लालू को जेल से बाहर आने के लिए अभी डेढ़ साल और करना होगा इंतजार
पटना। लालू यादव को देवघर कोषागार मामले में भले जमानत मिल गयी हो लेकिन उन्हें जेल से बाहर आने के लिए अभी डेढ़ साल और इंतजार करना होगा। देवघर कोषागार मामले में लालू यादव को इस आधार पर जमानत मिली है कि उन्होंने आधी से अधिक सजा जेल में काट ली है। इस आधार अगर उन्हें दुमका कोषागार मामले में भी जमानत हासिल करनी है तो इसके लिए अभी डेढ़ साल और इंतजार करना पड़ेगा। अगर यही आधार अन्य केसों में लागू होता है तो चाईबासा के एक अन्य मामले में उन्हें 13 महीने बाद जमानत मिलने की संभावना है। इस बीच यह देखना होगा कि चारा घोटाला के दो अन्य केस में लालू यादव के खिलाफ सजा का एलान न हो। इन दोनों मामलों का अभी ट्रायल चल रहा है। लालू यादव के खिलाफ चारा घोटला के कुल छह मामले चल रहे हैं। इसमें से चार में उन्हें सजा हो चुकी है। दो मामलों की अभी सुनवाई चल रही है।
डेढ़ साल बाद निकलेंगे जेल से बाहर
दुमका कोषागार मामले में लालू यादव को सीबीआइ की विशेष अदालत ने दो धाराओं के तहत 7-7 साल यानी 14 साल की सजा सुनायी थी। लेकिन झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में 7 साल की सजा को ही मान्य करार दिया। इस मामले में लालू यादव 24 महीने की जेल काट चुके हैं। दुमका मामले में आधी सजा का मतलब साढ़े तीन साल यानी 42 महीने की जेल हुई। 42 में से 24 महीने लालू यादव जेल में गुजार चुके हैं। अगर वे 18 महीने और जेल में बीता लेते हैं तो उनको आधी सजा भुगतने के आधार पर जमानत मिल सकती है। यानी लालू यादव को जमानत के लिए अभी डेढ़ साल और इंतजार करना होगा। चाईबासा कोषागार के अन्य मामले में लालू यादव को पांच साल की सजा मिली हुई है। इसमें से उन्होंने 17 महीने जेल में गुजार लिये हैं। आधी सजा यानी 30 महीने की अवधि पूरा होने में अभी 13 महीने बाकी हैं। इस तरह इस मामले में भी उन्हें एक साल एक महीने के बाद जमानत मिल सकती है।
इसे भी पढ़ें:- मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर मायावती ने मोदी सरकार को घेरा, कही ये बड़ी बात
लालू 23 दिसम्बर 2017 से हैं जेल में
देवघऱ कोषागार मामले में रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू य़ादव को साढ़े तीन साल यानी 42 महीने की सजा सुनायी है। इस मामल में वे 26 महीने की जेल काट चुके हैं। इस केस में अदालत ने उन्हें 23 दिसम्बर 2017 को दोषी करार दिया था। उसी दिन उनको रांची के बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया था। फिर कोर्ट ने 6 जनवरी 2018 को इस मामले में सजा एलान किया। करीब तीन महीने में जेल में रहने के बाद उनकी तबीयक खराब हो गयी जिसके बाद 17 मार्च 2018 को उन्हें इलाज के लिए रिम्स में भर्ती कराया गया। 11 मई 2018 को लालू यादव को बेहतर इलाज के लिए हाईकोर्ट से प्रोविजनल बेल मिली थी। बाद में इसकी अवधि 27 अगस्त तक बढ़ायी गयी थी। कोर्ट के आदेश पर लालू यादव ने 30 अगस्त 2018 को सरेंडर कर दिया था। जेल से उन्हें फिर इलाज के लिए रिम्स लाया गया। रिम्स के पेइंग वार्ड को ही कैंप जेल की मान्यता दी गयी है।
राजद को उम्मीदों को लगा झटका
लालू यादव के जेल में होने की वजह से राजद की स्थिति दिनोंदिन कमजोर हो रही है। राबड़ी देवी, परिवार के आपसी झगड़े को सुलझा नहीं पा रही हैं। पार्टी की हालत नेतृत्वविहीन सी हो गयी है। राजद के कमजोर होने से महागठबंधन के दल अब आंख तरेरने लगे हैं। लोकसभा चुनाव में हार के बाद बिखरी हुई पार्टी को एक सूत्र में बांधने वाला कोई नेता दिखायी नहीं पड़ रहा। इस लिए राजद के वरिष्ठ नेताओं की उम्मीद अब लालू पर ही टिकी हुई है। वे पलक पांवड़े बिछा कर लालू के जेल से बाहर आने का इंतजार कर रहे हैं। लालू के लिए एक बेल काफी नहीं है। दो मामलों में और जमानत मिलेगी तभी वे जेल से बाहर आएंगे।
इसे भी पढ़ें:- कर्नाटक संकट पर पहली बार बोले राहुल गांधी, बीजेपी पर लगाया ये गंभीर आरोप