रेलवे ने लेटलतीफी के तोड़े सारे रिकॉर्ड, विशाखापट्टनम से बस्ती पहुंचने में लगा 3.5 साल का वक्त
नई दिल्ली। भारतीय रेल की लेटलतीफी कोई नई बात नहीं है। ट्रेनें अक्सर अपने तय वक्त से लेट ही रहती है। 8 घंटे-10 घंटे लेट होना तो आम बात हो गई है, लेकिन एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें रेलवे ने लेटलतीफी के सारे रिकार्ड तोड़ डाले। ट्रेन कुछ घंटे या कुछ दिन नहीं बल्कि 1275 दिन लेट अपने गंतव्य पर पहुंची। जी हां हैरान मत होइए जिस दूरी को तय करने में ट्रेनों को 42 घंटे 13 मिनट का वक्त लगता है, उसे रेलवे की लापरवाही की वजह से लगभग 4 साल में पूरा किया गया। साल 2014 में चली ट्रेन 2018 में अपने गंतव्य पर पहुंची है।
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3.5 साल की देरी से पहुंची ट्रेन
मामला बस्ती जिले का है, जहां साल 2014 में विशाखापट्टनम से खाद लेकर चला रेलवे का वैगन 3.5 साल बाद पहुंचा। बस्ती स्टेशन पर वैगन के पहुंचते ही अधिकारियों में खलबली मच गई। वैगन में 10 लाख से ऊपर का माल था, लेकिन उनका मालिक कौन था किसी को कुछ नहीं पता। फौरन संबंधित अधिकारियों को इस बारे में सूचित किया गया। वहीं 4 साल तक लापता वैगन में लदा 50 प्रतिशत से अधिक खाद बेकार हो चुका था। इन बेकार पड़े खादों का हर्जाना कौन भरेगा इस बारे में अधिकारी अब तक तय नहीं कर पाए हैं।
1275 दिन बाद पहुंची ट्रेन
जानकारी के मुताबिक कल मालगाड़ी एसई 107462 बस्ती स्टेशन पहुंचा। मालगाड़ी स्टेशन पर पहुंचते ही अधिकारियों में हड़कंप मच गया। मालगोदाम के इंचार्ज को सूचना दी गई। जांच-पड़ताल शुरू हुई तो पता चला की इसका कोई मालिक ही नहीं है। पता चला कि यह वैगन साल 2014 में बस्ती के लिए बुक किया गया था। विशाखापत्तनम से खाद एक कारोबारी ने बुक कराई थी। वहां से तो तय वक्त पर खाद की खेप निकल गई, लेकिन रास्ते में लापता हो गई। कारोबारी ने कई बारे इस बारे में रेलवे को जानकारी दी, लेकिन रेलवे की लापरवाही से इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। करीब 1275 दिन बाद खाद की खेप बस्ती पहुंची।
1326 किमी दूरी तय करने में लगा 1275 दिन का वक्त
जानकारी के मुताबिक वैगन में 1316 डीएपी खाद की बोरियां मिली हैं, जिनमें से लगभग आधी बोरियां खराब हो चुकी है। विशाखापटनम से बस्ती स्टेशन के बीच की दूरी 1326 किमी है, जहां पहुंचाने में 42 घंटे 13 मिनट लगते हैं,लेकिन बैगन ने लेटलीतीफी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और बस्ती पहुंचने में 3.5 साल का वक्त लग गया।
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