क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

सुषमा स्वराज से नवाज़ शरीफ़ की माँ ने कहा था, 'तू मेरे वतन से आई है, वादा कर रिश्ते ठीक करके जाएगी'

बहुत कम लोग जानते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान से लौटते हुए पाकिस्तान में नवाज़ शरीफ़ के घर प्रधानमंत्री मोदी के रुकने की भूमिका सुषमा स्वराज ने बनाई थी.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
सुषमा स्वराज
Getty Images
सुषमा स्वराज

भारत की पूर्व विदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की आज 69वीं जयंती है.

भारतीय राजनीति की समझ रखने वाला एक वर्ग सुषमा स्वराज को भाजपा में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद सबसे लोकप्रिय और प्रखर वक्ता मानता है.

भारतीय जनता पार्टी ने आज उन्हें याद करते हुए लिखा कि 'सौम्यता और सादगी की प्रतिमूर्ति, ओजस्वी वक्ता एवं देश की पूर्व विदेश मंत्री, पद्म विभूषण, सुषमा स्वराज जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन.'

Twitter/Bansuri Swaraj
Twitter/Bansuri Swaraj
Twitter/Bansuri Swaraj

इस अवसर पर, सुषमा स्वराज की बेटी बाँसुरी स्वराज ने लिखा, "हैप्पी बर्थडे माँ... केक अब फीका लगता है." उन्होंने अपनी माँ को 'स्नेह और करुणा का मानवीय रूप' बताया है.

6 अगस्त 2019 को सुषमा स्वराज के देहांत से एक दिन बाद, बीबीसी संवाददाता रेहान फ़ज़ल ने उनकी राजनीति और जीवन से जुड़े कुछ पहलुओं पर यह रिपोर्ट तैयार की थी. आज, एक बार फिर आप वह रिपोर्ट पढ़ सकते हैं:


जब दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ़गानिस्तान से लौटते हुए अचानक लाहौर में रुक कर प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की नातिन की शादी में शामिल होने का फ़ैसला किया तो पूरी दुनिया ने उनकी स्टेटेसमैनशिप की तारीफ़ की.

लेकिन कम लोगों को पता है कि इसकी भूमिका उनकी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बनाई थी. जब माल्टा में राष्ट्रमंडल नेताओं की बैठक हुई तो गोल मेज़ पर सुषमा स्वराज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के बग़ल में बैठीं.

सुषमा की उर्दू और पंजाबी में महारत ने नवाज़ शरीफ़ को उनका कायल बना दिया. नवाज़ शरीफ़ के साथ उनकी पत्नी कुल्सुम और बेटी मरियम भी माल्टा आई थीं. अगले दिन नवाज़ शरीफ़ ने सुषमा स्वराज को अपने परिवार से मिलने के लिए आमंत्रित किया.

जब सुषमा आठ दिसंबर को इस्लामाबाद गईं तो उन्होंने नवाज़ शरीफ़ के परिवार के साथ फिर चार घंटे बिताए. नवाज़ ने एक बार फिर सुषमा की उर्दू की तारीफ़ की और स्वीकार किया कि उनकी पंजाबी पृष्ठभूमि के कारण कभी-कभी उनके उर्दू के तलफ़्फ़ुज़ ख़राब हो जाते हैं.

जब वो नवाज़ शरीफ़ की माँ से मिलीं तो उन्होंने उन्हें गले लगाते हुए कहा, "तू मेरे वतन से आई है, वादा कर कि रिश्ते ठीक करके जाएगी."

नवाज़ शरीफ़ की माँ का जन्म अमृतसर के भीम का कटरा में हुआ था. उन्होंने सुषमा को बताया कि विभाजन के बाद न तो वो अमृतसर गईं और न ही कोई वहाँ से उनसे मिलने आया.

दोनों ने घंटों तक अमृतसर के बारे में बातें कीं. ये वो शहर था जहाँ सुषमा अपने अंबाला के दिनों में अक्सर जाया करती थीं. वहाँ से वापस लौटने से पहले सुषमा स्वराज ने नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम से कहा था, "अपनी दादी को बता दीजिएगा कि 'मैंने पाकिस्तान से रिश्ते बेहतर करने का वादा निभा दिया है.'"

लालकृष्ण अडवाणी के साथ सुषमा स्वराज
Getty Images
लालकृष्ण अडवाणी के साथ सुषमा स्वराज

मोदी की प्रधानमंत्री की उम्मीदवारी का विरोध

2014 में जब नरेंद्र मोदी सत्ता में आए थे और अपने मंत्रिमंडल गठन के लिए अपने सबसे क़रीबी अरुण जेटली से मंत्रणा कर रहे थे, उन्होंने पिछली लोकसभा में विपक्ष के नेता रहीं सुषमा स्वराज से सलाह करने की ज़रूरत नहीं समझी थी.

कई राजनीतिक पंडितों के साथ-साथ सुषमा को भी पूरा भरोसा नहीं था कि मोदी उन्हें अपने मंत्रिमंडल में जगह देंगे भी या नहीं. इसके पीछे दो वजहें थी.

