जब जेठमलानी ने कहा था लालू कर सकते हैं नरेन्द्र मोदी का समर्थन, फिर क्या हुआ ?
नई दिल्ली। लालू यादव की नजर में राम जेठमलानी क्रिमिनल लॉ के सबसे बड़े ज्ञाता थे। लालू उनका बेहद सम्मान करते थे। 2013 में जब लालू ने जेठमलानी को अपना वकील बनाया था उस समय जेठमलानी भाजपा के निष्कासित सांसद थे। लालू का केस हाथ में लेने से पहले उन्होंने एक टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया था। इस इंटरव्यू में जेठमलानी ने कहा था कि अगर वे चाहें तो लालू यादव को नरेन्द्र मोदी को समर्थन देने के लिए कह सकते हैं। राजनीति में दबंग समझे जाने वाले लालू, जेठमलानी के इस बयान से खफा तो हुए लेकिन कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। लालू को ये लगता था कि राम जेठमलानी ही वो वकील हैं जो उन्हें चारा घोटाला मामलों से राहत दिला सकते हैं। इसी उम्मीद में लालू ने 2016 में जेठमलानी को बिहार से राज्यसभा में भेजा था। लेकिन लालू की इस उम्मीद पर तब पानी फिर गया जब एक साल बाद ही 12 सितम्बर 2017 को राम जेठमलानी ने वकालत से संन्यास ले लिया।
लालू के करीब कैसे आये जेठमलानी ?
जेठमलानी के बारे में मशहूर था कि वे मुश्किल से मुश्किल केस में भी ऐसी दलीलें पेश करते थे कि आरोपी को कोर्ट से राहत मिल जाती थी। वे देश से सबसे महंगे वकील थे। एक केस की सुनवाई के लिए वे 25 लाख रुपये और उससे भी अधिक फीस लेते थे। 2013 में लालू यादव के खिलाफ चारा घोटाले के एक मामले की सुनवाई अंतिम चरण में थी। लालू , जेठमलानी की काबिलियत के मुरीद थे। लालू ने 2013 में जेठमलानी को अपना वकील बनाया। जेठमलानी बेबाक बोलने वाले इंसान थे। वे कब क्या बोल देंगे, कहना मुश्किल था। लालू का वकील बनने के तुरंत बाद ही भाजपा के निष्कासित सांसद जेठमलानी ने एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया था। इसमें उन्होने कहा था कि अगर वे चाहें तो लालू यादव को नरेन्द्र मोदी को समर्थन देने के लिए राजी कर सकते हैं।
जेठमलानी के रुतबे से सहम गये थे लालू
जेठमलानी के इस बयान से खलबली मच गयी। उस समय भाजपा में नरेन्द्र मोदी को पीएम कैंडिडेट बनाने की मुहिम चल रही थी। इससे संबंधित एक सवाल पर जेठमलानी ने ये बात कही थी। लालू यादव इस बात को जानकर उखड़ गये थे। उन्हें अपने मोदी विरोधी छवि के टूटने का डर सताने लगा। तब लालू ने जुलाई 2013 में एक अंग्रेजी अखबार से कहा था, जेठमलानी जी बहुत बड़े वकील हैं, मैं उनके बारे में कुछ नहीं कह सकता। लेकिन इतना जान लीजिए कि मैं फासिस्ट की तरह बर्ताव करने वाले मोदी का किसी हाल में समर्थन नहीं कर सकता। ऐसा कोई नहीं है जो राजनीतिक मामलों में मुझ पर दबाव डाल सके। आप तो जानते ही हैं कि मैं किसी की नहीं सुनता। इस इंटरव्यू ने लालू यादव को बेचैन कर दिया था। वे बड़े राजनीकि नुकसान की आशंका से घिर गये। लालू ने चैनल के पत्रकार से सीधे सम्पर्क किया और जेठमलानी के मोदी वाले बयान के बारे में पूछा। जब पत्रकार ने कहा कि जेठमलानी ने यह बात हल्के फुल्के अंदाज में कही थी तब जा कर लालू को चैन मिला। फिर लालू ने सफाई दी थी कि मीडिया ने चचा के बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया था।
जेठमलानी कैसे बने थे राजद सांसद ?
लालू यादव खुद तो चारा घोटाला में फंसे ही थे उनके परिवार के अन्य लोगों पर भी दूसरे मामलों में केस दर्ज हो चुका था। जेठमलानी एक सुनवाई में ही 25 लाख रुपये की फीस लेते थे। एक केस में कई तारीख पड़ती थी। अन्य वकीलों पर भी बहुत खर्चा था। इसी बीच 2016 में लालू के पास ऐसा मौका आया कि वे दो लोगों का राज्यसभा में भेज सकें। पहले राबड़ी देवी और बाहुबली शहीबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब के नाम की चर्चा चली। इसी बीच शहाबुद्दीन का नाम पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में आ गया। हिना शहाब का पत्ता साफ हो गया तो उम्मीदवारी पर नये सिरे से चर्चा होने लगी। लालू वकीलों की मोटी फीस से परेशान थे। तब ये विचार सामने आय़ा कि अगर राम जेठमलानी को राज्यसभा में भेज दिया जाए तो इन खर्चों से मुक्ति मिल सकती है। इस बीच लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती ने राज्यसभा में जाने की जिद ठान ली। राबड़ी देवी का नाम पीछे हो गया। लालू ने अखिरकार राम जेठमलानी और मीसा भारती को राज्यसभा में भेज दिया।
लालू का मुफ्त में लड़ा केस
2017 में राम जेठमलानी ने केस लड़ने के एवज में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से 3 करोड़ 86 लाख रुपये की फीस मांगी थी। उन्होंने कहा था कि अगर केजरीवाल पैसा चुकाने की स्थिति में नहीं हैं तो मैं उनका केस मुफ्त में लड़ूंगा। तब इस दिग्गज वकील ने कहा था कि ये सही है मैं केस लड़ने के लिए पैसे लेता हूं लेकिन गरीब लोगों से पैसा नहीं लेता। इस विवाद के समय लालू यादव ने कहा था कि चचा के पास, पैसों की कोई कमी नहीं है, उन्होंने मेरा जितना केस लड़ा एक पैसा नहीं लिया। जेठमलानी का लालू यादव से करीबी रिश्ता रहा था। बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने के बाद भी राम जेठमलानी तेजप्रताप की शादी में शामिल होने के लिए पटना आये थे।