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जब भारत आए कनाडाई पीएम को PM मोदी से मुलाकात के लिए करना पड़ा था लंबा इंतजार?

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नई दिल्ली। कृषि कानून को लेकर भारत में हरियाणा और पंजाब के किसानों का प्रदर्शन बुधवार को सातवें दिन में प्रवेश कर गया है। केंद्र सरकार कृषि कानून को लेकर आशंकाओं को दूर करने के लिए किसानों से बातचीत के लिए कदम भी बढ़ा चुकी है, लेकिन कृषि कानून में एमएसपी खत्म करने और मंडी को समाप्त करने और आढ़तियों के बर्बाद होने की अफवाहों के बीच संघर्षरत किसान राजधानी दिल्ली के चारों ओर फैल गए हैं। माना जा रहा है कि किसानों के बीच अफवाहों और आशंकाओं के बुलबुले को राजनीतिक रुप से छोड़े गए हैं।

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PM मोदी कृषि कानून को लेकर किसानों में फैली भ्रांति को दूर कर चुके हैं

PM मोदी कृषि कानून को लेकर किसानों में फैली भ्रांति को दूर कर चुके हैं

प्रधानमंत्री मोदी खुद कृषि कानून को लेकर किसानों के बीच फैली आशंकाओं को दूर करने के लिए सामने आ चुके हैं और किसानों से स्पष्ट कर चुके हैं, लेकिन किसान सुनने को तैयार नहीं है। यह सच है कि संसद के दोनों सदनों से पारित और राष्ट्रपति की मुहर के बाद कानून बन चुके कृषि कानून में कुछ ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जो किसानों के हित में है। इनमें फसल बेचने के लिए किसानों की मंडी पर निर्भरता कम करना प्रमुख है, लेकिन कांग्रेस शासित राज्य सरकारों में इसको लेकर भ्रम की दीवार खड़ी करते हुए किसानों को बताया गया कि सरकार एमएसपी खत्म करने जा रही है।

कृषि कानून में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि एमएसपी खत्म नहीं होगा

कृषि कानून में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि एमएसपी खत्म नहीं होगा

सच्चाई यह है कि कृषि कानून में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि एमएसपी खत्म नहीं होगा और एमएसपी पर किसानों की फसल खऱीदने का काम लगातार जारी रहेगा। नए कानून में प्रावधान सिर्फ यह प्रावधान किया गया है कि किसान अब मंडी के अलावा भी बाहर अपनी फसलों को बेच सकेंगे। कानून में मंडी को समाप्त करने का भी कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन किसानों के हितैषी बनकर आंदोलन खड़ा करने वाले पंजाब प्रदेश में मंडी के 29000 कमीशन एजेंट्स ने अपनी दुकानदारी पर आंच पड़ता देख किसानों में ऐसी अफवाहों को जन्म दिया, जिसका समर्थन कांग्रेस कर रही है।

दिलचस्प यह है कि मंडी कमीशन एजेंट किसानों की हितैषी बने हुए हैं

दिलचस्प यह है कि मंडी कमीशन एजेंट किसानों की हितैषी बने हुए हैं

दिलचस्प बात यह है कि किसानों की हितैषी बने कमीशन एजेंट और उनका समर्थन कर रही कांग्रेस शासित पंजाब सरकार भूल गई है कि कांग्रेस के 2019 लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में एपीएमसी एक्ट खत्म करने और एमएसपी पर फसल की सरकारी खऱीद के प्रावधान को विकेंद्रित करने के लिए वादा कर चुकी है। यही नहीं, किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रही भारतीय किसान यूनियन भी मंडी मुक्त अभियान की मांग कर चुकी है। भारतीय किसान यूनियन द्वारा किसानों की समस्यों के निदान के लिए लाए मेनिफेस्टो में बाकायदा उल्लेख किया गया है कि किसानों को आढ़तियों से मुक्त किया जाए, जो बताता है कि किसान आंदोलन की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं।

इसी क्रम में मंगलवार को कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी कूद पड़े

इसी क्रम में मंगलवार को कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी कूद पड़े

