जब लोकसभा में मुलायम सिंह की सहमति से हुआ लंच ब्रेक पर फैसला
नई दिल्ली। देश को लेकर बड़े-बड़े फैसले लेने वाली लोकसभा में मंगलवार को उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब संसद के सदस्यों में लंच ब्रेक को लेकर बहस शुरू हो गई। लोकसभा में भोजनावकाश किया जाए या नहीं, इस मुद्दे पर संसद सदस्यों ने अलग-अलग राय दिखाई दी। कई सदस्यों ने इस विषय पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को मतदान कराने का भी सुझाव दिया। लोकसभा अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि यह निर्णय वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव पर छोड़ देना चाहिए। इस पर पहली पंक्ति में बैठे मुलायम सिंह यादव ने मुस्कुराते हुए कहा कि यह बहुत जरूरी है।
भोजनावकाश के मुद्दे पर बटा सदन
दरअसल मंगलवार को लोकसभा में शून्यकाल काफी देर तक चला। क्योंकि दोपहर के भोजन का समय हो गया था, इसलिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सदन से भोजनावकाश को लेकर राय पूछी। इस मुद्दे पर सदन बंट गया। कुछ सदस्यों ने इनकार कर दिया। उन्होंने घोषणा के समय का विरोध किया और कहा कि दोपहर के भोजन को छोड़ दिया जाना चाहिए। कुछ कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि सदन को अपनी कार्यवाही जारी रखनी चाहिए और भोजनावकाश का विचार छोड़ देना चाहिए।
मुलायम सिंह ने किया लंच ब्रेक पर फैसला
एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को सदस्यों को भोजन के समय को निर्धारित करने के लिए वोटिंग करानी चाहिए। ओम बिड़ला इस तरह के जवाब सुनकर चकित हो गए, फिर उन्होंने सुझाव दिया कि महत्वपूर्ण निर्णय वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह पर छोड़ दिया जाना चाहिए। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव, जो विपक्षी बेंच की अग्रिम पंक्ति में बैठे थे, फिर खड़े होकर मुस्कुराए।
मुलायम ने संसद को दी ये राय
अध्यक्ष ने कहा, मुलायम सिंह जी, लंच होना चाहिए या नहीं। लंच जरूरी है या नहीं। आप तय कर दें आज। लंच महत्वपूर्ण है या नहीं? आप इसे आज सदन के लिए तय करें। इस पर मुलायम सिंह यादव ने मुस्कुराते हुए कहा, बहुत जरूरी है। इसके बाद पूरे सदन ने वरिष्ठ नेता के फैसले को स्वेच्छा से स्वीकार किया। तब बिड़ला ने घोषणा की कि सदन को दोपहर के भोजन के लिए स्थगित किया जाता है।
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