एक ये कि वो नेतृत्व की दौड़ में पिछड़ चुके लालकृष्ण आडवाणी के बहुत क़रीब थीं और दूसरे अरुण जेटली से उनकी प्रतिद्वंदिता जगज़ाहिर थी.

उनको नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क़रीबी के तौर पर भी नहीं जाना जाता था. साल 2013 में जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाने की माँग पहली बार उठाई गई थी तो उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के साथ इसका विरोध किया था.

साल 2002 में भी गुजरात दंगों के बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी ने नरेंद्र मोदी को राजधर्म निभाने के लिए कहा था तो वो वाजपेयी के साथ खड़ी नज़र आई थीं.

सुषमा स्वराज और राजनाथ सिंह
Getty Images
सुषमा स्वराज और राजनाथ सिंह

वरिष्ठता की अनदेखी

मोदी मंत्रिमंडल में उन्हें विदेश जैसा महत्वपूर्ण विभाग ज़रूर दिया गया था लेकिन सरकार में उन्हें राजनाथ सिंह के बाद तीसरे पायदान पर रखा गया था, हालांकि अनुभव और वरिष्ठता में राजनाथ सिंह उनसे कहीं जूनियर थे.

शुरू का उनका कार्यकाल इस मायने में कठिन था कि नरेंद्र मोदी की सक्रिय विदेश नीति का श्रेय उन्हें न मिल कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को मिल रहा था और सुषमा स्वराज 'लो प्रोफ़ाइल' रखे हुए थीं.

विदेश मंत्रालय में एक साल रहने के बाद जब कुछ पत्रकारों ने उनकी सफलता का राज़ पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, 'मीडिया से दूर रहना और उस काम को करते रहना जिसको करने की उन्हें ज़िम्मेदारी दी गई है.'

सुषमा स्वराज
Getty Images
सुषमा स्वराज

25 साल की उम्र में हरियाणा में मंत्री

सिल्क की साड़ी पर मर्दों वाली जैकेट पहनने वाली सुषमा स्वराज का क़द मुश्किल से पाँच फ़िट या इससे कुछ ही अधिक रहा होगा, लेकिन उनका राजनीतिक क़द उससे कहीं बड़ा था.

1977 में जब सिर्फ़ 25 साल की उम्र में वो हरियाणा में देवी लाल मंत्रिमंडल में श्रम और रोज़गार मंत्री बनीं तो बहुत कम लोगों ने सोचा था कि आने वाले कुछ दशकों में उनकी गिनती भारत के चुनिंदा राजनेताओं में होगी.

1973 में सुषमा स्वराज ने सुप्रीम कोर्ट के वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. वहीं उनकी मुलाक़ात स्वराज कौशल से हुई जिनसे उन्होंने 1975 में विवाह किया.

दोनों ने मिलकर उस समय भूमिगत चल रहे समाजवादी नेता जॉर्ज फ़र्नान्डिस का मुक़दमा लड़ा. 1990 में जब विश्वनाथ प्रताप सिंह सत्ता में आए तो उन्होंने स्वराज कौशल को मिज़ोरम का राज्यपाल बनाया. वो उस समय राज्यपाल के पद पर काम करने वाले सबसे कम उम्र के शख़्स थे.

सोनिया गांधी
Getty Images
सोनिया गांधी

सोनिया गांधी के खिलाफ़ बेल्लारी में उम्मीदवार

1999 में जब सोनिया गाँधी ने कर्नाटक में बेल्लारी से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया तो भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें उनके ख़िलाफ़ उतारा.

एक समय एकतरफ़ा लग रहे मुक़ाबले को सुषमा ने अपनी प्रचार शैली से बहुत क़रीबी बना दिया. उन्होंने बहुत कम समय में कन्नड़ सीख कर बेल्लारी के मतदाताओं का मन जीत लिया था.

लेकिन जब 2004 में कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई तो उन्होंने ये बयान देकर सब को चौंका दिया कि अगर सोनिया गाँधी देश की प्रधानमंत्री बनती हैं तो वो अपना सिर मुंडवा लेंगी और ताउम्र ज़मीन पर सोएंगी.

उनके इस बयान की काफ़ी आलोचना भी हुई लेकिन जल्द ही उन्होंने ये कटुता भुला दी और संसद के गलियारों में उन्हें कई बार सोनिया गाँधी का हाथ अपने हाथों में लेकर बतियाते देखा गया.

सुषमा स्वराज
Getty Images
सुषमा स्वराज

लोकप्रिय विदेश मंत्री

साल 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो सुषमा को उनके मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मंत्री बनाया गया. वो कुछ समय के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रहीं.

साल 2009 में उन्हें लालकृष्ण आडवाणी की जगह लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया. लेकिन सुषमा ने सबसे अधिक नाम तब कमाया जब उन्हें भारत का विदेश मंत्री बनाया गया.