इसी क्रम में अब कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो मंगलवार को कूद पड़े, जिसके पीछे उनका मकसद भी राजनीतिक है। किसान आंदोलन में शामिल अधिकांश किसान सिख हैं और कनाडा में सिखों की संख्या काफी अधिक है, जिनको साधने के लिए कनाडाई पीएम ने जारी एक बयान में भारत में हो रहे किसान आंदोलन का समर्थन किया और हालात का चिंताजनक बताया। गुरूनानक देव के 551वें प्रकाश पर्व पर एक ट्वीट में जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि वो शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन के पक्ष में रहे हैं, लेकिन भारत से किसानों के आंदोलन के बारे में जो खबरें आ रही है, वो चिंताजनक हैं।

भारत ने किसान आंदोलन के समर्थन में कनाडाई PM के बयान को खारिज किया

भारत ने किसान आंदोलन के समर्थन में कनाडाई PM के बयान को खारिज किया

फिलहाल, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडाई पीएम द्वारा किसान आंदोलन के समर्थन दिए गए बयान को खारिज कर दिया। मंत्रालय ने कहा, हम कनाडाई पीएम के बयान को खारिज करते हैं। यह गलत जानकारी पर आधारित गैरजरूरी है और सियासत के लिए कूटनीतिक बयानों को सहारा नहीं लिया जाना चाहिए। बता दें, जस्टिन ट्रूडो पहले राष्ट्राध्यक्ष हैं, जिन्होंने भारत में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन किया है, जबकि यह भारत का अंदरूनी मामला है। यह ठीक उसी तरह है, जैसे तुर्की, मलेशिया ने जम्मू-कश्मीर राज्य से खत्म किए गए अनुच्छेद 370 को लेकर बयानबाजी की थी।

शिवसेना ने ट्रूडो के बयान को भारतीय मामलों में दखलंदाजी करार दिया

शिवसेना ने ट्रूडो के बयान को भारतीय मामलों में दखलंदाजी करार दिया

कनाडाई पीएम के बयान पर शिवसेना प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने जस्टिन ट्रूडो की खिंचाई करते हुए उनके बयान को भारत के मामलों में दखलंदाजी करार दिया। एक ट्वीट में कनाडाई प्रधानमंत्री को टैग करते हुए शिवसेना प्रवक्ता ने लिखा, डियर टूड्रो, आपकी फिक्र समझ सकती हूं, लेकिन अपनी सियासत चमकाने के लिए दूसरे देश की सियासत में दखलंदाजी सही नहीं हैं। मेहरबानी करके उस परंपरा का पालन कीजिए, जो हम दूसरे देशों के मामले में करते हैं। उन्होंने आगे लिखा, मैं प्रधानमंत्री मोदी से अपील करती हूं कि इस मामले को सुलझाएं ताकि दूसरे देशों को टांग अड़ाने का मौका न मिले।

भारत के घरेलू मामलों में कनाडाई PM की दखलंदाजी हैरान करती है

भारत के घरेलू मामलों में कनाडाई PM की दखलंदाजी हैरान करती है

निः संदेह किसी बाहरी देश के प्रधानमंत्री द्वारा भारत के घरेलू मामलों में दखलंदाजी हैरान करती है, लेकिन इससे यह बात पुख्ता हो रही है कि किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन में कट्टरवादी लोगों की भीड़ को चिंगारी कहां से मिल रही है। कनाडाई राजनीति में एक बार फिर अपनी सीट पुख्ता करने के लिए जस्टिन ट्रूडो का खेल भारत के लिए लिहाज से जहां विस्फोटक हो सकता है, लेकिन ऐसा करके वो 2023 में होने वाले चुनावों में वहां मौजूद सिख समुदाय को वोट पक्का करने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं।

कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो 2018 में भारत भ्रमण को भुला बैठे हैं

कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो 2018 में भारत भ्रमण को भुला बैठे हैं

