इमारत का निर्माण कार्य शुरू कराया। बर्ली के ट्रंप टावर से अरब सागर का सुंदर दृश्य दिखायी देता है। इस इमारत में अन्य आधुनिक सुविधाओं के अलावा निजी जेट सेवा की भी फैसिलिटी है।
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बहुत महंगा है ट्रंप टावर
फिल्म एक्टर रणवीर कपूर ने पुणे के ट्रंप टावर में फ्लैट खरीद कर उसे किराये पर दे दिया था। पुणे की रहने वाली शीतल सूर्यवंशी ने इसे 2016 में किराये पर लिया था। एकरारनामा के मुताबिक शीतल को पहले एक साल तक हर महीने 4 लाख रुपये का किराया देना था। एक साल बाद यह किराय बढ़ कर 4 लाख 20 हजार रुपये होना था। ये करार एक साल के लिए लॉक किया गया था। शीतल ने सिक्यूरिटी डिपोजिट के रूप में 24 लाख रुपये एडवांस जमा किये थे। इस बीच शीतल ने रणवीर कपूर पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करा दिया। शीतल ने आरोप लगाया कि रणवीर ने एक साल की बजाय 11 महीने बाद ही उन्हें घर खाली करने को कह दिया। हालांकि रणवीर कपूर ने इन आरोपों से इंकार किया था और कहा था कि शीतल एकरारनामा की शर्तों का अपनी सुविधा के हिसाब से व्याख्या कर रही हैं। वे पिछले तीन महीने से किराया देने में गड़बड़ी कर रही थीं जो उनकी डिपोडिट मनी से से काट लिया गया। रणवीर ने अपने रहने के लिए घर खाली कराया था। इस विवाद का कानूनी पक्ष चाहे जो हो लेकिन इतना तो पता गया कि ट्रंप टावर में रहना कितना महंगा है।
ट्रंप तब और अब
डोनाल्ड ट्रंप जब 2014 में में मुम्बई आये थे। उस समय उनकी पहचान एक बिजनेस टायकून के रूप में थी। वे व्यवसाय में सफल जरूर थे लेकिन राजनीतिक रूप से अस्थिर विचारों वाले व्यक्ति थे। ट्रंप ने राजनीति शुरुआत रिपब्लिकन पार्टी से की। फिर रिफॉर्म पार्टी में गये। इसके बाद कुछ साल कर डेमोक्रेटिक पार्टी में रहे। 2009 में वे फिर रिपब्लिकन पार्टी में लौटे। फिर तो उनकी किस्मत चमक गयी। सबको पछाड़ते हुए रिपब्लिकन पार्टी के टॉप नेता बन गये। पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीवार की दावेदारी जीत ली। 2016 में ट्रंप ने सारे पूर्वानुमानों को झुठलाते हुए राष्ट्रपति पद का चुनाव भी जीत लिया था। अब वे अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में भारत आ रहे हैं। अहमदाबाद में उनके स्वागत के लिए दिलखोल कर तैयारी चल रही है। जश्न का माहौल है। आज चाहे जितनी चमक-दमक हो लेकिन ट्रंप 2014 की अपनी पहली भारत यात्रा शायद ही याद करें।