यहाँ कूटनीति के साथ-साथ उनका मानवीय पक्ष भी उभर कर आय़ा. उन्होंने सऊदी अरब, यमन, दक्षिणी सूडान, इराक़ और यूक्रेन में फंसे हज़ारों भारतीय मज़दूरों के भारत लौटने में उनकी मदद की और एक महिला का पासपोर्ट खो जाने के बाद उसे तुरंत एक पासपोर्ट उपलब्ध कराया ताकि वो अपने हनीमून पर जा सके.

उन्होंने एक 12 साल के बच्चे सोनू को बांगलादेश के एक अनाथालय से भारत वापस आने में मदद की, जिसे 6 साल पहले दिल्ली से अग़वा कर लिया गया था.

पूरी दुनिया में फैले भारतीय नागरिकों की समस्याओं को हल करने के उनके जज़्बे से 'वॉशिंगटन पोस्ट' इतना प्रभावित हुआ कि उसने उन्हें 'सुपर मॉम ऑफ़ द स्टेट' की संज्ञा दे डाली.

लेकिन कुछ मामले ऐसे भी आए जब ये 'सुपर-मॉम' भी असहाय नज़र आईं. एक शख़्स ने जब उनसे ट्विटर पर शिकायत की कि एक कंपनी ने उन्हें ख़राब फ़्रिज बेच दिया है.

उनका जवाब था, "मेरे भाई फ़्रिज के मामले में मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकती, क्योंकि मैं परेशानी में पड़े इंसानों की मुसीबतें सुलझाने में कुछ ज़्यादा व्यस्त हूँ."

सुषमा स्वराज
Getty Images
सुषमा स्वराज

जन कूटनीति में माहिर

भारतीय राजनीति में ट्विटर का सबसे पहले इस्तेमाल करने वाले शख्स नरेंद्र मोदी थे. उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को भी साफ़ कर दिया था कि सोशल मीडिया में उनकी उपस्थिति उनके आकलन का एक महत्वपूर्ण मापदंड होगा.

सुषमा स्वराज ने इसको गंभीरता से लिया. शायद यही कारण था कि ट्विटर पर उनके 86 लाख फॉलोवर थे.

लेकिन नरेंद्र मोदी की विदेश नीति के आलोचक मानते हैं कि मोदी की कूटनीति को माइक्रो मैनेज करने की नीति ने सुषमा स्वराज के करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी थी.

शायद यही वजह थी कि उन्हें ट्विटर पर जन कूटनीति का सहारा लेना पड़ा था.

ललित मोदी का विवाद

सुषमा स्वराज उस समय विवादों में आईं जब उन्होंने विवादों में घिरे ललित मोदी को अपनी पत्नी के ऑपरेशन के लिए ब्रिटेन से पुर्तगाल जाने में मदद की.

ब्रिटिश सरकार के पूछे जाने पर कि क्या ललित मोदी को यात्रा के दस्तावेज़ मुहैया करवाए जाएं, स्वराज ने जवाब दिया कि अगर ब्रिटेन की सरकार ऐसा करती है तो इससे भारत और ब्रिटेन के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

इस मामले को लेकर संसद में बहुत हंगामा मचा और सुषमा स्वराज के इस्तीफ़े की मांग की गई.

वाजपेयी मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर दिए गए उनके एक बयान की भी तीखी आलोचना हुई कि 'एड्स से बचने के लिए ब्रह्मचर्य बेहतर है न कि गर्भ - निरोध के तरीके.'

लेकिन इसी दौरान लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने राजनीतिक विरोधी होते हुए भी उन्हें भारत का सबसे अच्छा संसदीय कार्यमंत्री घोषित किया था, जिसकी उनकी ख़ुद की पार्टी में भी आलोचना हुई थी.

बेहतरीन वक्ता

सुषमा स्वराज को अटल बिहारी वाजपेयी के बाद बीजेपी के सबसे उत्कृष्ट वक्ताओं में माना जाता था. हिंदी और अंग्रेज़ी पर समान अधिकार रखने वाली सुषमा स्वराज को उनकी वाक्पटुता के लिए जाना जाता था.

साल 2016 में उनके गुर्दों का प्रत्यारोपण हुआ था. 2019 के लोकसभा चुनाव से काफ़ी पहले उन्होंने ये कह कर सनसनी फैली दी थी कि वो ये चुनाव नहीं लड़ेंगी, क्योंकि उनकी सेहत इसकी अनुमति नहीं देती.

चुनाव होने के बाद उन्होंने न सिर्फ़ उन सभी कयासों को विराम लगा दिया जिसमें उनके राज्यसभा में जाने या किसी राज्य का राज्यपाल बनने की बात कही गई थी.

बल्कि अपना पद छोड़ने के कुछ दिनों के भीतर ही अपना सरकारी आवास ख़ाली कर निजी मकान में रहने का उन्होंने फ़ैसला किया.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
when sushma swaraj met pakistan pm nawaz sharifs mother
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X