जस्टिन टूड्रो की उक्त हरकत कनाडा में बैठे उन सिख समुदायों को खुश करने के लिए किया गया है, जो खालिस्तान के समर्थक हैं। ऐसा लगता है कि जस्टिन ट्रूडो 2018 में भारत भ्रमण को भुला बैठे हैं, जब उन्हें प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए इंतजार करना पड़ गया था। जस्टिन ट्रूडो का यह इंतजार खालिस्तानी समर्थक कनाडाई सिखों के लिए हिलारे मारने वाले प्यार के लिए करना पड़ गया, जो भारत को तोड़ने का मंसूबा पाले हुए कनाडा में बैठकर आंदोलन चला रहे हैं। जस्टिन ट्रूडो अच्छी तरह जानते हैं कि खालिस्तानी समर्थक संगठन भारत में प्रतिबंधित है, लेकिन राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए बार-बार हिमाकत कर रहे हैं।

जस्टिन ट्रूडो की अगवानी में PM मोदी के नहीं जाने को मुद्दा बनाया गया

जस्टिन ट्रूडो की अगवानी में PM मोदी के नहीं जाने को मुद्दा बनाया गया

हालांकि भारत दौरे पर गए कनाडाई पीएम का प्रधानमंत्री द्वारा अगवानी नहीं करने और गुजरात दौरे पर गए जस्टिन ट्रूडो के साथ प्रधानमंत्री के साथ नहीं जाने की खबर को कनाडाई मीडिया में मुद्दा बनाया गया और इसको ट्रूडो के अपमान से जोड़कर देखा गया और ऐसी आशंकाएं जताई गईं कि कनाडा में सिख चरमपंथ बढ़ने के कारण ट्रूडो को अपमानित करने के लिए ऐसा किया गया, लेकिन सरकार ने आरोपो का बचाव किया। आधिकारिक बयान में कहा गया कि प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए ट्रूडो की अगवानी एक राज्यमंत्री ने की थी।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अगवानी भी प्रधानमंत्री मोदी ने नहीं की थी

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अगवानी भी प्रधानमंत्री मोदी ने नहीं की थी

कनाडाई मीडिया में सवाल उठाया गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे, अबु धाबी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जाय अल नहयान और बांग्लादेश प्रधानमंत्री शेख हसीना और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एय़रपोर्ट से रिसीव किया था, लेकिन कनाडाई पीएम को नहीं रिसीव किया गया। इस पर जवाब देते हुए बताया गया कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अगवानी भी प्रधानमंत्री मोदी ने नहीं की थी और प्रोटोकॉल के मुताबिक राज्यमंत्री ने उन्हें रिसीव किया था।

जस्टिन ट्रूडो अन्य जगहों पर जाने से पहले दिल्ली पधारने को कहा गया था

जस्टिन ट्रूडो अन्य जगहों पर जाने से पहले दिल्ली पधारने को कहा गया था

सूत्रों के मुताबिक आधिकारिक बयान में यह भी कहा गया था कि भारत भ्रमण कर रहे कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो अन्य जगहों पर जाने से पहले दिल्ली पधारे, लेकिन ट्रूडो और उनके अधिकारियों ने खुद ही अहमदाबाद जाने की योजना कर रखी थी। यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रूडो के साथ अहमदाबाद जाने की सहमति भी नहीं दी गई थी और कनाडाई प्रधानमंत्री को अपने परिवार के साथ अकेले अहमदाबाद से आगरा तक घूमना पड़ा और दौरे के अंतिम दिनों में जस्टिन ट्रूडो के सम्मान में प्रधानमंत्री मोदी ने रात्रिभोज रखा था, जिसमें ट्रूडो अपने साथ लाए जसपाल अटवाल को गेस्ट लिस्ट के दौर पर लिस्ट किया था। वह अटवाल, जिसे वर्ष 1987 में एक साल पहले कनाडा दौरे पर गए पंजाब के एक मंत्री की हत्या की कोशिश के अपराध में तीन अन्य के साथ दोषी पाया गया था और उन्हें 20-20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।

