जब 15 साल की उम्र में पंडित नेहरू से मिलने पैदल निकल पड़ी शीला दीक्षित
नई दिल्ली: दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित का शनिवार को 81 साल की उम्र में निधन हो गया। शीला दीक्षित कांग्रेस की दिग्गज नेता थीं और गांधी परिवार की बेहद करीबी थी। उनके निधन पर पूरे राजनातिक जगत में शोक का माहौल है। पीएम मोदी से लेकर राहुल गांधी ने उनकी मौत पर संवेदना प्रकट की। उनका अंतिम संस्कार कल निगम बोध घाट पर किया जाएगा। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने उनके निधन पर दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। शीला दीक्षित ने 'सिटीजन दिल्ली: माय टाइम्स, माय लाइफ' में एक किस्से के बारे में बताया है जब वे पैदल ही देश के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू से मिलने पहुंच गईं थीं।
नेहरू से मिलने पैदल चल पड़ी थी शीला
शीला दीक्षित ने अपनी किताब में जिक्र किया है कि एक दिन 15 साल की उम्र में उन्होंने तय किया कि वो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से उनके आवास 'तीनमूर्ति' में मिलेंगी। तब उनकी उम्र मात्र 15 साल थी। वो तब 'डूप्ले लेन' में रहती थीं। शीला 'डूप्ले लेन' स्थित अपने आवास से निकलीं और पैदल चलकर तीनमूर्ति' भवन पहुंच गई। गौरतलब है कि नेहरू बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय थे और बच्चे उन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' कहते थे।
नेहरू ने हाथ हिलाकर किया अभिवादन
जब शीला नेहरू के आवास तीनमूर्ति' भवन पहुंची तो गेट पर खड़े दरबान से उनसे पूछा कि आप किससे मिलने भीतर जा रही हैं। शीला ने जवाब दिया कि 'पंडित जी' से। इसके बाद दरबान ने उन्हें अंदर जाने दिया। जिस समय वो वहां पहुंची तब जवाहरलाल नेहरू अपनी सफ़ेद 'एंबेसडर' कार में बैठकर अपने आवास के गेट से बाहर निकल रहे थे। शीला ने उन्हें देखकर हाथ हिलाया। नेहरू ने भी उसी अंदाज में हाथ हिलाकर उन्हें जवाब दिया।
दिल्ली की 3 बार सीएम रही शीला
शीला दीक्षित कांग्रेस की कद्दावर नेताओं में शामिल थी। । वो 1998 से लेकर 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की सीएम रही थीं। उन्हों दिल्ली के सीएम रहते हुए यहां अनेक विकास करे। वो पिछले कुछ समय से हृदय संबंधी रोगों के चलते गंभीर रूप से बीमार थीं। कांग्रेस ने हाल में संपंन्न लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें दिल्ली कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंपी थी। उन्होंने उत्तर-पूर्व दिल्ली से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा लेकिन मनोज तिवारी के सामने उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
राज्यपाल का पद छोड़कर सक्रिय राजनीति में लौटी
शीला दीक्षित को कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय साल 2014 में केरल का राज्यपाल बना दिया गया था। लेकिन नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी की केंद्र में सरकार बनने के बाद उन्होंने अगस्त 2014 में केरल के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया और दोबारा सक्रिय राजनीति में उतर गई। इसके बाद उन्हें कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपना सीएम पद का उम्मीदवार भी बनाया। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले वो दोबारा दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस का मुख्य चेहरा बनकर उभरी।
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