2018 में 7 दिवसीय यात्रा के लिए परिवार समेत भारत पधारे थे जस्टिन टूड्रो

2018 में 7 दिवसीय यात्रा के लिए परिवार समेत भारत पधारे थे जस्टिन टूड्रो

वर्ष 2018 में 7 दिवसीय यात्रा के लिए परिवार समेत पधारे जस्टिन टूड्रो के दौरे के अंतिम दिनों में प्रधानमंत्री मोदी ने उनके सम्मान में एक रात्रिभोज आयोजित किया था, लेकिन उनकी कनाडाई सरकार की डिनर लिस्ट में भारत में प्रतिबंधित खालिस्तानी अलगाववादी और अपराधी जसपाल अटवाल का नाम उनके इरादों का खुलासा कर दिया था, जिसे जस्टिन ट्रूडो कनाडाई मंत्रिमंडल के साथ भारत लेकर आए थे। हालांकि बाद में भांपते हुए जसपाल अटवाल का नाम डिनर लिस्ट से हटा दिया गया था। इससे पहले कनाडा सरकार में सिख रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मिलने से इंकार कर चुके हैं, फिर भी कनाडाई प्रधानमंत्री द्वारा यह हिमाकत की गई थी।

कनाडाई रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन किसान आंदोलन पर राय रख चुके हैं

कनाडाई रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन किसान आंदोलन पर राय रख चुके हैं

बीजेपी नेता राममाधव ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या कनाडाई प्रधानमंत्री द्वारा भारत के आंतरिक मामलों में यह दखल करना नहीं हुआ। इससे पहले जस्टिन टूड्रो मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर किसानों के प्रदर्शन पर अपनी राय रख चुके थे। उन्होंने कहा था कि शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर जो एक्शन लिया जा रहा है, वो गलत है। मेरे क्षेत्र के कई लोगों के जानने वाले उन प्रदर्शनों में शामिल हैं, ऐसे में ये चिंता का विषय है और भारत सरकार को कानूनी तरीके से मुद्दे को सुलझाना चाहिए।

जस्टिन ट्रूडो को कथित रूप से खालिस्तानियों को समर्थक माना जाता है

जस्टिन ट्रूडो को कथित रूप से खालिस्तानियों को समर्थक माना जाता है

उल्लेखनीय है कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो को कथित रूप से खालिस्तानियों को समर्थक माना जाता है। उन्होंने सिख अलगाववादी आंदोलन में शामिल लोगों अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाया था, इससे मामला और बिगड़ गया। ट्रूडो ने कैबिनेट में फिलहाल चार सिख मंत्री है। इनमें हरजीत सिंह, अमरजीत सोही, नवदीप बैंस, बर्दिश छागर शामिल हैं। सोही ने हाल में कहा था कि वो खालिस्तान आंदोलने के न तो खिलाफ हैं और न ही समर्थन में हैं। ट्रूडो ने खालसा डे परेड में भी हिस्सा लिया था, जिसमें खालिस्तान समर्थकों के जुटने की रिपोर्टी आती रही है। जबकि भारत नहीं चाहता था कि ट्रूडो इस इवेंट में जाएं, लेकिन ट्रूडो वहां गए थे।

हरजीत सज्जन को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खालिस्तान समर्थक कहा था

हरजीत सज्जन को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खालिस्तान समर्थक कहा था

कनाडा में करीब पांच लाख सिख है और जस्टिन ट्रूडो के कैबिनेट में रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन के पिता वर्ल्ड सिख संगठन के सदस्य थे। सज्जन को पिछले साल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खालिस्तान समर्थक कहा था। हालांकि सज्जन ने इसे खारिज कर दिया था। कनाडा खालिस्तान समर्थक सिखों का कितना पड़ा समर्थक है, इसका सबूत है कि कनाडा के ओंटरियों असेंबली में 1984 सिख विरोधी दंगे की निंदा का प्रस्ताव पास किया था। वहीं, 2020 में कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की योजना स्वतंत्र पंजाब के लिए एक जनमत संग्रह की भी थी।

Comments
English summary
On Tuesday, Canadian Prime Minister Justin Trudeau jumped in support of the farmer movement in India, behind which his motive is political. Most of the farmers involved in the peasant movement are Sikhs and the number of Sikhs in Canada is quite high, to which the Canadian PM in a statement issued a statement supporting the peasant movement happening in India and described the situation as worrying. In a tweet on the 551st Prakash Parva of Guru Nanak Dev, Justin Trudeau said that he has been in favor of peaceful protests, but the news about the farmers' movement coming from India is worrying.
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